38 हजार बच्चों को कलाम बनने का सामर्थ्य देने का नाम है ‘कलाम भारत’ प्रोजेक्ट
A. P. J. Abdul Kalam Birth Anniversary कलाम ने हमेशा कहा करते थे कि भारत के युवा ही देश की असली ताकत हैं। इनके ही दम पर भारत विश्व शक्ति बनेगा।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 15 Oct 2019 08:44 AM (IST)
नई दिल्ली, अतुल पटैरिया। A. P. J. Abdul Kalam Birth Anniversary: महान वैज्ञानिक, शिक्षक व पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 88वीं जयंती है। कलाम ने शिक्षा को नए भारत का आधार बताया था। उनके द्वारा 2012 में स्थापित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर इस दिशा में अनुकरणीय कार्य कर रहा है। कलाम सेंटर के नाम से ख्यात इस संस्था के सह-संस्थापक और सीईओ सृजन पाल सिंह इन प्रयासों का मर्म समझाते हुए उम्मीद जताते हैं कि कलाम सर का सपना जल्द पूरा होगा।
सृजन कहते हैं, ‘शिक्षा का महत्व डॉ. कलाम भलीभांति समझते थे। लिहाजा, जीवनभर वह इस ध्येय की पूर्ति में रत रहे। आइआइएम शिलांग में छात्रों को संबोधित करते हुए ही उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उस क्षण भी मैं उनके साथ था। नई दिल्ली में जब उन्होंने कलाम सेंटर की नींव रखी थी, तब मुझे उनके इस महान उद्देश्य में बतौर सह-संस्थापक जुड़ने का सौभाग्य मिला। 2009 में आइआइएम, अहमदाबाद से प्रबंधन में गोल्ड मेडल प्राप्त करने के बाद मैं डॉ. कलाम का स्थायी सहायक बन गया था।
राष्ट्रपति भवन में मैं बतौर स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर (एडवाइजर, पॉलिसी एंड टेक्नोलॉजी) नियुक्त था। मैंने कलाम सर के दर्शन और व्यक्त्वि को बेहद निकटता से देखा-समझा। यह मेरा परम सौभाग्य ही था कि उन्होंने देश के लिए अपने महान स्वप्न की पूर्ति में जुड़ने का मुझे अवसर दिया। उनका स्पष्ट संदेश था कि शिक्षा के दम पर ही भारत सफलता के स्वर्णिम दौर में प्रवेश कर सकता है। शिक्षा उनका प्रिय विषय था और इसकी पूर्ति में उन्होंने हरसंभव प्रयास किया। कलाम सेंटर आज उनके इन उद्देश्यों की पूर्ति में जी-जान से जुटा हुआ है।’
2018 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देशभर के जिलों में शिक्षा की स्थिति-प्रगति पर नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट जारी की। इसमें तेलंगाना पीछे छूटता दिख रहा था। स्कूली छात्रों में शिक्षा का स्तर अपेक्षा से नीचे चिह्नित हुआ। इसके अलावा, सर्वे में सामने आया कि देश के कई जिलों में स्कूली बच्चों में नैतिक मूल्यों का स्तर भी अपेक्षाकृत कमतर है।
डॉ. कलाम ने हमेशा कहा कि युवा ही देश की असल ताकत हैं, जिनके दम पर भारत विश्व शक्ति बनेगा। लिहाजा, तेलंगाना में स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने और देश की स्कूली शिक्षा में नैतिक मूल्यों का समावेश करने के लिए कलाम सेंटर ने व्यापक प्रयास प्रारंभ किए, ताकि नए भारत का सृजन करने वाली सामथ्र्यवान नई पीढ़ी हम गढ़ सकें। ‘कलाम भारत’ प्रोग्राम आज तेलंगाना सहित देश के अनेक हिस्सों में गतिशील हो चुका है। अनेक युवा इसमें अभूतपूर्व उत्साह और पूरी जिम्मेदारी के साथ सहभागिता कर रहे हैं। इस प्रोग्राम से जुड़ने के लिए देश के कोने-कोने से सुशिक्षित युवा कलाम सेंटर से संपर्क करते हैं। इन युवाओं को अपने जिले के एक-एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक-स्वयंसेवक काम करने का मौका दिया जाता है।
वे वहां 16 सप्ताह में कुल 100 घंटे का योगदान देते हैं और ऐसा कर कलाम सर के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर स्वयं को कृतज्ञ महसूस करते हैं। ये वालंटियर सरकारी स्कूल के बच्चों को विज्ञान और भारतीय मूल्यों की शिक्षा देने में अहम योगदान दे रहे हैं। एक विशेष कोर्स भी बनाया गया है, ताकि बच्चों को कारगर युक्ति से सिखाया पढ़ाया जा सके। बच्चों से विशेष संवाद और सतत परामर्श भी इस प्रक्रिया का हिस्सा है, ताकि जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने, बड़े सपने संजोने और इन्हें पूरा करने का साहस व सामथ्र्य उनमें भरा जा सके। हम अब तक 270 स्कूलों के 38 हजार से अधिक बच्चों को ‘कलाम’ बनने का बड़ा लक्ष्य दे चुके हैं।
कलाम लाइब्रेरी प्रोजेक्ट का उद्घाटन आजडॉ. कलाम हमेशा मानते थे कि देश के हर बच्चे को सदुपयोगी पुस्तकों की आसान उपलब्धता आवश्यक है। कलाम भारत कार्यक्रम के तहत कलाम सेंटर द्वारा कलाम लाइब्रेरी प्रोजेक्ट के रूप में तेलंगाना के 270 स्कूलों में पुस्तकालय भी खोले गए हैं, जिनका विधिवत उद्घाटन आज डॉ. कलाम की 88वीं जयंती पर किया जाएगा। पुस्तकालयों के अलावा इन स्कूलों में खेल उपकरण और संसाधन भी मुहैया कराए गए हैं।
कलाम सर कहा करते थे कि युवा ही नए भारत का सृजन करेंगे। हम ऐसी पीढ़ी तैयार करने में जुट गए हैं, जिसके लिए अविश्वास और असंभव जैसा कुछ न हो। यही डॉ. कलाम चाहते थे।- सृजन पाल सिंह, सह संस्थापक व सीईओ, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटरयह भी पढ़ें:-एक Missile Man जो Fighter Pilot Test में गए थे पिछड़, लेकिन अपने सपनों को दी नई उड़ान