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गवर्नर या मुख्यमंत्री, किसके पास हैं ज्यादा शक्तियां? राज्यपाल किसे सौंपते हैं अपना इस्तीफा और कौन करता है नियुक्ति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार रात राजस्थान झारखंड छत्तीसगढ़ पंजाब और असम में राज्‍यपालों की नियुक्ति की है। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को ही मणिपुर का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया है। जब राज्य की कमान मुख्यमंत्री संभालते हैं। चुने हुए सांसद और विधायक काम करते हैं सरकारी अधिकारी नीतियां लागू कराते हैं तो फिर राज्यपाल की आवश्यकता क्यों पड़ी?

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 29 Jul 2024 08:27 PM (IST)
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राज्‍यपाल के बारे में संविधान में क्या लिखा है, जानें सब कुछ। जागरण ग्राफिक्‍स टीम

 डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र, सिक्किम, मेघालय और असम में राज्‍यपालों की नियुक्ति की है। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को ही मणिपुर का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया है।

अक्‍सर आप राज्‍यपाल की नियुक्ति या फिर उनके बयानों के बारे में सुनते हैं। क्‍या कभी आपने सोचा कि राज्यपाल कौन होता है और इनकी आवश्यकता क्यों पड़ी? राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है, उनके अधिकार क्या होते हैं? संविधान में राज्यपाल के बारे में क्या लिखा है? राज्यपाल बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए होती है? राज्‍यपाल क्‍या शपथ लेते हैं और इन्‍हें पद से कैसे हटाया जाता है? राज्यपाल और उप राज्यपाल में फर्क क्या है?

जब राज्य की कमान मुख्यमंत्री संभालते हैं। चुने हुए सांसद और विधायक काम करते हैं, सरकारी अधिकारी नीतियां लागू कराते हैं तो राज्यपाल करते क्‍या हैं? ऐसे कई सवालों के जवाब यहां पढ़िए....

राज्‍यपाल की आवश्यकता क्यों पड़ी?

बात उन दिनों की है, जब देश को आजादी मिले सिर्फ दो साल ही हुए थे। अमेरिका से उठी 'फेडरलिज्म' की सोच, जिसे दुनिया भर के लोकतांत्रिक देश अपनाने की कोशिश कर रहे थे या इस पर विचार कर रहे थे।

फेडरलिज्म यानी एक ऐसी व्यवस्था- जहां केंद्र और राज्‍य सरकार के बीच शक्ति और जिम्‍मेदारी का बंटवारा हो। दोनों सरकारें एक-दूसरे के काम में दखलंदाजी न करें।

तब देश की राजधानी दिल्‍ली में संविधान बनाने पर जोर-शोर से काम चल रहा था। इस मुद्दे पर भी संविधान सभा में विचार विमर्श हुआ कि आखिर भारत में 'फेडरलिज्म' कैसे लागू किया जाए। तब गवर्नर यानी राज्‍यपाल के पद पर बात हुई।

यह पद देश में आजादी से पहले भी थी। तब वायसराय प्रशासनिक पकड़ को मजबूत रखने के लिए अलग-अलग प्रांतों में गवर्नर की नियुक्ति किया करते थे, लेकिन अब भारत लोकतांत्रिक देश बन चुका था तो ऐसे में गवर्नर की जगह होगी या नहीं। अगर होगी तो उसके पास क्‍या शक्तियां होंगी, इस पर चर्चा हुई।

आखिर में फैसला लिया गया कि जैसे देश के राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्‍य के प्रमुख राज्‍यपाल यानी गवर्नर होंगे।आजादी के बाद गवर्नर की नियुक्ति के पीछे का उददेश्‍य था कि संघीय ढांचे को सुचारु रूप से चलाया जा सके।

अगर कोई राज्‍य सरकार अपनी जिम्‍मेदारी ठीक से न निभाए तो केंद्र उस पर अंकुश लगा सके। यही वजह है कि किसी राज्य सरकार के बर्खास्त होने में गवर्नर की एक बड़ी भूमिका होती है। राज्‍यपाल राज्‍य और केंद्र सरार के बीच एक कड़ी के तौर पर काम करता है। साथ ही किसी भी संवैधानिक विवाद की स्थिति में मध्यस्थता कराता है।

राज्यपाल कौन होता है?

राज्यपाल यानी राज्य का संवैधानिक मुखिया। राज्यपाल की राज्‍य में वहीं भूमिका होती है, जो केंद्र में राष्ट्रपति की होती है। राज्यपाल का पद मात्र शोभा का पद नहीं है, बल्कि राज्यपाल का काम यह सुनिश्चित करना है कि राज्‍य में शासन व्‍यवस्‍था सुचारु रूप से चलती रहे।

राज्यपाल के हाथों में कार्यपालिका की तमाम शक्तियां निहित होती हैं। राज्‍यपाल राज्‍य का प्रधान होने के साथ ही केंद्र का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

 नियुक्ति में किन बातों पर दिया जाता है ध्‍यान?

