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पैनम कंपनी पर वर्चस्व को लेकर वालसा की हत्या

झारखंड में पाकुड़ जिले के चर्चित नन वालसा जॉन हत्याकांड की जांच रिपोर्ट स्पेशल ब्रांच ने राज्य सरकार को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनम कंपनी पर वर्चस्व जमाने के लिए नक्सलियों ने ग्रामीणों के सहयोग से वालसा को रास्ते से हटाया।

By Edited By: Updated: Mon, 28 Nov 2011 01:03 AM (IST)

रांची [प्रणव], झारखंड में पाकुड़ जिले के चर्चित नन वालसा जॉन हत्याकांड की जांच रिपोर्ट स्पेशल ब्रांच ने राज्य सरकार को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनम कंपनी पर वर्चस्व जमाने के लिए नक्सलियों ने ग्रामीणों के सहयोग से वालसा को रास्ते से हटाया।

मालूम हो कि पहले क्षेत्र में पैनम कोल माइंस खोले जाने का विरोध वालसा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने किया था। काफी दिनों तक विरोध के बाद वालसा का कंपनी से समझौता हो गया था। समझौता होते ही ग्रामीणों का विरोध भी बंद हो गया। कंपनी अपना काम आसानी से क्षेत्र में करने लगी। जब भी ग्रामीण कोई बात कंपनी के विरोध में कहते तो वालसा आड़े आ जाती। यही नक्सलियों को नागवार गुजरा। समझाने के बाद भी वालसा मानने को तैयार नहीं थी। कंपनी पर अपना वर्चस्व जमाने के लिए नक्सलियों ने धीरे-धीरे ग्रामीणों को प्रलोभन दे अपनी ओर मिलाना शुरू किया। इसमें करीब एक साल लगा। नक्सलियों ने वालसा की हत्या के लिए आलूबेड़ा पंचायत के प्रधान मुर्मू को सबसे पहले तैयार किया। प्रधान मुर्मू के बताने पर आलूबेड़ा व पचुवाड़ा के रंजन मरांडी, राकेश तुरी, ताला मरांडी, प्रेम तुरी, पायसिल हेंब्रम व एडविन मुर्मू का चुनाव किया गया। सभी को वालसा की हत्या के लिए दो माह तक प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद 15 नवंबर को वालसा की हत्या सातों ने मिलकर कर दी। मामले में सीआइडी भी अपने स्तर से जांच कर रही है।

एसएन प्रधान, आइजी, स्पेशल ब्रांच ने बताया कि वालसा हत्याकांड की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। जांच में सामने आया है कि नक्सलियों ने पैनम कंपनी पर वर्चस्व के लिए वालसा को रास्ते से हटाया। इसके लिए ग्रामीणों को हथियार बनाया गया।

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