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विद्या माता की कसम 'विराट' है अपनी हिंदी; हर पीढ़ी के साथ कर रही कदमताल, यकीन ना हो तो ये Fact देख लो

Hindi Diwas 2024 देश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। जब देश में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था तो गैर-हिंदी राज्यों ने इसका जमकर विरोध हुआ था। आज हिंदी न सिर्फ देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है बल्कि इसका प्रभाव दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। 80 करोड़ से ज्‍यादा लोग हिंदी बोलते लिखते और समझते हैं।

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 13 Sep 2024 04:30 PM (IST)
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Hindi Diwas 2024: हिंदी दिवस विशेष पर पढ़िए हिंदी भाषा की विकास यात्रा। जागरण ग्राफिक्‍स टीम

डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। 14 सितंबर यानी कल हिंदी दिवस है। यही वो दिन है, जब साल 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। हिंदी न सिर्फ देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, बल्कि दुनिया में इसका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।

देश में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते, समझते और पढ़ते हैं, जबकि दुनियाभर में यह आंकड़ा 80 करोड़ के पार है। इसकी सहजता इस कदर है कि आज, हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। हिंदी दिवस विशेष पर पढ़िए हिंदी भाषा की विकास यात्रा…

हिंदी दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?

जब देश को आजादी मिली तो साथ कई बड़ी समस्याएं भी मिलीं। इन्हीं में से एक समस्या भाषा को लेकर भी थी। देश में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं तो ऐसे में बड़ा सवाल यह था कि राजभाषा किसे चुना जाए। तब भी देश में सबसे ज्‍यादा हिंदी ही बोली जाती थी। इसलिए राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था।

संविधान सभा में हिंदी पर लंबी बहस हुई। इसके बाद 14 सितंबर को हिंदी को देश की राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में उल्‍लेख किया गया कि भारत की राजभाषा ‘हिन्दी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिंदी के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का एलान किया था।

विरोध में आई अंग्रेजी, पर पसंद हिंदी ही रही

हिंदी राजभाषा बनी तो गैर-हिन्दी भाषी राज्यों ने फैसले का जमकर विरोध किया। इसके बाद संविधान लागू होने के अगले 15 साल तक अंग्रेजी भाषा को भी राजभाषा बना दिया गया, लेकिन जैसे ही 15 साल पूरे होने को आए तो दक्षिण भारतीय राज्यों ने अंग्रेजी को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया।

साल 1963 में केंद्र सरकार राजभाषा अधिनियम लाई, जिसमें कहा गया कि अंग्रेजी को 1965 के बाद भी कामकाज की भाषा बनाए रखा जाएगा। इसके साथ ही राज्‍यों को अधिकार दिए गए कि वे अपनी सुविधानुसार किसी भी भाषा में सरकारी काम कर सकते हैं।

बता दें कि देश में 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला हुआ है। इंटरनेट, शिक्षा और मीडिया के माध्यम से हिंदी का लगातार प्रसार हो रहा है।

सात समंदर पार तक हिंदी की धमक 

  • पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ। 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए।
  • 10 जनवरी को हिंदी विश्‍व दिवस के तौर पर मनाने का औपचारिक एलान 2006 में किया गया।
  • विश्व के कई देशों में आज हिंदी पढ़ाई और बोली जा रही है। कई यूनिवर्सिटी में हिंदी के अध्ययन और अनुसंधान केंद्र बनाए गए।
  • फिजी में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला है। यहां इसे फि‍जियन हिंदी या फि‍जियन हिन्दुस्तानी कहा जाता है।
  • यूएई के आबू धाबी में हिंदी तीसरी आधिकारिक अदालती भाषा है। यहां भारतीयों को हिंदी में शिकायत दर्ज करने की अनुमति है।
  • मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान में भी हिंदी बोली और समझी जाती है।
  • पडोसी राज्‍य पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान समेत कई देशों में हिंदी की फिल्में खूब पसंद की जा रही हैं।
  • 2017 में पहली ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी में 'अच्छा, बड़ा दिन, बच्चा और सूर्य नमस्कार' जैसे हिंदी शब्द जोड़े गए।
  • हर तीन से चार साल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन होता है।

हिंदी बन रही रोजी-रोटी का जरिया

  • हिंदी की बढ़ती लोकप्रिय के चलते हिंदी ऐप्स, ब्लॉग्स और पॉडकास्ट खूब हिट हो रहे हैं। लोग हिंदी में व्‍लॉग बनाकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
  • मोदी सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' पहल के तहत कई विदेशी कंपनियां हिंदी जानने वालों को जॉब में प्राथमिकता दे रही हैं।
  • ग्लोबलाइजेशन के दौर में हिंदी साहित्य का अनुवाद हो रहा है। हिंदी सीखने वाले विदेशियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • कोर्ट से लेकर सरकारी और निजी कंपनियों में हिंदी का उपयोग हो रहा है। हिंदी में तैयार व्यावसायिक दस्तावेजों की मांग बढ़ी है।
  • सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने हिंदी लेखकों और कवियों उभरने में मदद की है।

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हिंदी भाषा के लिए दिए जाते हैं ये सम्मान

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार: देश का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं में लेखन के लिए दिया जाता है।
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार: साहित्य अकादमी द्वारा हिंदी में उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों के लिए यह पुरस्कार प्रमुख है।
  • भारत भारती पुरस्कार : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में जीवन भर के योगदान के लिए दिया है।
  • व्यास सम्मान : के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष हिंदी में उत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए दिया जाता है।
  • श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान: यह हिंदी साहित्य में ग्रामीण या कृषि जीवन के विषय पर लिखी गई कृतियों को दिया जाता है।
  • सरस्वती सम्मान: के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा हिंदी समेत विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को दिया जाता है।
  • राजेंद्र माथुर पुरस्कार: हिंदी पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में योगदान के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा दिया जाता है।

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हिंदी में काम करने वालों को मिलती हैं फेलोशिप

  • राष्ट्रपति अध्येता (President's Scholar) फेलोशिप: यह प्रतिष्ठित फेलोशिप हिंदी भाषा में उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए दी जाती है।
  • हिंदी अकादमी फेलोशिप: दिल्ली की हिंदी अकादमी द्वारा हिंदी भाषा और साहित्य में शोध करने वाले विद्वानों को फेलोशिप प्रदान की जाती है।
  • नेहरू मेमोरियल फेलोशिप: यह विभिन्न विषयों में अनुसंधान के लिए दी जाती है, जिसमें हिंदी साहित्य पर काम करने वाले भी शामिल हो सकते हैं।
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) फेलोशिप: यह भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य के अध्ययन के लिए प्रदान की जाती है, जिसमें हिंदी साहित्य भी शामिल है।
  • यूजीसी (UGC) फेलोशिप: यूजीसी की ओर से पीएचडी, रिसर्च के लिए JRF और SRF दी जाती है। यह हिंदी में शोध करने वाले विद्वानों को भी मिलती है।

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