हिंदी दिवस पर दूर करें दुविधा, जानेंं क्या है हिंदी, राष्ट्रभाषा, राजभाषा या मातृभाषा
देश में 14 सितंबर के दिन को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हालांकि यह हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है बल्कि इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। राष्ट्रभाषा राजभाषा और मातृृभाषा में अंतर है जिसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
By Arijita SenEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 01:54 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। भारत विविधताओं से भरा एक देश है। यहां कई धर्म, जाति, संप्रदाय के लोग रहते हैं। इनमें से हर एक की बोली अलग-अलग है, लेकिन इन सबमें हिंदी देश के सबसे अधिक राज्यों में बोली जाने वाली भाषा है।
हालांकि हिंदी भाषा को मिले दर्जे को लेकर कई अलग-अलग तर्क है। कोई कहता है कि यह हमारी राष्ट्रभाषा है, किसी के मुताबिक यह हमारी राजभाषा है, तो किसी के लिए यह हमारी मातृभाषा है।
आज 14 सितंबर के दिन पूरे देश में हिंदी दिवस (Hindi Divas) मनाई जा रही है। ऐसे में आइए हम इस दुविधा को दूर करते हैं कि आखिर हिंदी क्या है, राष्ट्रभाषा, राजभाषा या मातृभाषा?
क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है?
देश में हिंदी का भले ही कितना बोलबाला हो, लेकिन यह हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है। हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। इसे हम देश का आफिशियल लैंग्वेज (Official Language) नहीं बोल सकते हैं। हालांकि, देश में इसे बोलने वालों की संख्या अधिक है और इसके लगभग हर कोने में हिंदी बोलने वाला या समझने वाला कोई न कोई जरूर मिल जाता है।
हिंदी को कब मिला राजभाषा का दर्जा?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सन् 1917 में सबसे पहले हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की थी। लेकिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से इसे राजभाषा का दर्जा देने को लेकर सहमति जताई। 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343(1) के द्वारा हिंदी को देवनागरी लिपि के रूप में राजभाषा का दर्जा दिया गया।देश के संविधान के अनुच्छेद 343 से लेकर 351 राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं। सरकार ने गृह मंत्रालय के तहत राजभाषा विभाग का भी गठन किया है।
इसके बाद 1960 में राष्ट्रपति के आदेश से आयोग की स्थापना की गई 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित हुआ और 1968 में राजभाषा संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ। हालांकि, पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को ही मनाया गया।