खास बात ये है कि एक ही व्यक्ति दो या दो से अधिक राज्यों में राज्यपाल के पद पर रह सकता है। अगर किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति को राज्यपाल बनाया जाता है तो उसे उस दल की सदस्यता से त्यागपत्र देना होता है। जिसे राज्‍यपाल नियुक्‍त किया जाता है, वह किसी दूसरे राज्‍य का ही होता है ताकि पॉलिटिकल इन्‍वॉलमेंट की गुंजाइश न रहे।

राज्यपाल बनने के लिए क्या योग्यता होती है?

संविधान के अनुच्छेद 157 और 158 के मुताबिक,

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  • राज्यपाल संसद के किसी सदन का या विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए।
  • किसी लाभ का पद धारण न करता हो।

राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?

  • किसी भी राज्‍य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • राज्यपाल अपने पद से इस्तीफा देना चाहें तो वे राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर इस्तीफा दे सकते हैं।

राज्यपाल का कार्यकाल कितनी अवधि का होता है?

  • राज्यपाल का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से पांच साल तक का होता है, लेकिन यह राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर होता है।
  • यानी जब तक राष्ट्रपति चाहें, तब तक राज्यपाल अपने पद पर बने रह सकते हैं।
  • राज्यपाल, कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद भी तब तक पद पर बने रहेंगे, जब तक उनका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

राज्यपाल कौन-सी शपथ लेते हैं?

प्रत्येक राज्यपाल और प्रत्येक व्यक्ति, जो राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, अपना पद ग्रहण करने से पहले उस राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेता है। जो कि इस प्रकार है...

''मैं अमुक.......... , ईश्वर की शपथ लेता हूं /सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं श्रद्धापूर्वक ................ (राज्य का नाम) के राज्यपाल के पद का कार्यपालन (अथवा राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन) करूंगा तथा अपनी पूरी योग्यता से विधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा और मैं ............... (राज्य का नाम) की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूंगा ।''

राज्यपाल की शक्तियां और कार्य क्या हैं?

राज्यपाल की शक्तियां संविधान के तहत निर्धारित होती हैं। राज्यपाल राज्य के सुचारू प्रशासन और संविधान के अनुपालन को सुनिश्चित करने में इन शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं। राज्यपाल के पास विधानमंडल से जुड़े कई फैसले लेने का विवेकाधिकार है।

राज्यपाल की भूमिका तब सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। जब चुनाव के बाद फैसला स्पष्ट बहुमत तक नहीं पहुंचता। ऐसी स्थिति में संविधान में ये प्रावधान है कि राज्यपाल अपने विवेक से निर्णय ले सकें।

1. कार्यकारी शक्तियां

  • मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्रिपरिषद को शपथ दिलाना।
  • राज्य की सरकार को संवैधानिक सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • विभिन्न राज्य अधिकारियों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल का निर्धारण।
  • संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करना।
  • विभिन्न विभागों और एजेंसियों की निगरानी करना और नियंत्रण रखना।

2. विधायी शक्तियां

  • विधानसभा के सत्र को बुलाना, स्थगित करना और भंग करना।
  • विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति।
  • विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देना या अस्वीकार करना या पुनर्विचार के लिए वापस भेजना।
  • अगर आवश्यकता पड़े तो अध्यादेश जारी करना, जब विधानसभा सत्र नहीं चल रहा हो।
  • विधायिका में वार्षिक बजट पेश करना।

3. वित्तीय शक्तियां

  • वित्तीय विधेयकों को विधानसभा में पेश करने के लिए अनुमति देना।
  • राज्य के बजट की स्वीकृति और वित्तीय प्रबंधन की निगरानी।
  • राज्य के खजाने से धन का उपयोग करने की अनुमति देना।

4. न्यायिक शक्तियां

  • राज्‍य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की शपथ दिलाना।
  • राज्य के विभिन्न न्यायिक आयोगों और समितियों की स्थापना।
  • कानूनन दोषियों की सजा माफ करना या फिर सजा से राहत देना।

5. प्रशासनिक शक्तियां

  • विभिन्न राज्य विभागों और एजेंसियों का नियंत्रण और निगरानी।
  • प्रशासनिक पुनर्गठन और सुधार संबंधी निर्णय लेना।
  • राज्य के आपातकालीन मामलों में हस्तक्षेप करना और आवश्यक कार्रवाई करना।

अन्य शक्तियां

  • राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में कार्य करना और शिक्षा संबंधित मामलों में निर्णय लेना।
  • राज्य के विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों को वितरण करना।
  • राज्य में आपातकालीन स्थिति के दौरान विशेष शक्तियों का उपयोग करना।

राज्‍यपाल के प्रति मुख्यमंत्री का कर्तव्‍य

  • राज्‍य में मंत्रिपरिषद द्वारा प्रशासन और विधान संबंधी लिए जा रहे फैसलों के बारे में सूचित करें।
  • प्रशासन और विधान संबंधी लिए जा रहे फैसलों के बारे में जो भी जानकारी राज्‍यपाल मांगे, वह दें।
  • ऐसा कोई फैसला जो किसी मंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद में चर्चा के बिना किया गया हो, उस पर राज्‍यपाल ऑब्‍जेक्‍शन करें तो उसे परिषद्‌ के समक्ष विचार के लिए रखें।

राज्यपाल और उपराज्यपाल में क्या अंतर है?

राज्यपाल उपराज्यपाल
राज्यपाल किसी राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। केंद्र-शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उप राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है।
किसी राज्य में सारी शक्तियां मुख्यमंत्री व उसके मंत्रिमंडल के पास होती है, जबकि राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां होती हैं। केंद्र शासित प्रदेश में उप-राज्यपाल वास्तविक प्रशासक होते हैं। इन प्रदेशों में मुख्यमंत्री की शक्तियां नाममात्र की होती है।
राज्यपाल अपने राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है   उप-राज्यपाल भी मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है। 
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उपराज्यपाल की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
वर्तमान में देश के 28 राज्‍यों में राज्‍यपाल नियुक्त होते हैं। देश के पांच केंद्रशासित प्रदेश में उपराज्‍यपाल नियुक्ति किए जाते हैं।

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेशों में अभी दिल्ली, पुडुचेरी और जम्‍मू-कश्‍मीर में दूसरे राज्यों की तरह विधानसभाएं हैं। हालांकि, अभी सिर्फ दिल्ली और पुडुचेरी में ही निर्वाचित सरकार है, जम्मू-कश्‍मीर में नहीं।

राज्‍यपाल को कब और कैसे पद से हटाया जा सकता है?

भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 156 के मुताबिक, राष्ट्रपति के पास राज्‍यपाल को नियुक्ति करने और उसे पद से हटाने की शक्ति होती है। ये शक्तियां पूरी तरह राष्ट्रपति के विवेकाधीन होती हैं।

हालांकि, संविधान के अनुच्छेद के तहत 161 राज्य की मंत्रिपरिषद राज्यपाल को हटाने की सिफारिश कर सकती है, लेकिन हटाने की प्रक्रिया केंद्रीय स्तर पर होती है और अंतिम निर्णय राष्ट्रपति के हाथ में होता है। यानी राष्ट्रपति को केंद्रीय सरकार की सिफारिश पर हटाने का फैसला करना होता है।

किस राज्‍य में कौन हैं राज्‍यपाल?

राज्‍य राज्‍यपाल
आंध्र प्रदेश  एस अब्‍दुल नजीर
अरुणाचल प्रदेश कैवल्य त्रिविक्रम परनायक
असम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य
बिहार  राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर
छत्तीसगढ़ रमेन डेका 
गोवा  पी.एस. श्रीधरन पिल्लई
गुजरात आचार्य देवव्रत 
हरियाणा बंडारू दत्‍तात्रेय 
हिमाचल प्रदेश  शिव प्रताप शुक्‍ला
झारखंड   संतोष कुमार गंगवार 
कर्नाटक  थावरचंद गहलोत 
केरल  आरिफ मोहम्‍मद खान 
मध्‍य प्रदेश  मंगूभाई छगनभाई पटेल
महाराष्‍ट्र   सी. पी. राधाकृष्‍णन 
मणिपुर  लक्ष्मण प्रसाद आचार्य (अतिरिक्‍त प्रभार)
मेघालय  सी एच विजयशंकर 
मिजोरम   डॉ. कंभमपति हरिबाबू 
नगालैंड ला गणेशन 
ओडिशा रघुवरदास 
पंजाब  गुलाब चंद कटारिया 
राजस्‍थान  हरिभाऊ किसनराव बागड़े
सिक्किम  ओम प्रकाश माथुर 
तमिलनाडु  आर. एन. रवि 
तेलंगाना  जिष्‍णु देव वर्मा 
त्रिपुरा  नल्लू इंद्रसेना रेड्डी
उत्‍तर प्रदेश  आनंदीबेन पटेल
उत्‍तराखंड  लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह
पश्चिम बंगाल  डॉ सीवी आनंद बोस

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केंद्रशासित प्रदेशोंं के उप-राज्‍यपाल एवं प्रशासक

केंद्रशासित प्रदेश उप-राज्‍यपाल एवं प्रशासक
अंडमान निकोबार और द्वीप    डी के जोशी (लेफ्टिनेंट गवर्नर)
चंडीगढ़  गुलाब चंद कटारिया (प्रशासक)
दादरा और नगर हवेली एवं दमन-दीव प्रफुल्ल पटेल (प्रशासक)
दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) विनय कुमार सक्सेना (लेफ्टिनेंट गवर्नर)
जम्मू और कश्मीर मनोज सिन्हा (लेफ्टिनेंट गवर्नर)
लक्षद्वीप प्रफुल्ल पटेल (प्रशासक)
पुडुचेरी के. कैलाशनाथन (लेफ्टिनेंट गवर्नर)
लद्दाख श्री बी.डी. मिश्रा  (लेफ्टिनेंट गवर्नर)

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(सोर्स: गृह मंत्रालय, नेशनल पोर्टल ऑफ इंडिया, राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेशों व राजभवन की वेबसाइट)