सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर: ऑल इंडिया टॉपर से सियासत की 'बाजीगरी' तक; तमिलनाडु से कैसे पहुंचे वामपंथ के गढ़?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वे फेफड़े के संक्रमण के इलाज के लिए 19 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति के एक प्रमुख चेहरे थे जो आपातकाल के समय जेल भी गए। सीताराम 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हुए तो फिर विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्य किया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है। येचुरी को फेफड़े में संक्रमण के उपचार के लिए 19 अगस्त को एम्स में भर्ती किया गया था, जहां उनका आईसीयू में इलाज चल रहा था।
सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति का एक प्रमुख चेहरा थे। सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता एसएस येचुरी आंध्र प्रदेश परिवहन विभाग में इंजीनियर थे। मां कलपक्म येचुरी सरकारी कर्मचारी थीं।
येचुरी का पालन-पोषण हैदराबाद में हुआ। हैदराबाद के ऑल सैंट हाईस्कूल से शुरुआती पढ़ाई पूरी की। इसके बाद साल 1969 में आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। यहां प्रेसिडेंट स्कूल नई दिल्ली में दाखिला लिया। सीताराम ने 12वीं की परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप किया था।
फिर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) अर्थशास्त्र से परास्नातक किया। फिर जेएनयू में ही पीएचडी में दाखिला लिया, लेकिन 1975 में आपातकाल में जेल जाने के कारण पीएचडी पूरी नहीं कर सके।
राजनीतिक सफर
सीताराम येचुरी साल 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हुए। वह साल 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े थे।आपातकाल के बाद वह एक साल में 1977-78 में तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। सीताराम येचुरी एसएफआई के ऐसे पहले अध्यक्ष थे, जो केरल या बंगाल से नहीं थे। वह 1984 में सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के लिए चयनित हुए। साल 1986 में उन्होंने एसएफआई छोड़ दी।