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देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में यूपी के छह शहर, दिल्ली 10वां प्रदूषित शहर

देश की राजधानी दिल्ली की हवा में हल्का सुधार देखने को मिला है। दिल्ली इस सूची में 10वें नंबर पर है जबकि एक साल पहले यह आठवें नंबर पर थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 07:38 AM (IST)
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देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में यूपी के छह शहर, दिल्ली 10वां प्रदूषित शहर
नई दिल्ली, प्रेट्र। झारखंड का झरिया देश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। यह शहर देश के सबसे बड़े कोयला स्नोतों में से एक है। देश की राजधानी दिल्ली की हवा में हल्का सुधार देखने को मिला है। दिल्ली इस सूची में 10वें नंबर पर है, जबकि एक साल पहले यह आठवें नंबर पर थी। नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में तीसरे नंबर पर है। वहीं, देश के 10 शीर्ष सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह शहर नोएडा, गाजियाबाद, बरेली, इलाहाबाद, मुरादाबाद और फिरोजाबाद हैं। इसका मतलब देश के सबसे प्रदूषित दस शहरों में तीन दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हैं। ग्रीनपीस इंडिया द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

मिजोरम का लुंगलेई सबसे कम प्रदूषित शहर

ग्रीनपीस इंडिया की यह रिपोर्ट वर्ष 2018 में देश के 287 शहरों में पीएम 10 के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इसके मुताबिक, झारखंड राज्य का ही धनबाद भारत का दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर है, जिसे उसके कोयला भंडार और उद्योगों के लिए जाना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, मिजोरम का लुंगलेई देश का सबसे कम प्रदूषित शहर है। इसके बाद मेघालय का डौकी शहर है। लुंगलेई देश का अकेला ऐसा शहर है जहां पीएम 10 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मान्यता प्राप्त 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी कम है।

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सुधार के लिए उठाए गए कदमों का असर अगली रिपोर्ट में

विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीनपीस के आंकड़े 2018 के हैं और बीते दो वर्षों में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसलिए यह आंकड़े वास्तविकता को नहीं बताते। वायु प्रदूषण में सुधार के लिए उठाए गए कदमों का असर अगले साल की रिपोर्ट में दिखाई देगा। पर्यावरण मंत्रलय ने जनवरी 2019 में पांच साल के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) का आगाज किया था। इस कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न शहरों की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2024 तक 20-30 फीसद कमी करने का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए आधार वर्ष 2017 तय किया गया था। ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय शहर एनसीएपी के तहत चुने गए लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सही ढंग से नहीं बढ़ रहे हैं।