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'भगीरथ' प्रयास में जहर घोल रहे गंगा किनारे के शहर, स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 की रिपोर्ट से सामने आई हकीकत

नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी की सफाई को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं लेकिन स्थिति सुधर नहीं रही है। इसके किनारे बसे शहरों का प्रदूषित जल नदी में बहाया जा रहा है। इसमें बंगाल के शहरी नालों की संख्या सर्वाधिक है।

By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Thu, 06 Oct 2022 11:09 PM (IST)
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स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा के किनारे बसे शहरों का प्रदूषित जल नदी में बहाया जा रहा है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी की सफाई को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति सुधर नहीं रही है। इसके किनारे बसे शहरों का प्रदूषित जल नदी में बहाया जा रहा है। इसमें बंगाल के शहरी नालों की संख्या सर्वाधिक है। जबकि, झारखंड के शहरों का कोई नाला सीधे गंगा में नहीं गिरता। बंगाल के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। ये बातें स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 की रिपोर्ट में कही गई हैं।

ऐसे हुआ सर्वे

स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 के दौरान गंगा के किनारे बसे कुल 91 शहरों की सफाई व्यवस्था को कुछ प्रमुख निर्धारित मानकों पर जांचा गया। इसमें बिहार के 17 शहरों के 86 घाटों, झारखंड के दो शहरों और तीन घाटों, उत्तर प्रदेश के 20 शहरों के 162 घाटों, उत्तराखंड के 13 प्रमुख शहरों के 47 घाटों और बंगाल के 39 शहरों के 362 घाटों को शामिल किया गया।

दो तिहाई शहरों की हालत खराब

इन शहरों में कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था सहित खुले नालों को भी जांचा गया। शहरों से निकलने वाले सीवेज व प्रदूषित जल की प्रसंस्करण प्रणाली को भी देखा गया। स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान कुल 46 शहरों के गंगा घाटों के पास नाला बहता हुआ पाया गया। कुल 91 शहरों में से केवल 31 ऐसे शहरों को चिन्हित किया गया, जिनके नालों से साफ किया हुआ पानी गंगा में गिर रहा था। जबकि, दो तिहाई शहरों की हालत खराब है।

बंगाल के 39 शहरों में से 23 में गंदे नाले चिन्हित

यहां के गंदे नाले सीधे गंगा में कचरा गिरा रहे थे। बिहार के तीन शहरों में गंदे नाले गंगा में गिरते पाए गए। बंगाल के 39 शहरों में से 23 में गंदे नाले चिन्हित किए गए। इनमें से केवल चार शहरों के नाले ही प्रसंस्कृत और कम गंदगी के साथ गंगा में गिरते पाए गए। जबकि, 19 शहरों के नाले सीधे प्रदूषित जल के साथ गंगा में गिर रहे थे।

यह है मौजूदा हालात 

उत्तर प्रदेश के 20 शहरों में 15 नाले पाए गए। इनमें से मात्र पांच शहरों के नाले स्वच्छ पानी के साथ गंगा में मिल रहे थे। बाकी 10 नाले प्रदूषित जल के साथ गंगा में गिरते पाए गए। उत्तराखंड के 13 शहरों में से चार चमोली-गोपेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश और कीर्तिनगर में नाले मिले। इनमें से चमोली-गोपेश्वर में प्रदूषित जल गंगा में गिर रहा था। झारखंड के दोनों शहरों से कोई नाला गंगा में नहीं मिल रहा है। 

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