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सेवानिवृति लाभों के मामले में उपभोक्ता अदालतों को सुनवाई का अधिकार नहीं, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का फैसला

सेवानिवृत लाभ या नौकरी समाप्ति के बाद मिलने वाले लाभों के लिए उपभोक्ता अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। ईपीएफ (इम्पलाई प्राविडेंड फंड) को छोड़कर सेवानिवृति के लाभ से जुड़े मामले उपभोक्ता कानून के दायरे में नहीं आते।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 07 Aug 2022 08:51 PM (IST)
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राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने उपभोक्ता अदालतों की सीमा रेखा को रेखांकित किया है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सेवानिवृत्ति लाभ या नौकरी समाप्ति के बाद मिलने वाले लाभों के लिए उपभोक्ता अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। ईपीएफ (इंप्लाई प्राविडेंट फंड) को छोड़कर सेवानिवृत्ति के लाभ से जुड़े मामले उपभोक्ता कानून के दायरे में नहीं आते हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने पूर्व बैंक कर्मी कोंडारेड्डीगारी आदिनारायणारेड्डी की पुनरीक्षण याचिका को सुनवाई योग्य नहीं पाते हुए यह बात कही।

यह की गई थी मांग 

याचिकाकर्ता ने आयोग से ग्रेच्युटी के साथ ही प्राविडेंट फंड में बैंक द्वारा जमा कराया गया हिस्सा दिलाने की मांग की थी। हालांकि आयोग ने शिकायतकर्ता को सक्षम ट्रिब्यूनल या सिविल कोर्ट जाने की छूट दी है। शिकायतकर्ता को फर्जी जाति प्रमाणपत्र की मदद से नौकरी लेने पर बैंक ने बर्खास्त कर दिया था।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग आया मामला

इस पर शिकायतकर्ता ने ग्रेच्युटी और प्राविडेंट फंड में बैंक की ओर से जमा कराया गया हिस्सा दिलाने की मांग की और जिला उपभोक्ता फोरम में अर्जी डाली। जब वहां उसकी याचिका खारिज हो गई तो वह राज्य उपभोक्ता आयोग गया। वहां से भी उसे राहत नहीं मिली। इसके बाद मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग आया। दोनों निचले फोरम पर पूर्व बैंक कर्मी की याचिका तो खारिज कर दी गई थी, लेकिन बैंक द्वारा याचिका की सुनवाई के क्षेत्राधिकार को लेकर उठाई गई आपत्ति पर विचार नहीं किया था।

सेवानिवृत्ति के लाभ संबंधी शिकायतें उपभोक्ता कानून के दायरे में नहीं

आयोग ने इस मामले में सेवानिवृति के लाभों से जुड़े मामलों पर उपभोक्ता अदालतों के सुनवाई के अधिकार पर विचार किया और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक चौधरी को न्यायमित्र नियुक्त किया। उन्होंने आयोग को बताया कि सेवानिवृत्ति के लाभ संबंधी शिकायतें उपभोक्ता कानून के दायरे में नहीं आतीं और उपभोक्ता अदालतों को ईपीएफ को छोड़कर ग्रेच्युटी आदि के मामलों पर सुनवाई का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया हवाला

न्याय मित्र का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों में कहा गया है कि ईपीएफ के मामले उपभोक्ता कानून के दायरे में आते हैं। ये दो फैसले शिव कुमार जोशी और रीजनल प्राविडेंट फंड बनाम भवानी हैं। जबकि दो अन्य फैसले भी हैं (जगमित्तर सिंह भगत और श्रीपत राव कामडे) जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी के सेवा संबंधी मामले उपभोक्ता कानून के तहत नहीं आते, क्योंकि वे उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आते। इनके लिए शिकायतकर्ता को सक्षम सर्विस ट्रिब्यूनल या सिविल कोर्ट जाना चाहिए।

ग्रेच्युटी का मामला सर्विस मैटर

आयोग ने न्यायमित्र के सुझाव से सहमति जताते हुए कहा कि ग्रेच्युटी का मामला सर्विस मैटर में आता है और उपभोक्ता संरक्षण कानून की परिधि में ऐसे मामले नहीं आते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक इंप्लाई प्राविडेंट फंड योजना तो उपभोक्ता कानून के दायरे में आएगी लेकिन प्राविडेंट फंड और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ का मामला उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में नहीं आता।