Move to Jagran APP

Nag Panchami 2019: नागपंचमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, शिव के पूजन का है विशेष महत्व

Nag panchami 2019 ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार की नाग पंचमी सोमवार व सिद्धयोग में मनाई जाएगी जो बेहद खास है। ऐसा योग वर्षो के बाद देखने को मिलता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Mon, 05 Aug 2019 07:32 AM (IST)
Nag Panchami 2019: नागपंचमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, शिव के पूजन का है विशेष महत्व
नई दिल्ली, जेएनएन।  भारत वर्ष में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजन का विधान है। इस पर्व को नाग पंचमी कहते हैं। इस बार नाग पंचमी सोमवार को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि चार अगस्त को रात 11.02 बजे लग गई है जो पांच अगस्त को रात 8.40 बजे तक रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार की नाग पंचमी सोमवार व सिद्धयोग में मनाई जाएगी जो बेहद खास है। ऐसा योग वर्षो के बाद देखने को मिलता है।

पूजन विधान

शास्त्रों के अनुसार सावन शुक्ल पंचमी को नाग की मूर्ति बना कर या फोटो चिपका कर नाग पूजन करना चाहिए। इसमें भी पांच फण वाले नागों का अधिक महत्व है। शास्त्र अनुसार नाग 12 प्रकार के होते हैं। इनमें अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, करकोटक, उच्चतर, धृतराष्ट्र, शंखपाद, कालिया, तक्षक और पिंगल शामिल हैं। सभी नागों का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

वैसे तो हिंदी के बारहों मासों के शुक्ल पक्ष में हर पंचमी को एक नाग के पूजन का विधान होता है लेकिन नाग पंचमी को विधिवत नागों की पूजा से सभी तरह के नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन नागों को दूध, लावा, खीर इत्यादि खिलाना या चढ़ाना चाहिए। पौराणिक दृष्टि से नाग पूजा का संबंध महाभारत काल से माना जाता है।

नाग पंचमी का महत्‍व

हिन्‍दुओं में नाग को देवता की संज्ञा दी जाती है और उनकी पूजा का विधान है। हिन्‍दू धर्म में नाग को आदि देव भगवान शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्‍णु की शैय्या माना जाता है। इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन से भी गहरा नाता है। सावन के महीने में जमकर वर्षा होती है, जिस वजह से नाग जमीन के अंदर से निकलकर बाहर आ जाते हैं। ऐसे में माना जाता है कि अगर नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यही नहीं कुंडली दोष को दूर करने के लिए भी नागपंचमी का विशेष महत्‍व है। ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करना चाहिए। मान्‍यता है कि ऐसा करने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है।

नाग पंचमी की कथा

राजा परीक्षित एक बार आखेट के लिए निकले और समीक ऋषि के आश्रम में जा पहुंचे। तपस्यारत समीक ऋषि से जल मांगने पर जवाब न मिला तो उन्होंने गुस्से में मृत सर्प ऋषि के गले में डाल दिया। समीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि आए और देखा तो क्रुद्ध होकर परीक्षित को सातवें दिन तक्षक के डंसने से मृत्यु का श्राप दे दिया। परीक्षित की मृत्यु पर उनके पुत्र जनमेजय ने धरती को सांप विहीन करने के लिए नाग यज्ञ किया। इसके प्रभाव से सभी तरह के श्राप यज्ञ कुंड में आकर गिरने लगे जिसे सर्पो की प्रार्थना पर रोका तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इस दिन नागों की पूजा करने से सर्प का भय नहीं रहता।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप