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Farmer Protest: दस वर्षों में 875 रुपये बढ़ा गेहूं का MSP और 823 रुपये धान, मोदी सरकार के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन में 35 प्रतिशत वृद्धि

किसान फिर से दिल्ली कूच को निकल पड़े हैं। मांग वही पुरानी है-एमएसपी को कानूनी दर्जा। सरकार ने दो साल पहले इसे लेकर समिति बनाई थी जिसमें किसान संगठनों ने अपना प्रतिनिधित्व नहीं भेजा था। लोकसभा चुनाव की दहलीज पर इस बार किसान प्रदर्शनकारी और सरकार के बीच कैसे और कब सामंजस्य बनेगा यह समय बताएगा लेकिन आंकड़ों की सच्चाई उलट है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 14 Feb 2024 12:09 AM (IST)
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दस वर्षों में 875 रुपये बढ़ा गेहूं का एमएसपी और 823 रुपये धान। (फाइल फोटो)

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। किसान फिर से दिल्ली कूच को निकल पड़े हैं। मांग वही पुरानी है-एमएसपी को कानूनी दर्जा। सरकार ने दो साल पहले इसे लेकर समिति बनाई थी जिसमें किसान संगठनों ने अपना प्रतिनिधित्व नहीं भेजा था। लोकसभा चुनाव की दहलीज पर इस बार किसान प्रदर्शनकारी और सरकार के बीच कैसे और कब सामंजस्य बनेगा यह तो समय बताएगा लेकिन आंकड़ों की सच्चाई यह है कि पिछले दस वर्षों में प्रमुख खाद्यान्नों का एमएसपी 40-60 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।

खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में करीब 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई और लगभग इतनी ही ज्यादा खरीद हुई। उत्पादकता बढ़ी है एवं कई योजनाओं के क्रियान्वयन से किसानों की आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की हाल में प्रकाशित एक पुस्तक में देश के सफल किसानों में से 75 हजार की सफलता की कहानियों का संकलन किया गया है।

किसानों की गाथा

इसमें ऐसे किसानों की गाथा है, जिन्होंने अपनी मेहनत एवं केंद्रीय योजनाओं के जरिये अपनी आमदनी को पांच-छह वर्षों में दोगुना से अधिक बढ़ाने में सफलता पाई है। वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने किसानों की स्थिति पर सर्वे कराया था। तब प्रत्येक किसान परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपये थी। इसके आधार पर केंद्र ने कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाया। किसानों को नवीनतम तकनीक दी, जिसका असर हुआ कि 2018-19 में किसानों की आमदनी बढ़कर 10,218 रुपये हो गई।

पांच वर्षों में करीब चार हजार रुपये की मासिक वृद्धि

पांच वर्षों में ही करीब चार हजार रुपये की मासिक वृद्धि। कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2013-14 के 27,662 करोड़ रुपये के बजट को करीब पांच गुना बढ़ाकर वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में 1.27 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। खेती की लागत को नियंत्रित कर किसानों की आय बढ़ाने के उपाय तलाशने के लिए 2016 में बनाई गई अंतर-मंत्रालयी समिति ने दो वर्ष बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट में कृषि नीतियों, सुधारों एवं कार्यक्रमों पर जोर दिया था।

गैर कृषि व्यवसाय के लिए प्रेरित करने का सुझाव

समिति ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए सात स्त्रोतों की पहचान की थी, जिसमें लागत को नियंत्रित करते हुए नवीनतम तकनीक के जरिये उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाना, खेती के साथ पशुपालन, फसल गहनता व विविधता, लाभकारी मूल्य वाली खेती के साथ अतिरिक्त श्रमशक्ति को गैर कृषि व्यवसाय के लिए प्रेरित करने का सुझाव दिया गया था।

किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया

समिति की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने गंभीरता से अमल करते हुए किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। इस पर तेजी से काम हुआ और परिणाम भी आया। आंकड़ों के अनुसार 2014-15 में एमएसपी पर कुल खरीद 761.40 लाख टन थी जिसके लिए 1.06 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। 2022-23 में खरीद बढ़कर 1062.69 लाख टन हुई जिसपर 2.28 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।

अभी 24 फसलों पर एमएसपी

विधि व्यवस्था की अनदेखी कर दिल्ली में प्रवेश को आतुर किसानों की मांगों में सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी प्रमुख है। केंद्र सरकार ने अभी 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखा है, किंतु अन्य कई फसलें इसके दायरे से बाहर हैं। खेती को लाभकारी बनाने और किसानों को क्षति से बचाने के लिए फसलों पर एमएसपी की व्यवस्था लगभग छह दशक से चली आ रही है।

सरकार एमएसपी तय कर किसानों को सहारा देती है

उस समय सिर्फ गेहूं को ही इसके दायरे में लाया गया था। आज 24 फसलों पर एमएसपी लागू है। किसानों को फसलों की लागत पर आने वाली राशि से लगभग 50 प्रतिशत अधिक दर न्यूनतम मूल्य तय किया जाता है। इसका मतलब हुआ कि किसी फसल का मूल्य बाजार भाव से कम होने की स्थिति में सरकार न्यूनतम मूल्य तय कर किसानों को सहारा देती है।

फसलों का एमएसपी (रुपये प्रति क्विंटल)

फसल एमएसपी-2014-15 एमएसपी-2024-25 प्र.श. वृद्धि
गेहूं 1400 2275 62.5
धान 1360 2183 60.5
मक्का 1310 2090 55.7
अरहर 4350 7000 60.9
मूंग 4600 8558 91.4
जौ 1100 1850 68.1
चना 3100 5440 75.4
मसूर 2950 6425 117.8
सरसों 3050 5650 85.2

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