Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

पड़ोस की चुनौतियां: पाकिस्तान‍ में भुखमरी और बांग्‍लादेश में हिंसा की वजह से क्‍यों चिंता में है भारत

भारत के लिए पड़ोसी देश चुनौती बन गए हैं। चीन संसाधनों के जरिये पाकिस्तान श्रीलंका मालदीव म्यांमार और नेपाल में अपनी उपस्थिति मजबूत करता जा रहा है। एक बड़ी ताकत के तौर पर चीन के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। चीन जैसी बड़ी ताकत के साथ अस्थिर पड़ोसी भारत के रणनीतिक हितों के लिए किस तरह की चुनौतियां पेश कर रहे हैं यह पड़ताल का बड़ा मुद्दा है।

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 12 Aug 2024 08:12 PM (IST)
Hero Image
भारत के लिए सातों दिशाओं से चुनौती। फोटो-पीटीआई

 डिजिलट डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक प्रसिद्ध वक्तव्य है, आप अपने दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं। ऐसे में बांग्लादेश में भारत समर्थक शेख हसीना सरकार का तख्तापलट देश के लिए एक और झटका है। इस घटना ने हमारे सामने एक और अस्थिर पड़ोसी खड़ा कर दिया है, जो भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा सकता है।

भारत श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ पहले से ही चुनौतीपूर्ण सुरक्षा परिदृश्य का सामना कर रहा है। चीन पिछले दो दशक से दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने में जुटा हुआ है। एक बड़ी ताकत के तौर पर चीन के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। संसाधनों के जरिये ही वह पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार और नेपाल में अपनी उपस्थिति मजबूत करता जा रहा है।

चीन ने पिछले एक दशक में बांग्लादेश में भी अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए काफी प्रयास किए हैं। हालांकि, उसे उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली। चीन जैसी बड़ी ताकत के साथ अस्थिर पड़ोसी भारत के रणनीतिक हितों के लिए किस तरह की चुनौतियां पेश कर रहे हैं, यह पड़ताल का बड़ा मुद्दा है।  

किस पड़ोसी देश से क्‍या है संकट और उसे लेकर भारत क्‍यों चिंतित है?

संकट नंबर-1: पाकिस्‍तान

साल 2024 के आम चुनाव के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के शहबाज शरीफ गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने। विदेशी कर्ज के बोझ और महंगाई की वजह से पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की लोकप्रियता और आर्थिक संकट मौजूदा सरकार की स्थिरता के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं।

भारत की चिंता

पाकिस्तानी आतंकी जम्मू को लगातार निशाना बना रहे हैं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव को बाधित करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

पाकिस्तान वित्तीय मदद के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर हो गया है।  ऐसे में चीन आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान को मोहरा बना कर भारत के सुरक्षा बलों के लिए चुनौतियां बढ़ा सकता है।

संकट नंबर-2: चीन

साल 2020 में गलवन में भारत और चीन की सेनाओं के बीच संघर्ष हुआ। इसके बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं, गतिरोध बना हुआ है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की नीतियां आक्रामक हैं।  इससे दोनों देशों के बीच हालात काफी जटिल हो गए हैं।

भारत की चिंता

चीन-रूस की ‘असीमित मित्रता’ भारत के सुरक्षा हितों को खतरे में डाल सकती है। चीन भारत के सीमा पर अपने बेस और पोजीशन को मजबूत कर रहा है।

चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के जरिये दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ा रहा है। वह भारत को चारों तरफ से घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।

संकट नंबर-3: मालदीव

चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू इंडिया आउट नारे पर चुनाव जीत कर नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बने हैं। मोइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। उनके कार्यकाल में ऐसी परियोजनाएं अटक सकती हैं, जिन पर भारत काम कर रहा है।

इसके अलावा चीन के प्रभाव में मालदीव के साथ पहले हो चुके समझौतों को भी रद किया जा सकता है। इससे मालदीव में भारत के रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।

भारत की चिंता

मुइज्जू ने चीन के साथ 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे खाद्य आयात, स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यापार के लिए भारत पर मालदीव की निर्भरता कम होगी। चीन मालदीव में नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा।

संकट नंबर-4: श्रीलंका

श्रीलंका ने 2022 में गंभीर आर्थिक संकट का सामना किया है। इसकी वजह से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सत्ता से बाहर हो गए। उनके उत्तराधिकारी रानिल विक्रमसिंघे ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सुधार किया है। लेकिन आगामी चुनाव श्रीलंका के लिए विभाजनकारी साबित हो सकते हैं।

भारत की चिंता

श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के दौरान भारत की भूमिका को सराहा गया था, लेकिन श्रीलंका में चीन का प्रभाव अब भी बना हुआ है। चुनाव के बाद श्रीलंका में ऐसी राजनीतिक ताकतों की वापसी हो सकती है, जो भारत के  हितों में बाधक बन सकती हैं।

संकट नंबर-5: नेपाल

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी के केपी शर्मा ओली 14 जुलाई को प्रधानमंत्री बने हैं। ओली को चीन समर्थक माना जाता है। भारत समर्थक नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार में शामिल है।  

भारत की चिंता

नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नक्शे में नेपाली क्षेत्र के तौर पर दिखाया है। चीन भारत को पीछे छोड़ कर नेपाल में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है।

यह भी पढ़ें -Pakistan Power Crisis: पाकिस्तान में लोगों की 'बत्ती गुल' कर रहा बिजली बिल, 13 महीनों में ही 15 गुना बढ़ गई कीमतें

संकट नंबर-6: म्यांमार

फरवरी, 2021 में सेना ने आंग सान सू की को सत्ता से हटा दिया। सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग के नेतृत्व में  म्यांमार गृहयुद्ध का सामना कर रहा है। 50% हिस्से पर विद्रोहियों का हो गया है नियंत्रण।

भारत की चिंता

म्यांमार में जारी गृह युद्ध भारत के कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को प्रभावित कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का मकसद उत्तर-पूर्व भारत को विकसित बनाना है। गृहयुद्ध की वजह से म्यांमार के करीब 50,000 नागरिक भारत आ चुके हैं। आशंका है कि उत्तर पूर्व के आतंकी समूह फिर से संगठित हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें-सिर्फ 45 मिनट हैं आपके पास... सेना प्रमुख का अल्टीमेटम और शेख हसीना का इस्तीफा; बांग्लादेश में तख्तापलट की इनसाइड स्टोरी

संकट नंबर -7: बांग्लादेश

आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार 15 वर्ष तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना सरकार के खिलाफ विद्रोह में बदल गया। शेख हसीना को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ना पड़ा है। मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने हैं, हालांकि हालत अभी अस्थिर हैं।

भारत की चिंता

भारत समर्थक शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेश में उत्तर पूर्व के आतंकी समूहों सहित भारत विरोधी गतिविधियों पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया था। कट्टरपंथी इस्लामी समूह भारत के लिए खतरा बन सकते हैं। द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े प्रोजेक्ट जैसे ऊर्जा प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। चीन बांग्लादेश में प्रभाव बढ़ा सकता है।

यह भी पढ़ें-Sheikh Hasina resigns: शेख हसीना ने छोड़ा देश? 15 साल तक राजनीतिक ऊंचाइयों पर राज करने के बाद सत्ता के पतन की कहानी