Covid-19 से MPox तक...केरल में ही सबसे पहले क्यों आते हैं वैश्विक बीमारियों के शुरुआती मामले?
केरल में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिला है। 18 सितंबर को भारत में MPox का दूसरा लेकिन क्लेड-1बी स्ट्रेन का पहला मरीज केरल में मिला। इससे पहले 2020 में वैश्विक महामारी कोविड 19 का पहला मरीज भी केरल में ही मिला था। यही नहीं निपाह वायरस का कहर भी केरल में गंभीर चिंता का विषय है। पढ़िए केरल में ही वैश्विक बीमारियों के सबसे शुरुआती मामले क्यों आते हैं?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल में एमपॉक्स यानी मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिला है। इसके साथ ही मंकीपॉक्स का यह भारत में तीसरा मामला है। 29 साल का युवक संयुक्त अरब अमीरात से केरल के एर्नाकुलम लौटा था। तेज बुखार की शिकायत पर जांच में एमपॉक्स की पुष्टि हुई।18 सितंबर को भारत में MPox का दूसरा, लेकिन क्लेड-1बी स्ट्रेन का पहला मरीज केरल के मलप्पुरम में मिला था। यह संक्रमित मरीज भी संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था। सवाल यह उठता है कि भारत में किसी भी बीमारी की शुरुआत में केरल में ही मरीज क्यों मिलते हैं?
केरल में मिला था सबसे पहला कोविड मरीज
केरल में मंकीपॉक्स ही नहीं निपाह वायरस भी केरल में पैर पसार चुका है। पिछले सप्ताह ही एक शख्स की निपाह वायरस से संक्रमित होने पर केरल में मौत हो गई। इससे पहले भी केरल में निपाह का कहर देखने को मिला था। साल 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड जिले में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह वायरस का प्रकोप देखा गया था।दुनिया की सबसे खतरनाक वायरस कोविड 19 ने दुनियाभर में मौत का तांडव मचा दिया था। भारत में कोविड 19 का सबसे पहला मरीज भी केरल में ही मिला था। साल 2020 में देश का पहला कोरोना मरीज जो केरल में मिला था, वो चीन से पढ़ाई कर रहे एक छात्र का था। अब मंकीपॉक्स की बात की जाए तो पहला एमपॉक्स क्लैड 1बी स्ट्रेन मामला भी केरल में ही आया है।
केरल में सबसे पहले क्यों मिलते हैं वैश्विक बीमारी के मरीज?
केरल में ही सबसे पहले वैश्विक बीमारियों के मरीज क्यों आते हैं। इसका कारण यह है कि केरल की एनआरआई आबादी करीब 22 लाख है। 'दक्कन हेराल्ड' के अनुसार इनमें एक बड़ा हिस्सा गल्फ कंट्रीज यानी खाड़ी देशों में काम करने वालों का है। साथ ही विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर जाने वाले छात्रों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
यही कारण है कि 2020 में देश का सबसे पहला कोविड मामला चीन से आए छात्र में पाया गया था। दरअसल, दुनियाभर में मलयाली लोगों की मौजूदगी है। इस कारण देश के किसी भी हिस्से में कोई दुर्लभ बीमारी फैलने पर केरल राज्य का स्वास्थ्य क्षेत्र सबसे ज्यादा सतर्क रहता है।
'एयरपोर्ट्स पर स्क्रीनिंग की भी होती हैं सीमाएं'
केरल राज्य के स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद एयरपोर्ट्स पर स्क्रीनिंग लगाई गई थी। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रीनिंग की भी सीमाएं होती हैं। बुनियादी स्तर पर ही जांच की जा सकती है, जब तक कि बड़ी एडवाइजरी जारी न हो।