पांच सौ करोड़ की पूंजी से गठित होगी राष्ट्रीय सहकारी बीज सोसाइटी, पांच प्रमुख कंपनियों ने भेजा अपना प्रस्ताव
कृषि क्षेत्र में उन्नत बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने को राष्ट्रीय सहकारी बीज सोसाइटी का गठन अगले सप्ताह तक हो जाएगा। 500 करोड़ की पूंजी से शुरु हो रही इस सोसाइटी में 250 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी ईफ्को कृभको नैफेड एनडीडीबी और एनसीडीसी की बराबर की होगी।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में उन्नत बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने को राष्ट्रीय सहकारी बीज सोसाइटी का गठन अगले सप्ताह तक हो जाएगा। 500 करोड़ की पूंजी से शुरु हो रही इस सोसाइटी में 250 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी ईफ्को, कृभको, नैफेड, एनडीडीबी और एनसीडीसी की बराबर की होगी। जबकि बाकी पूंजी विभिन्न स्तर की सोसाइटियों से जुटाया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर की इस बीज सोसाइटी के लिए 53 फीसद का गैर प्रमाणित बीजों वाला 36,000 करोड़ रुपए का वृहद बाजार है, जिसमें सहकारी क्षेत्र की निचली इकाई पैक्स लेकर राष्ट्रीय सहकारी बीज सोसाइटी को काम करने का मौका है।
आम किसानों तक पहुंचाने की योजना
सहकारिता मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि वैज्ञानिकों के ब्रीडर सीड को खास किसानों का समूह फाउंडेशन और प्रमाणित बीज के रूप में तैयार करेगा, जिसे बाद में आम किसानों तक पहुंचाने की योजना है। इससे जहां किसानों को उन्नत बीज मिलेंगे, वहीं पंचायत स्तर पर गठित प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी (पैक्स) की आमदनी बढ़ेगी।
47 फीसद किसानों को मिल पा रहा है उन्नत प्रमाणित बीज
एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल देश में 47 फीसद किसानों को ही उनकी जरूरत का उन्नत प्रमाणित बीज उपलब्ध हो पा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रति किलो ब्रीडर सीड (जनक बीज) से न्यूनतम 40 किलो फाउंडेशन सीड तैयार होता है। उसी तरह एक किलो फाउंडेशन सीड से 40 किलो प्रमाणित बीज तैयार होता है, जो किसानों की बोआई के काम आ सकता है।
15 से 20 फीसद तक बढ़ाया जा सकता है उत्पादकता
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्नत बीजों की रिप्लेसमेंट दर से 15 से 20 फीसद तक उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक सहकारी क्षेत्र की पांचो प्रमोटर कंपनियों ने नई कंपनी के लिए अपना प्रस्ताव भेजकर अपनी संस्तुति दे दी है। राष्ट्रीय सहकारी बीज सोसाइटी के बोर्ड में इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) और राष्ट्रीय बीज निगम के सदस्यों भी शामिल किया जाएगा। बीजों को प्रमाणित करने के लिए फिलहाल 170 लैबोरेटरीज स्थापित हैं, जिनकी संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी। इसके बोर्ड में बीज के क्षेत्र में काम करने वाली सोसाइटियां सदस्य हो सकती हैं।
सहकारी समितियों की क्षमता में की जाएगी वृद्धि
सोसाइटी के कार्यकलापों के बारे में बताया गया कि इसके तहत बीजों के उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, बीजों की मार्केटिंग और वितरण के लिए सहकारी समितियों की क्षमता में वृद्धि की जाएगी। सहकारी क्षेत्र में जहां अभी 13.30 फीसद का प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हो रहा है उसमें वृद्धि की अनुमान है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए यह वरदान साबित हो सकता है।
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