Move to Jagran APP

नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: मप्र हाई कोर्ट ने कहा- पुलिस भरोसे के लायक नहीं, सीबीआइ करे जांच

अधिवक्ता अनिल मिश्रा के अनुसार कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को निर्देशित किया है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की जांच दी जाए। आरोपित आदित्य सिंह भदौरिया के दादा गंगा सिंह भदौरिया और पुलिस अधिकारियों के फोन कॉल की जांच की जाए।

By Neel RajputEdited By: Updated: Thu, 24 Jun 2021 08:49 AM (IST)
Hero Image
हाई कोर्ट ने दोषी थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर पर एफआइआर करने के आदेश दिए
ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जो पुलिस नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित की ही मदद करती रही, वह भरोसे के लायक नहीं हो सकती। लिहाजा, पूरे मामले की सीबीआइ जांच हो और दोषी अधिकारियों पर दलित उत्पीड़न के तहत एफआइआर दर्ज हो। मामला जनवरी में अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का है। पुलिस ने आरोपित पर कार्रवाई न करते हुए उल्टे पीड़िता को न सिर्फ प्रताड़ित किया था बल्कि बयान बदलने के लिए थाने में उसके साथ मारपीट भी की गई थी। पुलिस अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया गया है।

पीड़ित परिवार ने पुलिस द्वारा की जा रही इस ज्यादती के खिलाफ कोर्ट की शरण ली थी, जिस पर बुधवार को कोर्ट ने अब आदेश दिया है। कोर्ट ने 129 पेज के आदेश में पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े किए हैं। अधिवक्ता अनिल मिश्रा के अनुसार कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को निर्देशित किया है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की जांच दी जाए। आरोपित आदित्य सिंह भदौरिया के दादा गंगा सिंह भदौरिया और पुलिस अधिकारियों के फोन कॉल की जांच की जाए। साथ ही गड़बड़ी करने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की जाए। अब कोर्ट के आदेश के बाद मुरार थाना प्रभारी अजय पवार व सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी। वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी आरएन पचौरी और थाना प्रभारी सिरोल प्रीति भार्गव के खिलाफ विभागीय जांच होगी।

यह है मामला

इसी साल 31 जनवरी को ग्वालियर के मुरार थाने में 16 वर्षीय किशोरी ने मामला दर्ज कराया था कि उसके साथ आदित्य सिंह भदौरिया व अन्य ने दुष्कर्म किया है। आरोपित आदित्य के दादा गंगा सिंह भदौरिया ने पुलिस से अपनी नजदीकी का लाभ उठाते हुए उल्टा पीड़िता पर ही दबाव बनाया कि वह बयान से मुकर जाए। पुलिस ने उसके साथ थाने में मारपीट तक की। हालांकि, पीड़िता ने हिम्मत न हारते हुए एक फरवरी को जिला न्यायालय में बयान दर्ज करा दिए।