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नीलगाय से फसल को बचाने के लिए किसानों ने निकाला नया तरीका, जानें और उपायों के बारे में

किसान इंदौर के बाजारों से पुरानी साड़ि‍यां खरीदकर ला रहे हैं। पहले तो आसपास के गांवों में परिचितों-मित्रों के यहां से भी पुरानी साड़ी इकट्ठा करते हैं। साड़ि‍यों को आसपास में सिलवाकर जोड़ लिया जाता है। फिर लकड़ी के ऊंचे खंभे गाड़कर इनसे साड़ि‍यों को बांधा जाता है।

By Arun kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 11 Jan 2021 07:18 PM (IST)
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नीलगाय और जंगली सुअर जैसे जानवरों से फसल बचाने के लिए
जितेंद्र यादव, इंदौर। किसान के लिए फसल ही सब कुछ है। उसकी देखभाल के लिए वह कुछ भी कर सकता है। इस समय ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के किसान कर रहे हैं। वे नीलगाय और जंगली सुअर जैसे जानवरों से फसल बचाने के लिए खेतों के आसपास साड़ि‍यों की बाड़ लगा रहे हैं। मेड़ पर लकड़ी गाड़कर उनके सहारे बांधी जाने वाली साड़ि‍यां वैसे हो मजबूती के नाम पर कुछ भी नहीं हैं, लेकिन उनके लहराने से मनुष्य की उपस्थिति का आभास और विविध रंगों की वजह से संभवत: नीलगाय उनसे दूरी बना रहे हैं। आड़ होने से फसल न दिखने से भी नीलगाय खेतों की तरफ नहीं आते हैं। इलाके में यह देसी तरीका कारगर भी साबित हो रहा है।

यह केवल एक जिले की समस्या नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है। मध्य प्रदेश में इस समय करीब 35 हजार नीलगाय हैं। मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, ओडिशा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी नीलगाय से फसलों के नुकसान की समस्या आम है।

किसानों ने खोजा तरीका

इन जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसानों ने जिला प्रशासन, वन और कृषि विभाग के अधिकारियों, विधायकों व मंत्रियों तक अपनी बात कई बार रखी लेकिन कोई हल नहीं निकला। मजबूर किसानों ने खुद ही यह रास्ता निकाला। इस समय गेहूं, चना, आलू, प्याज और लहसुन की फसल खेतों में है। प्रयोग सौ फीसद कारगर भले न कहा जा सकता हो लेकिन फसलों का बचाव तो हो रहा है।

कोई 50 हजार तो कोई 17 हजार की रुपये की पुरानी साड़ि‍यां लाया

किसान इंदौर के बाजारों से पुरानी साड़ि‍यां खरीदकर ला रहे हैं। पहले तो आसपास के गांवों में परिचितों-मित्रों के यहां से भी पुरानी साड़ी इकट्ठा करते हैं। साड़ि‍यों को आसपास में सिलवाकर जोड़ लिया जाता है। फिर लकड़ी के ऊंचे खंभे गाड़कर इनसे साड़ि‍यों को बांधा जाता है। इंदौर जिले के पिपल्दा गांव के किसान घनश्याम दत्तू बताते हैं कि मैं 20 बीघा के खेत में 50 हजार रुपये से अधिक की साड़ि‍यां लगा चुका हूं। किसान श्याम चौधरी साड़ि‍यों पर 17 हजार रुपये खर्च कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री के सामने भी समस्या उठा चुके हैं किसान

हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि वितरण कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धार जिले के चिकलिया गांव के किसान मनोज पाटीदार से वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये बात की थी। तब मनोज ने किसानों की इस गंभीर समस्या का जिक्र किया।

मुआवजे का प्रावधान, मारने की इजाजत मिलती है लेकिन प्रक्रिया जटिल

मध्य प्रदेश के वाइल्डलाइफ वार्डन आलोक कुमार का कहना है कि खेती का क्षेत्र बढ़ने से नीलगाय खेतों की ओर आ रहे हैं। वन्य प्राणियों से फसलों के नुकसान के लिए मुआवजे का प्रावधान है। जहां नीलगाय अधिक संख्या में हैं तो वहां उनको मारने की अनुमति का प्रावधान भी है। हालांकि इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि प्रदेश में आज तक एक भी अधिकारी ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है।

दूसरा पहलू: कम हो रहा जंगली जानवरों का रहवास

मध्य प्रदेश के सेवानिवृत्त प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) एके सक्सेना बताते हैं कि नीलगाय बढ़ नहीं रहे हैं बल्कि वन्य प्राणियों का रहवास कम हो रहा है। वनाधिकार अधिनियम में मध्य प्रदेश में जितने पट्टे (भूमि का अधिकार) बांटे गए हैं, उतना वनक्षेत्र कम हुआ है। भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2006 से 2017 के बीच देशभर में 59 हजार वर्ग किमी क्षेत्र के पट्टे बांट दिए गए हैं। वन्य प्राणियों का क्षेत्र, पानी और चरनोई की भूमि ले ली गई है, तो वह खेतों की तरफ जाएगा ही।

नीलगाय से फसल बचाने के लिए यह कर रहे किसान

- तारफेंसिंग : खेतों के चारों और मोटी जाली वाली तारफेंसिंग कर फसल की सुरक्षा की जा सकती है।

- देशी तरीका : गोबर के पानी के साथ मिश्रण कर फसल के आसपास एक मीटर में चारों तरफ छिड़काव करके फिनाइल या सल्फॉस की गोलियों को कपड़ों में लपेट कर खेत की मेड़ के आसपास रखकर नीलगाय को रोका जा सकता है। 

- दवाइयां : नीलगायों के सूंघने की शक्ति अधिक होती है। बाजार में कई रासायनिक दवाइयां उपलब्ध है जो खेत और फसल के आसपास छिड़काव करने से उसकी गंध से नीलगाय खेतों में नहीं आएगी।

- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण : खेत में बल्ब, चमकदार लाइट सीरिज बंद चालू होने वाले, छोटे बल्ब लगाने के साथ 5 मिनट के अंतराल में अलार्म बजाने वाला सर्किट लगा कर नीलगाय को खेतों में आने से रोका जा सकता है।

- पटाखों से : रात में ज्यादा आवाज पटाखे फोड़कर उन्हें भगाया जा सकता है।