ICMR की डॉक्टरों को दी चेतावनी, कहा- जरूरत पड़ने पर ही लिखें ये दवाई; आम लोगों से जुड़ा है मामला
देश के डॉक्टरों को चेतावनी देते हुए आईसीएमआर में वैज्ञानिक कामिनी वालिया ने बताया कि अगर जरूरत न हो तो डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स लिखने से बचना चाहिए। हालांकि अभी भी भारत भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध बहुत अधिक है और एंटीबायोटिक नुस्खे को डॉक्टरों द्वारा अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ही मरीजों को दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, एएनआई: अक्सर हम देखते हैं कि बुखार आने पर कुछ दवाएं खाते हैं लेकिन बुखार उतरता नहीं है। दस्त होने पर जो दवा खाते हैं वह असर नहीं करती है, साथ ही संक्रमण के लिए जो दवा खाते हैं वह कम असर करती हैं। वहीं, इसको लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक अध्ययन किया है जिसमें बताया गया है कि एंटीबॉडी, एंटीवायरल या एंटीफंगल के दुरुपयोग से देश में दवा प्रतिरोध बढ़ गया है।
इस बारे में आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने बताया कि दस्त के लिए दी जाने वाली नोरफ्लॉक्स जैसी ओटीसी दवाएं पेट में होने वाले आम कीड़ों के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं और लोगों को डॉक्टरों की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स लेने से बचना चाहिए।
अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण सुविधाओं में सुधार की जरूरत
उन्होंने कहा कि दवा प्रतिरोध के बढ़ते स्तर से संक्रमण के इलाज में बाधा आती है और इलाज प्रभावी ढंग से नहीं हो पाता है। आगे बोलीं कि अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण सुविधाओं में सुधार और एंटीबायोटिक उपयोग को तर्कसंगत बनाने के महत्व पर बेहतर शिक्षा और जागरूकता के लिए अच्छी प्रथाओं को लागू करने की आवश्यकता है।
अध्ययन में शामिल किए गए सार्वजनिक और निजी अस्पताल
इस अध्ययन में भारत के सार्वजनिक और निजी अस्पतालों को शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कामिनी ने बताया कि आईसीएमआर एएमआर नेटवर्क पूरे भारत के सार्वजनिक और निजी अस्पतालों को कवर करता है और वार्षिक समीक्षा के लिए केवल उच्च गुणवत्ता वाला डेटा एकत्र किया जाता है।
डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स लिखने से बचना चाहिए
वहीं, देश के डॉक्टरों को चेतावनी देते हुए वैज्ञानिक कामिनी वालिया ने बताया कि अगर जरूरत न हो तो डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स लिखने से बचना चाहिए। हालांकि अभी भी भारत भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध बहुत अधिक है और एंटीबायोटिक नुस्खे को डॉक्टरों द्वारा अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ही मरीजों को दिया जाना चाहिए।