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खाड़ी देशों में PFI की जड़ें मजबूत; हवाला के जरिए भारत भेजा गया पैसा, जांच एजेंसियों को मिले सुराग

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए के सूत्रों ने बताया कि पीएफआई को कथित तौर पर हवाला के जरिए अपने यूएई और खाड़ी देशों के सदस्यों से बड़ी रकम मिली थी। PFI को कैसे मिलती थी रकम जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Mon, 26 Sep 2022 07:46 PM (IST)
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पीएफआई को कथित तौर पर हवाला के जरिए अपने यूएई और खाड़ी देशों के सदस्यों से बड़ी रकम मिली थी।

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। पीएफआई को कथित तौर पर हवाला के जरिए अपने यूएई और खाड़ी देशों के सदस्यों से बड़ी रकम मिली थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए के सूत्रों ने उक्‍त जानकारी देते हुए बताया कि एनआरआई के खातों का इस्तेमाल पीएफआई सदस्य खाड़ी देशों से फंड भेजने के लिए कर रहे थे। सूत्रों का कहना था कि फंड हासिल करने के बाद सदस्य इसे दूसरे खाते में स्थानांतरित कर देते थे। बाद में यह रकम घूम फ‍िरकर पीएफआई तक पहुंचती थी।

पीएफआई ने नकली संगठन बनाए

रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएफआइ के समर्थक और सदस्य संयुक्त अरब अमीरात, कतर, तुर्की और ओमान में काम कर रहे थे। इन मुल्‍कों से वे पीएफआई को आर्थिक मदद दे रहे थे। इस पैसे को कथित तौर पर पीएफआई ने एजेंसियों की नजर से छुपाया। इतना ही नहीं जांच एजेंसियों को बेवकूफ बनाने के लिए पीएफआई ने कई नकली संगठन बनाए। इनमें से तीन विदेश में स्थापित किए गए थे।

हवाला के जरिए भारत भेजी रकम

सूत्रों ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कई पीएफआई कार्यकर्ताओं ने संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की। इसका मकसद कथित तौर पर संगठन के लिए धन जुटाना था। पीएफआई के सदस्यों की ओर से कथित तौर पर हवाला के जरिए भारी मात्रा में नकदी भारत भेजी गई थी। पीएफआई कार्यकर्ताओं ने ओमान से हवाला मार्गों के जरिए भारत लगभग 44 लाख रुपये भेजे।

कट्टरपंथी बनाकर धन जुटाया

एजेंसियों का आरोप है कि पीएफआइ ने खाड़ी देशों में अपने सदस्यों और व्यापारियों को कट्टरपंथी बनाकर धन जुटाया। सूत्रों ने बताया कि पीएफआइ व्‍यापारियों को लुभाले के लिए विशेष वीडियो दिखाते थे कि भारत में मुसलमान कैसे असुरक्षित हैं। सैफू जो अबू धाबी में पीएफआई का कथित सदस्य है, अचल संपत्ति का कारोबार संभालता है। सऊदी अरब में लोग पीएफआई के सदस्‍य भारतीय मुसलमानों (Indian Muslims) से उनकी मदद करने के बहाने जुड़ते हैं, जबकि इनका असल उद्देश्य उन्हें कट्टरपंथी बनाना है।

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