Move to Jagran APP

सेना की क्षमता बढ़ाएगा प्रीडेटर ड्रोन, नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार बोले- यह 33 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बुधवार को कहा कि प्रीडेटर ड्रोन सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाएगा। सेना इसकी खरीद को लेकर उत्सुक है। इन ड्रोनों का संचालन भारतीय नौसेना करती रही है। ये हेल (हाई अल्टीट्यूड लांग एंडुरेंस ड्रोन) वर्ग में आती हैं। उन्होंने कहा कि हमने इनमें से दो को नवंबर 2020 से लीज पर लिया था। तब से संचालन कर रहे हैं।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 29 Jun 2023 12:51 AM (IST)
Hero Image
नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार बोले- सेना की क्षमता बढ़ाएगा प्रीडेटर ड्रोन। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, एएनआई। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बुधवार को कहा कि प्रीडेटर ड्रोन सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाएगा। सेना इसकी खरीद को लेकर उत्सुक है। इन ड्रोनों का संचालन भारतीय नौसेना करती रही है। ये हेल (हाई अल्टीट्यूड लांग एंडुरेंस ड्रोन) वर्ग में आती हैं। हमने महसूस किया है कि बेहतर निगरानी और समुद्री क्षेत्र में पहुंच बढ़ाने के लिए इनकी आवश्यकता है।

2020 में दो को लिया गया था लीज पर

उन्होंने कहा कि हमने इनमें से दो को नवंबर 2020 से लीज पर लिया था। तब से संचालन कर रहे हैं। सेना इससे मिलने वाले फायदे और बढ़त को जानती है। यह बड़े क्षेत्र पर निगरानी में मदद कर सकती है। हम अभी जिसका उपयोग कर रहे हैं, उसकी क्षमता निकट भविष्य में खरीदे जाने वाले उपकरणों की तुलना में काफी कम है।

महासागर में जाना पड़ता है 2500 से 3000 मील तक

नौसेना प्रमुख ने कहा कि हिंद महासागर में आपको 2500 से 3000 मील तक जाना पड़ता है। शांति के समय में हम ड्रोन का प्रयोग खुफिया जानकारी प्राप्त करने, निगरानी और टोही मिशन के लिए करते हैं। साथ ही संकट या युद्ध की स्थिति में पता लगाने, नजर रखने और निशाना बनाने में प्रयोग संभव है।

33 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है प्रीडेटर ड्रोन

प्रीडेटर ड्रोन लगभग 33 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। यह समुद्र के सुदूर इलाकों तक पहुंच सकता है, जिन्हें हम निरंतर निगरानी में रखना चाहते हैं। यह वास्तव में उपग्रह द्वारा संभव नहीं है। अभी हमारे पास इन हेल यूएवी के लिए तकनीक नहीं है। वे 40,000 फीट से ऊपर उड़ सकते हैं।

अमेरिका से भारत आएंगे10 ड्रोन

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि शुरुआती दस ड्रोन अमेरिका में निर्मित होकर यहां आएंगे। बाकी का निर्माण यहां होगा, जिससे हमें विभिन्न प्रौद्योगिकियों का लाभ मिलेगा। यह एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा और भारत को नवाचार के लिए वैश्विक मानव रहित हवाई प्रणाली केंद्र में बदलने की सुविधा प्रदान करेगा।