NCERT ने 12वीं की किताब से हटाए 'खालिस्तान' और 'सिख राष्ट्र' जैसे शब्द, 2006 में लाई गई थी यह किताब
एसजीपीसी ने 1973 के आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के पढ़ाए जाने वाले उन शब्दों को हटाने की मांग शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार ने मंगलवार को 12वीं कक्षा में पढ़ाई जा रही एनसीईआरटी की राजनीतिक शास्त्र की किताब में किए गए इन सुधारों की जानकारी दी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनसीईआरटी ने अपनी 12वीं की राजनीति शास्त्र की किताब से सिखों की छवि धूमिल करने वाले उस पूरे हिस्से को हटा दिया है, जिसमें खालिस्तान और सिख राष्ट्र जैसे शब्दों का जिक्र था या फिर उस मांग का समर्थन कर रहे थे। एनसीईआरटी ने यह फैसला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एसजीपीसी) के अनुरोध पर किया है।
सभी बदलावों को तत्काल प्रभाव से अमल में लाया गया
एसजीपीसी ने 1973 के आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के पढ़ाए जाने वाले उन शब्दों को हटाने की मांग की थी, जो नई पीढ़ी के सामने सिख समाज की अलग छवि गढ़ रहे थे। कमेटी का कहना था कि प्रस्ताव को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, उसमें इन बातों का जिक्र नहीं है। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार ने मंगलवार को 12वीं कक्षा में पढ़ाई जा रही एनसीईआरटी की राजनीतिक शास्त्र की किताब में किए गए इन सुधारों की जानकारी दी। साथ ही बताया कि इन सभी बदलावों को तत्काल प्रभाव से अमल में भी लाया गया है।
डिजिटल बुक में भी किया गया ठीक
ऑनलाइन उपलब्ध डिजिटल किताब में इसे ठीक कर दिया गया है। साथ ही सीबीएसई सहित दूसरे स्कूल बोर्डों को भी इन बदलावों को लेकर अवगत करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह बदलाव एनसीईआरटी ने तय मानकों के तहत विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश पर ही किए हैं। इससे पहले विशेषज्ञ कमेटी ने एसजीपीसी की उन सभी आपत्तियों को जांचा और आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को नए सिरे से बारीकी से पढ़ा। इसके बाद इन शब्दों को हटाने की सिफारिश की गई।
किताब वर्ष 2006 में छपकर आई थी
स्कूलों में 12वीं कक्षा में पढ़ाई जा रही राजनीति शास्त्र की किताब की सामग्री वैसे तो वर्ष 2005 में तैयार की गई थी, लेकिन किताब वर्ष 2006 में छपकर आई। राजनीति से जुड़े खंड में क्षेत्रीय आकांक्षाएं नामक पाठ में पंजाब की राजनीति का जिक्र है। इसमें 1973 के आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का जिक्र करते हुए उनमें खालिस्तान और अलग सिख राष्ट्र जैसी बातों को जिक्र किया गया है।
पहले भी अपनी किताबों से कई अंश हटा चुकी है एनसीईआरटी
एनसीईआरटी ने विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश के बाद इन शब्दों को हटा दिया है और प्रस्ताव का सही पक्ष रखा है। इस पाठ की दो लाइनों में यह बदलाव किया गया है। बता दें कि एनसीईआरटी इससे पहले भी अपनी किताबों से कई अंश हटा चुकी है। इसके पीछे एनसीईआरटी का तर्क है कि पाठ्यक्रम को छोटा करने की प्रक्रिया के तहत यह फैसला लिया गया है। जानकारों की मानें तो अगले वर्ष तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार होने वाली किताबों में और भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।