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MQ-9B Predator Drone: उन्नत यूएवी बनाने के लिए अमेरिका भारत को देगा परामर्श, 31 प्रीडेटर ड्रोन सौदे के तहत रखा जाएगा प्रस्ताव

उन्नत भारतीय ड्रोन विकसित करने के लिए भारतीय संस्थाओं को परामर्श प्रदान करने का अमेरिका ने प्रस्ताव रखा है। इस परामर्श से अत्यधिक उन्नत ड्रोन के विकास में लगने वाले समय में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। भारत और अमेरिका पिछले कुछ वर्षों से ड्रोन सौदे के लिए चर्चा कर रहे हैं जिसके तहत तीनों सेनाओं को 31 प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Sun, 28 Jul 2024 10:46 PM (IST)
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भारत और अमेरिका के बीच 3.1 अरब डॉलर के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन का सौदा होना है। (ANI)
एएनआई, नई दिल्ली। अमेरिका 3.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन सौदे के तहत उन्नत यूएवी बनाने के लिए भारत को परामर्श देगा। इसके तहत अमेरिका ने स्वदेशी उन्नत मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) विकसित करने के लिए भारतीय संस्थाओं को परामर्श देने का प्रस्ताव रखा है।

तीनों सेनाओं को मिलेंगे 31 ड्रोन 

सोमवार को होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में अमेरिका के इस प्रस्ताव पर मंथन किया जाएगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, परियोजना के हिस्से के रूप में एक उन्नत भारतीय ड्रोन विकसित करने के लिए भारतीय संस्थाओं को परामर्श प्रदान करने का अमेरिका ने प्रस्ताव रखा है। भारत और अमेरिका पिछले कुछ वर्षों से ड्रोन सौदे पर चर्चा कर रहे हैं, जिसके तहत तीनों सेनाओं को 31 ड्रोन मिलेंगे, जिनमें नौसेना को 15 और वायु सेना तथा थलसेना को दो-दो ड्रोन मिलेंगे।

रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि परियोजना के हिस्से के रूप में उन्नत भारतीय ड्रोन विकसित करने के लिए भारतीय संस्थाओं को परामर्श प्रदान करने के अमेरिकी प्रस्ताव पर सोमवार को होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में चर्चा और मंजूरी के लिए उठाए जाने की उम्मीद है।

स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद

यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के तहत डीएसी की पहली बैठक होगी और इससे राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि इस परामर्श से अत्यधिक उन्नत ड्रोन के विकास में लगने वाले समय में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।

एमक्यू-9बी ड्रोन को भारतीय नौसेना द्वारा चेन्नई के निकट आईएनएस राजाजी और गुजरात के पोरबंदर सहित चार स्थानों पर तैनात करने की योजना है, जबकि अन्य दो सेवाएं लंबी रनवे आवश्यकताओं के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश के सरसावा और गोरखपुर में वायु सेना के ठिकानों पर संयुक्त रूप से रखेंगी।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि सरकार से सरकार के बीच इस सौदे में शामिल अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स है, जिसके अधिकारियों ने पिछले कुछ सप्ताहों में इस संबंध में भारतीय पक्ष के साथ चर्चा की है। सरसावा और गोरखपुर में सैन्य अड्डे बनने से लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

ड्रोन सौदा तीनों सेनाओं के स्तर पर किया जा रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना अमेरिकी पक्ष के साथ इस पर बातचीत का नेतृत्व कर रही है।

बेहद खास हैं प्रीडेटर ड्रोन

एमक्यू-9बी ड्रोन को उड़ान भरने और उतरने के लिए एक महत्वपूर्ण रनवे लंबाई की आवश्यकता होती है जो भारतीय वायु सेना के पास उपलब्ध है। अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे के अनुसार, 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदे जा रहे हैं, जिनमें से 15 समुद्री क्षेत्र की कवरेज के लिए होंगे और भारतीय नौसेना द्वारा तैनात किए जाएंगे।

भारतीय वायुसेना और सेना के पास आठ-आठ ऐसे अत्यधिक सक्षम लंबी अवधि तक चलने वाले ड्रोन होंगे और वे अन्य मौजूदा परिसंपत्तियों की सहायता से वास्तविक नियंत्रण रेखा के लगभग सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम होंगे।

अमेरिकी पक्ष ने भारतीय पक्ष को लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत पर अपना स्वीकृति पत्र दिया है, लेकिन भारत पूरा पैकेज लेने की योजना नहीं बना रहा है और इसकी लागत इससे कम होगी।

एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये ड्रोन 40 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर करीब 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमले करने में सक्षम हैं।

इन ड्रोन से समुद्री मार्गों की निगरानी एवं टोही गश्ती क्षमता और भविष्य के खतरों से निपटने में भारत की क्षमता में इजाफा होगा। इस ड्रोन सौदे का एलान जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान किया गया था।