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नगालैंड की डिस्काम का रिकार्ड सबसे ज्यादा खराब, साल 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों की हानि 60.39 प्रतिशत रही

तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानि के मामले में नगालैंड की बिजली वितरण कंपनियों का रिकार्ड सबसे ज्यादा खराब है। वहां की डिस्काम ने वर्ष 2020-21 में देश में सर्वाधिक 60.39 प्रतिशत नुकसान दर्ज कराया है। इसके बाद जम्मू 59.28 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 16 Oct 2022 11:18 PM (IST)
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नगालैंड की डिस्काम का रिकार्ड सबसे ज्यादा खराब। (फाइल फोटो)
नई दिल्ली,पीटीआइ। तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानि के मामले में नगालैंड की बिजली वितरण कंपनियों का रिकार्ड सबसे ज्यादा खराब है। वहां की डिस्काम ने वर्ष, 2020-21 में देश में सर्वाधिक 60.39 प्रतिशत नुकसान दर्ज कराया है। इसके बाद 59.28 प्रतिशत के साथ जम्मू और कश्मीर दूसरे नंबर पर और 51.94 प्रतिशत के नुकसान के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तीसरे स्थान पर है।

लगातार बढ़ा है डिस्काम का नुकसान

मालूम हो कि नगालैंड का वर्ष 2019-20 में नुकसान 64.79 प्रतिशत था जबकि जम्मू और कश्मीर का नुकसान 60.46 प्रतिशत था। हालांकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह के मामले में एटीएंडसी घाटा 2019-20 में मात्र 23.34 प्रतिशत था। पावर फाइनेंस कारपोरेशन द्वारा तैयार की गई की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिस्काम का समग्र (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) नुकसान 2019-20 में 20.73 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 22.32 प्रतिशत हो गया।

दमन और दीव में भी हुआ है नुकशान

रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि दमन और दीव में डिस्काम को सबसे कम 4.48 प्रतिशत एटीएंडसी नुकसान हुआ। इसके बाद दादरा और नगर हवेली (5.17 प्रतिशत) और केरल (7.76 प्रतिशत) का स्थान रहा। केरल और तेलंगाना ने अपने एटीएंडसी घाटे को कम किया। तेलंगाना ने अपने एटीएंडसी घाटे को 2020-21 में घटाकर 13.33 प्रतिशत कर दिया, जो पिछले वित्त वर्ष में 21.92 प्रतिशत था। इसी तरह केरल ने 2019-20 में 13.12 प्रतिशत से घटाकर 7.76 प्रतिशत कर दिया है।

औद्योगिक उपभोक्ता से प्राप्त हुआ 31 प्रतिशत राजस्व

आंध्र प्रदेश में एटीएंडसी घाटा 2020-21 में बढ़कर 27.25 प्रतिशत हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 10.77 प्रतिशत था। इसी तरह मध्य प्रदेश के मामले में यह 30.38 प्रतिशत से बढ़कर 41.47 प्रतिशत हो गया। मिजोरम में एटीएंडसी घाटा भी 20.66 प्रतिशत से बढ़कर 36.53 प्रतिशत हो गया। महाराष्ट्र में, यह 2020-21 में 18.56 प्रतिशत से बढ़कर 25.54 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट से पता चला है कि 2020-21 के दौरान, उपयोगिताओं को औद्योगिक उपभोक्ता से अधिकतम 31 प्रतिशत राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि उन्होंने ऊर्जा आपूर्ति का 25 प्रतिशत उपभोग किया।

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