दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत के, प्रदूषित देशों में भारत का तीसरा स्थान
दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहर भारत के हैं। इसके अलावा पांच शहर चीन के दो शहर पाकिस्तान के और एक शहर बांग्लादेश का शामिल हैं। यहां देखें Top 50 की सूची।
By Amit SinghEdited By: Updated: Wed, 06 Mar 2019 10:31 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अंधाधुंध विकास की कीमत केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों को भी चुकानी पड़ती है। यही हाल इस वक्त भारत की भी है। तेजी से विकास की वजह से भारत के 07 शहर दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं। इनमें से भी 05 शहर देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि एनसीआर का इलाका पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित है।
एयर विजुअल और ग्रीनपीस द्वारा जारी वायु प्रदूषण की रिपोर्ट में वर्ष 2018 के 12 महीनों में दुनिया के 73 देशों के 3095 शहरों में वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट में टॉप 10 प्रदूषित शहरों में भारत के अलावा 02 पाकिस्तान और 01 चीन का शहर शामिल है। अगर दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें तो इसमें 22 शहर भारत के, 05 शहर चीन के, 02 शहर पाकिस्तान के और 01 शहर बांग्लादेश का शामिल है।
एनसीआर का प्रमुख औद्योगिक शहर गुड़गांव को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। वर्ष 2018 में गुड़गांव का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 135.8 रिकॉर्ड किया गया है, जो कि अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) द्वारा निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा है और बेहद खराब श्रेणी में आता है। नवंबर व दिसंबर 2018 में गुड़गांव में PM 2.5 का स्तर 200 से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है। इसके अलावा सबसे प्रदूषित शहरों की Top-10 सूची में एनसीआर का शहर गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा भी शामिल है। इनके अलावा पटना और लखनऊ भी Top-10 सूची में क्रमशः सातवें और दसवें नंबर पर हैं।
Top-50 में भारत-चीन लगभग बराबर
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने वायु प्रदूषण की स्थिति में काफी सुधार किया है। बावजूद अगर दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें तो यहां भारत और चीन लगभग बराबरी पर हैं। Top-50 में भारत के 25 शहर, चीन के 22 शहर, पाकिस्तान के 02 और बांग्लादेश का 01 शहर शामिल है। सबसे प्रदूषित देश में तीसरा स्थान
सबसे प्रदूषित देशों की सूची में भारत का स्थान तीसरा है। इस वर्ग में सबसे ऊपर बांग्लादेश और उसके बाद पाकिस्तान है। इसके बाद क्रमशः अफगानिस्तान, बहरीन, मंगोलिया, कुवैत, नेपाल, यूनाइटे अरब अमीरात (UAE) और नाइजीरिया Top-10 शहरों में शामिल है। सबसे प्रदूषित देशों की सूची में चीन 12वें स्थान पर है। दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी
दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में शामिल है। इसके बाद दूसरे नंबर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका, तीसरे नंबर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल, चौथे नंबर पर बहरीन की राजधानी मनामा, पांचवें नंबर पर मंगोलिया की राजधानी उलानबतार, छठवें नंबर पर कुवैत की राजधानी कुवैत सिटी, सातवें नंबर पर नेपाल की राजधानी काठमांडु, आठवें नंबर पर चीन की राजधानी बीजिंग, नौवें नंबर पर यूएई की राजधानी अबुधाबी और दसवें स्थान पर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता सबसे प्रदूषित राजधानियों में शामिल है। 70 लाख मौते हो रहीं प्रदूषण से
रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया में प्रति वर्ष तकरीबन 70 लाख लोगों की असमय मौते हो रही हैं। अर्थ व्यवस्था पर भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। साल दर साल मौते और नुकसान का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जो विश्व के लिए एक बड़ी चिंता है। ग्रीनपीस (Greenpeace) संस्था में दक्षिण-पूर्वी एशिया के कार्यकारी निदेशक येब सनो (Yeb Sano) के अनुसार वायु प्रदूषण से हमारी आजीविका और भविष्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण से प्रतिवर्ष दुनिया भर में होने वाली आकस्मिक मौतों से करीब 225 बिलियन डॉलर्स (करबी 15,859 अरब रुपये) का श्रमिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा प्रदूषण की वजह से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर से ज्यादा दवाओं पर खर्च हो जाते हैं। जलवायु परिवर्तन है मुख्य वजह
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की वजह जलवायु परिवर्तन भी है। पर्यावरण में बदलाव और जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं से पूरी वायु प्रदूषण से जूझ रही है। इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग और ईंधन के तौर पर कोयले का प्रयोग भी प्रदूषण की प्रमुख वजहों में शामिल है। येब सनो के अनुसार प्रदूषण की सबसे कॉमन वजह ईंधन के तौर पर कोयले, तेल और गैजस का अत्यधिक उपयोग करना और जंगलों का तेजी से कटना है।यह भी पढ़ें-
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रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने वायु प्रदूषण की स्थिति में काफी सुधार किया है। बावजूद अगर दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें तो यहां भारत और चीन लगभग बराबरी पर हैं। Top-50 में भारत के 25 शहर, चीन के 22 शहर, पाकिस्तान के 02 और बांग्लादेश का 01 शहर शामिल है। सबसे प्रदूषित देश में तीसरा स्थान
सबसे प्रदूषित देशों की सूची में भारत का स्थान तीसरा है। इस वर्ग में सबसे ऊपर बांग्लादेश और उसके बाद पाकिस्तान है। इसके बाद क्रमशः अफगानिस्तान, बहरीन, मंगोलिया, कुवैत, नेपाल, यूनाइटे अरब अमीरात (UAE) और नाइजीरिया Top-10 शहरों में शामिल है। सबसे प्रदूषित देशों की सूची में चीन 12वें स्थान पर है। दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी
दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में शामिल है। इसके बाद दूसरे नंबर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका, तीसरे नंबर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल, चौथे नंबर पर बहरीन की राजधानी मनामा, पांचवें नंबर पर मंगोलिया की राजधानी उलानबतार, छठवें नंबर पर कुवैत की राजधानी कुवैत सिटी, सातवें नंबर पर नेपाल की राजधानी काठमांडु, आठवें नंबर पर चीन की राजधानी बीजिंग, नौवें नंबर पर यूएई की राजधानी अबुधाबी और दसवें स्थान पर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता सबसे प्रदूषित राजधानियों में शामिल है। 70 लाख मौते हो रहीं प्रदूषण से
रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया में प्रति वर्ष तकरीबन 70 लाख लोगों की असमय मौते हो रही हैं। अर्थ व्यवस्था पर भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। साल दर साल मौते और नुकसान का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जो विश्व के लिए एक बड़ी चिंता है। ग्रीनपीस (Greenpeace) संस्था में दक्षिण-पूर्वी एशिया के कार्यकारी निदेशक येब सनो (Yeb Sano) के अनुसार वायु प्रदूषण से हमारी आजीविका और भविष्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण से प्रतिवर्ष दुनिया भर में होने वाली आकस्मिक मौतों से करीब 225 बिलियन डॉलर्स (करबी 15,859 अरब रुपये) का श्रमिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा प्रदूषण की वजह से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर से ज्यादा दवाओं पर खर्च हो जाते हैं। जलवायु परिवर्तन है मुख्य वजह
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की वजह जलवायु परिवर्तन भी है। पर्यावरण में बदलाव और जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं से पूरी वायु प्रदूषण से जूझ रही है। इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग और ईंधन के तौर पर कोयले का प्रयोग भी प्रदूषण की प्रमुख वजहों में शामिल है। येब सनो के अनुसार प्रदूषण की सबसे कॉमन वजह ईंधन के तौर पर कोयले, तेल और गैजस का अत्यधिक उपयोग करना और जंगलों का तेजी से कटना है।यह भी पढ़ें-
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