NASA DART Mission: कुछ घंटों बाद Dimorphos एस्ट्रायड से टकराएगा नासा का डार्ट मिशन और आसमान में दिखाई देगा ज्यादा बड़ा जूपिटर और इसके मून
आज नासा का DART मिशन धरती से लाखों मील की दूरी पर एक एस्ट्रायड से टकराने वाला है। ये टक्कर इस बात को देखने के लिए की जा रही है कि भविष्य में धरती की तरफ आते किसी एस्ट्रायड के रास्ते में बदलाव किया जा सकता है या नहीं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 26 Sep 2022 05:03 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। ब्रह्मांड में आज दो बड़ी घटनाएं होने वाली हैं। इनको लेकर नासा काफी उत्साहित है। इसमें पहली घटना नासा के बहुप्रतिक्षित डार्ट मिशन है और दूसरी जूपिटर का धरती के बेहद करीब आना है। दोनों को लेकर ही सरगर्मी काफी तेज है। नासा के मुताबिक Double Asteroid Redirection Test (DART), दुनिया का पहला ऐसा मिशन है जिसमें धरती की तरफ आते एक एस्ट्रायड की दिशा और गति बदलने का प्रयास किया जाना है।
जिस एस्ट्रायड से नासा का डार्ट मिशन टकराने वाला है उससे धरती को कोई खतरा नहीं है। न ही वो धरती के बेहद करीब से गुजरने वाला है। लेकिन, इस टेस्ट के जरिए नासा जानना चाहता है कि क्या इस तरह से धरती की तरफ आते किसी खतरनाक एस्ट्रायड का मार्ग बदला जा सकता है या नहीं। नासा के स्पेसक्राफ्ट के एस्ट्रायड से टकराने पर करीब 3 हजार टीएनटी की बराबर ऊर्जा निकलेगी। इस टकराव को एक बेहद छोटी सी सैटेलाइट जिसको इटली ने तैयार किया है कैप्चर करेगी। इसका नाम क्यूबसेट है।
इस लिहाज से ये टेस्ट बेहद खास हो गया है। नासा के मुताबिक उनका डार्ट मिशन 26 सितरंबर को शाम करीब 7:14 (EDT/Eastern Daylight Time) को एस्ट्रायड से करीब 25 हजार किमी प्रतिघंटे की स्पीड से टकराएगा। इसके इस एस्ट्रायड से टकराने की पूरी जानकारी बाद में नासा एक प्रेस कांफ्रेस में देगा। इस टक्कर से पहले नासा की जान हापकिंस एपलाइड फिजिक्स लैबोरेटरी की तरफ से एक टेलिवाइज्ड ब्रीफिंग भी दी जाएगी। जिस एस्ट्रायड से ये टक्कर होने वाली है उसका नाम Dimorphos है।
इसके अलावा आज ही रात में आसमान में जूपिटर भी उम्मीद से ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देने वाला है। हमारे सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा ये ग्रह आज धरती के बेहद करीब होगा। आपको बता दें कि इसकी धरती से दूरी करीब 60 करोड़ मील की है। आज ये इस दूरी से कहीं अधिक कम पर दिखाई देगा। इस वजह से ये अधिक चमकीला भी होगा। नासा के मुताबिक आज टेलिस्कोप के जरिए इसके चार सबसे बड़े चांद को भी देखा जा सकेगा। इनको सबसे पहले वैज्ञानिक गैलीलियो गिली ने देखा था। इसके बाद इनको गैलीलियो सैटेलाइट कहा जाता है।