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MUDA लैंड केस क्या है? जिसने सिद्दरमैया की बढ़ाई मुश्किलें, जानिए इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ

MUDA land scam कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को मंगलवार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने MUDA जमीन घोटाले में राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश के खिलाफ दायर सिद्दरमैया की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच जरूरी है। MUDA लैंड स्‍कैम क्‍या है इसका खुलासा कैसे हुआ सिद्दरमैया और उनके परिवार के खिलाफ क्‍या-क्‍या आरोप लगे हैं? यहां पढ़िए पूरी रिपोर्ट

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 24 Sep 2024 07:27 PM (IST)
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MUDA जमीन घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सिद्दरमैया की याचिका खारिज की। फाइल फोटो

डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को मंगलवार यानी 24 सितंबर को हाई कोर्ट ने झटका दिया है। अब सीएम सिद्दरमैया के खिलाफ एक जमीन घोटाले से जुड़े मामले में मुकदमा चलेगा।

हाई कोर्ट ने आज यानी मंगलवार को MUDA लैंड घोटाले के मामले में गवर्नर के आदेश के खिलाफ दायर की गई सिद्दरमैया की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उनकी जांच जरूरी है। इस मामले में सीएम का परिवार शामिल है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

दरअसल, राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने ने प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिका पर 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।

सिद्दरमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। राज्यपाल के आदेश को रद करने का अनुरोध करते हुए याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया और यह वैधानिक नियमों का उल्लंघन है।

MUDA लैंड केस क्या है?

अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने साल 1992 में किसानों से कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए ली थी।  इसके बदले 'MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम' के जरिए जिन किसानों की जमीन ली गई थी, उनको विकसित भूमि में 50 प्रतिशत साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 1992 में इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया। बाद में साल 1998 में अधिग्रहित भूमि का एक हिस्सा डीनोटिफाई कर किसानों को वापस कर दिया। मतलब कि एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई।

सिद्दरमैया का मामले से क्‍या है संबंध?

सिद्दरमैया की पत्‍नी पार्वती सिद्दरमैया के नाम मैसूर जिले के केसारे गांव में तीन एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। यह जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्‍हें साल 2010 में तोहफे में दी थी।

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इस जमीन को अधिकृत किए बिना ही देवनूर के तीसरे चरण का विकास किया था। दावा किया कि इस जमीन के बदले 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसूर के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था।

सिद्दरमैया और उनके परिवार पर क्या आरोप लगे हैं?

सिद्दरमैया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाए है कि ...

  • पार्वती सिद्दरमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से मुआवजे के तौर पर प्लॉट की कीमत उनकी जमीन से बहुत ज्यादा है।
  • सीएम सिद्दरमैया ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी साइट को पारिवारिक संपत्ति बताने के लिए दस्‍तावेजों में जालसाजी की।
  • सिद्दरमैया 1998 से लेकर 2023 तक कर्नाटक में डिप्टी CM या CM जैसे प्रभावशाली पदों पर रहे। बेशक सीधे तौर पर वह घोटाले से न जुड़े हों, लेकिन उन्होंने अपनी पावर का इस्तेमाल कर करीबी लोगों को लाभ पहुंचाया है।
  • पार्वती सिद्दरमैया के भाई मल्लिकार्जुन ने 2004 में डीनोटिफाई तीन एकड़ जमीन अवैध रूप से खरीदी थी और 2004-05 में राज्य में  कांग्रेस-JDS गठबंधन की सरकार थी और सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे।

कैसे सामने आया है ये मामला?

MUDA जमीन घोटाले का खुलासा RTI एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने किया। 5 जुलाई 2024 को कुरुबरा  ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में लिखा, '' पिछले चार सालों में 50:50 योजना के तहत 6,000 से अधिक साइटें आवंटित की गई हैं।''

मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे। जब यहां सुनवाई नहीं हुई तो 27 नवंबर को डिप्टी कमिश्नर ने कर्नाटक सरकार के  शहरी विकास प्राधिकरण को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच कराने के लिए पत्र लिखा। इसके बावजूद MUDA के कमिश्नर ने हजारों साइटों को आवंटित किया।

हाईकोर्ट के फैसले पर क्‍या बोले सिद्धारमैया?

मुख्‍यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा कि वह जांच का सामना करेंगे। अगर कानून के तहत ऐसी जांच की इजाजत है तो विशेषज्ञों से सलाह भी लेंगे। इससे पहले, उन्होंने कहा था कि भाजपा के लोगों के पास आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं है।

MUDA की ओर से हमारी जमीन अधिकृत कर पार्क बनाया गया और मुआवजे के तौर पर एक प्लॉट दिया गया।  मुआवजे की जमीन 2021 में भाजपा के कार्यकाल में दी गई थी।

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फैसला आने के बाद भाजपा ने मांग इस्‍तीफा

भाजपा सांसद और प्रवक्‍ता संबित पात्रा ने कहा, ''यह 3 से 4 हजार करोड़ रुपये का घोटाला है। इसमें सिद्दरमैया का परिवार शामिल है। कांग्रेस इस पर चुप्पी साधे हुए है। शुक्रिया कि राज्यपाल ने जांच के आदेश दिए हैं, उनका शुक्रिया।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया से इस्तीफे की मांग की है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को हाईकोर्ट के फैसले के बाद हमें बताना चाहिए कि क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पद पर बने रहना उचित है? सिद्दरमैया को पद छोड़ देना चाहिए।

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कौन हैं सिद्दरमैया?

सिद्दरमैया मौजूदा समय में कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं। 12 अगस्त 1948 को जन्‍मे सिद्दरमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी की और फिर यहीं से कानून की पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले वह वकालत करते थे।

सिद्दरमैया कर्नाटक के कुरबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यह राज्य में आबादी के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है।

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सिद्दरमैया का राजनीतिक सफर

  • 1983 में भारतीय लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे।
  • 1992 में सिद्दरमैया को जनता दल के महासचिव बनाया गया।
  •  1994 में वे देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार में वित्त मंत्री रहे।
  • 1996 में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया।
  • 1999 में सिद्दरमैया को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था।
  • फिर वे जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडी एस में शामिल हो गए।
  • 2004 से 2005 तक कांग्रेस व जेडी (एस) की गठबंधन सरकार में दोबारा उपमुख्यमंत्री बने।
  • 2005 में देवगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद उन्हें जेडी (एस) से निकाल दिया गया।
  • 2006 में सिद्दरमैया कांग्रेस में शामिल हो गए।
  • 2013 में सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले 40 साल में पहले और कर्नाटक के इतिहास में देवराज उर्स के बाद दूसरे मुख्यमंत्री बने।
  •  2023 में सिद्दरमैया दोबारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।
  •  13 बार राज्य का बजट पेश करने वाले नेता हैं सिद्धारमैया, जोकि एक रिकॉर्ड है।

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