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कुपोषित बच्चों को विशेष डाइट देनी है तो पहले राष्ट्रीय बोर्ड से मंजूरी लें राज्य

प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशानुसार अब कुपोषित बच्‍चों को विशेष डाइट देने से पहले राष्‍ट्रीय बोर्ड की मंजूरी लेनी होगी।

By Monika MinalEdited By: Updated: Thu, 16 Nov 2017 10:29 AM (IST)
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कुपोषित बच्चों को विशेष डाइट देनी है तो पहले राष्ट्रीय बोर्ड से मंजूरी लें राज्य

नई दिल्ली (प्रेट्र)। कुपोषित बच्चों को विशेष डाइट (थेराप्यूटिक खाद्य पदार्थ) देनी है तो राज्यों को पहले राष्ट्रीय बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह निर्देश राज्यों को दिया है। हालांकि इसी स्तर पर पहले हुई बैठक में कहा गया था कि राज्य अपने स्तर पर यह फैसला ले सकते हैं कि वह बच्चों को इसे दे कि नहीं, लेकिन अब इसके लिए अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। पोषण पर अध्ययन के लिए बनाए गए राष्ट्रीय तकनीकी बोर्ड को इस बारे में फैसला लेने के अधिकार दे दिए गए हैं।

थेराप्यूटिक खाद्य पदार्थ में मूंगफली, दूध, विटामनों व अन्य चीजों का मिश्रण होता है। एक तर्क यह भी है कि बच्चों व महिलाओें में कुपोषण को दूर करने के लिए यह कारगर हो सकता है, लेकिन सरकार इस पर अभी सशंकित है।

बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मेनका

महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि भारत सरकार बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह बात ब्यूनस आयर्स में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक कांफ्रेंस में कही। वह इसके उद्घाटन सत्र में भाग ले रही हैं। मंत्री ने कहा कि मनरेगा व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट 2013 के तहत बाल मजदूरी को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सरकार कानून में संशोधन पर भी विचार कर रही है। उन्होंने अपने भाषण में स्वयं सेवी संस्था चाइल्ड लाइन का भी हवाला दिया। यह गायब हुए बच्चों के लिए फोन सेवा उपलब्ध करा रही है।

अनाथालयों की होगी रैंकिग

सरकार ने फैसला किया है कि अनाथालयों (बाल संरक्षण संस्थानों) की रैकिंग की जाएगी। उन्हें काम केआधार अंक दिए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि मेनका गांधी ने निर्देश दिया है कि अनाथालयों की स्थिति में सुधार किया जाए। जुवेनाइल जटिस्स एक्ट 2015 से सभी को संबद्ध किया जाए। मंत्रालय के सचिव आरके श्रीवास्तव ने बताया कि देश में इस तरह के करीब नौ हजार संस्थान हैं, जिनमें से आधे पंजीकृत नहीं हैं।

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