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मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता मंजूर नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ते पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एतराज जताया है। बोर्ड ने फैसले को चुनौती देने की बात कही है। बोर्ड उत्तराखंड के यूसीसी को भी चुनौती देगा। रविवार को हुई बोर्ड की बैठक में आठ प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया था।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 14 Jul 2024 08:14 PM (IST)
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उत्तराखंड के यूसीसी कानून को भी चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड।
एएनआई, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की बात कही है। हाल ही में सर्वोच्च अदालत ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को इद्दत की अवधि के बाद गुजारा भत्ता मांगने की अनुमति दी है।

बोर्ड उत्तराखंड में पारित समान नागरिक संहिता (UCC) कानून को भी चुनौती देगा। रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक में आठ प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। यह जानकारी बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने दी।

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शरिया कानून से टकराता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बोर्ड के प्रवक्ता इलियास ने कहा कि पहला प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ा था। कोर्ट का यह फैसला शरिया कानून से टकराता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस्लाम में शादी को पवित्र बंधन माना जाता है। इस्लाम तलाक को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को महिलाओं के हित में बताया जा रहा है, लेकिन शादी के नजरिए से यह फैसला महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन जाएगा। अगर तलाक के बाद भी पुरुष को गुजारा भत्ता देना है तो वह तलाक क्यों देगा? और अगर रिश्ते में कड़वाहट आ गई है तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा? हम कानूनी समिति से सलाह-मशविरा करके इस फैसले को वापस लेने के बारे में विचार विमर्श करेंगे।

भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं मुस्लिम महिलाएं

10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 मुस्लिम विवाहित महिलाओं समेत सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है। वे इन प्रावधानों के तहत अपने पतियों से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं।

उत्तराखंड में यूसीसी को देंगे चुनौती

सैयद कासिम इलियास ने कहा कि उत्तराखंड के यूसीसी कानून को चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विविधता हमारे देश की पहचान है, जिसे हमारे संविधान ने संरक्षित रखा है। यूसीसी इस विविधता को खत्म करने का प्रयास है। यूसीसी न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है। उत्तराखंड में पारित यूसीसी सभी के लिए परेशानी का कारण बन रही है। हमने उत्तराखंड में यूसीसी को चुनौती देने का फैसला किया है। हमारी कानूनी समिति तैयारी में जुटी है।

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