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समंदर में दुश्‍मनों को कड़ी टक्‍कर देगा INS Vikrant, 2 सितंबर से बढ़ाएगा भारतीय नौसेना की शान

INS Vikrant आईएएनएस विक्रांत एक विशालकाय जहाज है। यह पूरी तरह से स्‍वदेशी है। अब यह समुद्री मोर्चे पर दुश्‍मनों का कड़ा मुकाबला करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 सितंबर को नौसेना को आईएनएस विक्रांत सौपेंगे। यह भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करेगा।

By Arijita SenEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2022 03:17 PM (IST)
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बनकर तैयार हुआ विशालकाय स्‍वदेशी युद्धपोत आईएनएस विकांत

नई दिल्‍ली, एजेंसी। भारत का पहला स्‍वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रान्‍त (INS Vikrant) पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है। इसे अगले महीने भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा जिससे आने वाले समय में नौसेना की समुद्री ताकत कई गुना अधिक बढ़ जाएगी।

भारतीय नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एस. एन. घोरमडे (Vice Admiral SN Ghormade ) ने बताया कि इसके उपकरणों का निर्माण देश के 18 राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ है जिनमें अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और नई दिल्‍ली शामिल हैं।

मालूम हो कि आईएएनएस विक्रांत एक विशालकाय जहाज है। यह पूरी तरह से स्‍वदेशी है। अब यह समुद्री मोर्चे पर दुश्‍मनों का कड़ा मुकाबला करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 सितंबर को नौसेना को आईएनएस विक्रांत सौपेंगे।

एडमिरल घोरमडे ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में हमें अपनी ताकत को इस स्‍तर तक ले जाना चाहिए जो एक निवारक के रूप में काम करें यानि कि जो दुश्‍मनों का बेहतरी से मुकाबला कर सके। इसके लिए आईएनएस विक्रांत का निर्माण किया गया है और इसे तेजी से उपलब्‍ध कराने के लिए बहुत प्रयास किए गए हैं और यही वजह है कि आईएनएस विक्रांत झटपट बनकर तैयार हो गया है।

एडमिरल घोरमडे आगे कहते हैं, भारत के अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत आईएनएस विक्रांत में करीब 2,500 किलोमीटर का केबल लगाया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के बीच साझेदारी के माध्यम से जहाज के लिए स्वदेशी युद्धपोत ग्रेड स्टील का निर्माण किया गया है जिससे इसे काफी मजबूती मिले। बाद में इसका निर्यात अन्‍य देशों में भी किया जा सकता है।

उन्‍होंने कहा, युद्धपोत को लड़ाकू विमान को संचालित करने के मकसद से बनाया गया है। लेकिन अब इसकी मदद से टीईडीबीएफ को भी संचालित किया जा सकेगा जिसके लिए डीआरडीओ के साथ काम जारी है। राफेल विमान और एफ-18 के संचालन के लिए भी आगे परीक्षण किया जाएगा।