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'पंच-सूत्र' पर आधारित होगी MSP कमेटी की रिपोर्ट, किसानों की आय को कई गुना बढ़ाने पर दिया गया जोर

Farmers Protest News एमएसपी पर बनी उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। रिपोर्ट के निष्कर्षों और उसे सौंपे जाने के बारे में कमेटी के सदस्य दिलीप संघानी का कहना है कि 90 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है। अब अध्यक्ष के साथ सिर्फ एक बैठक का इंतजार है। उसके बाद हम कभी भी रिपोर्ट सौंप सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 19 Feb 2024 09:10 PM (IST)
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MSP पर बनी उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट तैयार है।(फोटो सोर्स: जागरण)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बनी उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट लगभग तैयार है। कमेटी के 28 सदस्यों की अभी तक हुई 37 बैठकों के दौरान हुई समग्र चर्चाओं का मूल मंत्र भारतीय कृषि को परंपरागत तरीके से निकालकर वैश्विक व्यापार की ओर ले जाना है।

कमेटी की सिफारिशों को गोपनीय रखा गया है, किंतु सूत्रों का मानना है कि रिपोर्ट को मुख्य रूप से पांच बातों पर फोकस किया गया है। कोशिश यह है कि समुचित सुविधा किसानों की आय को कई गुना बढ़ाया जाए और देश के विकास में उनका योगदान बढ़े।

रिपोर्ट पर 90 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है

रिपोर्ट के निष्कर्षों और उसे सौंपे जाने के बारे में कमेटी के सदस्य दिलीप संघानी का कहना है कि 90 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है। अब अध्यक्ष के साथ सिर्फ एक बैठक का इंतजार है। उसके बाद हम कभी भी रिपोर्ट सौंप सकते हैं।

हालांकि उन्होंने सिफारिशों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया, लेकिन एक अन्य सदस्य बिनोद अनुपम ने बताया कि सिफारिशों को पूरी तरह किसानों पर केंद्रित रखा गया है।

उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सबसे अधिक जोर कृषि आधारित वैश्विक व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने पर दिया गया है, किंतु कमेटी यह भी मानती है कि सिफारिशों को लागू करना तभी संभव होगा, जब प्रशासनिक रूप से क्रियान्वित करने के लायक होगी।

इसलिए रिपोर्ट में किसान आंदोलनों को भी ध्यान में रखकर राजनीतिक स्वीकृति के पक्ष पर भी विचार किया गया है, ताकि विरोध या असहमति की स्थिति नहीं रह जाए।

विभिन्न राज्यों में अलग-अलग फसलों का लागत मूल्य समान नहीं

स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों से अलग उच्चस्तरीय कमेटी की बैठकों का निष्कर्ष यह भी है कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग फसलों का लागत मूल्य समान नहीं है। ऐसे में एमएसपी तय करते समय राज्यों की न्यूनतम और अधिकतम कृषि लागत का औसत मूल्य के आधार पर ही आकलन किया जाना चाहिए।

किसान नेता एवं कमेटी के सदस्य कृष्णवीर चौधरी ने एक सुझाव यह भी दिया है कि बाजार खोल दिया जाए और एमएसपी के तहत आने वाली फसलों का ग्रेडिंग के अनुसार रिजर्व प्राइस तय कर दिया जाए।

एमएसपी से कम पर खरीद-बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाए। इसे सख्ती से लागू करने के लिए आर्थिक दंड का प्रविधान कर दिया जाए और राज्य सरकार इसकी निगरानी करे, क्योंकि कृषि राज्यों का विषय है। मंडियां उन्हीं के नियंत्रण में हैं।

एमएसपी की गारंटी देने से महंगाई में हो सकती है वृद्धि

कमेटी का मानना है कि किसानों का व्यापक हित तबतक नहीं हो सकता है, जब तक बाजार के लिए एक आचार संहिता तय नहीं होगी। सिर्फ एमएसपी की गारंटी देने से महंगाई में वृद्धि हो सकती है। बाजार खोलने का अर्थ कि केंद्र सरकार सिर्फ बफर स्टाक के लिए ही खरीद करे। बाकी खरीदारी निजी क्षेत्र करें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर एमएसपी को अधिक प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने और बड़ी आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न को बदलने के तौर-तरीकों पर विमर्श करने के लिए जुलाई 2022 में पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में एमएसपी पर विमर्श के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी।

किसान संगठनों से छह सदस्यों को समिति ने किया था आमंत्रित

उद्देश्य किसानों का असंतोष खत्म कर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम भी बनाना था। समिति में कृषि, किसान संघों एवं शिक्षा से जुड़े सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र से कुल 28 जानकारों को शामिल किया गया है।

निष्कर्षों को सर्वमान्य बनाने के लिए किसान संगठनों से छह सदस्य को आमंत्रित किया गया था, जिनमें संयुक्त किसान मोर्चा से भी तीन सदस्य मांगे गए थे, जो आंदोलन से जुड़े हैं। हालांकि, मोर्चा ने अभी तक किसी बैठक में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजे।

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