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Muslim Marriage Act: असम सरकार का बड़ा फैसला, राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक कानून हुआ निरस्त

साल 1935 में लागू असम मुस्लिम विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन अधिनियम (Assam Muslim Marriage and Divorce Registration Act) को निरस्त कर दिया गया है। असम निरसन विधेयक 2024 को विधानसभा के अगले मानसून सत्र में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि नए कानून का उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक विधेयक को रद्द करना है।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 18 Jul 2024 09:52 PM (IST)
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो)
एएनआई, गुवाहाटी। असम सरकार द्वारा असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त कर दिया गया है। सीएम सरमा ने कहा कि इस कानून को खत्म करने का मकसद लैंगिक न्याय और बाल विवाह को कम करने का है। 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "असम मुस्लिम विवाह अधिनियम के तहत बाल विवाह की अनुमति थी। हमने इसे खत्म कर दिया और अध्यादेश लाया। अब हम उस अध्यादेश को विधेयक बना देंगे। एक नया कानून आएगा जिसके तहत मुस्लिम विवाह का पंजीकरण 18 और 21 वर्ष की कानूनी आयु सीमा के भीतर सरकारी कार्यालय में होगा... अगर 80% बाल विवाह अल्पसंख्यकों में हो रहे हैं, तो 20% बहुसंख्यक समुदाय में हो रहे हैं। मैं बाल विवाह को धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं देख रहा हूं। हमारा प्रयास है कि लैंगिक न्याय हो और बाल विवाह कम हो... असम में बाल विवाह खत्म होने के कगार पर है...।"

बेटियों और बहनों के न्याय के लिए उठाया ये महत्वपूर्ण कदम

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, 'हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आज असम कैबिनेट की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के जरिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।'

सीएम सरमा ने कहा कि इस कानून का मकसद असम मुस्लिम विवाह और तलाक एक्ट 1935 और असम मुस्लिम विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन नियम 1935 को निरस्त करना है। असम मंत्रिमंडल ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य में मुस्लिम विवाहों के रजिस्ट्रेशन के लिए कानून लाया जाए। इस मुद्दे पर भी विधानसभा में चर्चा की जाएगी। सीएम सरमा ने कहा कि शुरुआत में कुछ लोग बाल विवाह के विरुद्ध कार्रवाई से खुश नहीं थे, लेकिन अब लोग इस सामाजिक बुराई को रोक रहे हैं यहां तक कि अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी।

'यह फैसला मुस्लिमों को निशाना बनाने के उद्देश्य से लिया गया'

दरअसल, एक गैरसरकारी संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह के विरुद्ध राज्य सरकार की कार्रवाई से ऐसे मामलों में कमी आई है। उधर, विपक्षी दलों ने कैबिनेट के फैसले को मुस्लिमों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण और चुनावी वर्ष में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने वाला बताया है। कांग्रेस विधायक अब्दुल राशिद मंडल ने दावा किया कि राज्य की भाजपा सरकार मुस्लिम विरोधी है और हिंदुओं को यह दिखाने की कोशिश कर रही कि वह उनके पक्ष में है। एआइयूडीएफ विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह फैसला चुनावी वर्ष में मुस्लिमों को निशाना बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।

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