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'ढाबे वाले नाम बताए, यह केंद्र का कानून', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप जवाब दायर करें फिर हम विचार करेंगे

Kawad Yatra Nameplate Controversy कांवड़ यात्रा मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने पर रोक जारी है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय कानून में व्यवसाय का लाइसेंस लेने वालों के लिए नाम उजागर करना जरूरी है। कांवड़ यात्रियों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि दुकानदारों का नाम जानना हमारा उपभोक्ता का अधिकार।

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 26 Jul 2024 09:11 PM (IST)
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Kawad Yatra Nameplate Controversy : गंगा जल भरकर लाते हुए कांवड़ियां। फोटो-एएनआई

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान लगाने वाले मालिकों और उनके कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने पर रोक जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक आदेश आगे बढ़ा दिया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। इस दौरान उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने पर रोक अगले आदेश तक जारी रखी है।

हालांकि, सुनवाई के दौरान जब दुकानदारों के स्वेच्छा से नाम प्रदर्शित करने की बात चली तो कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई स्वेच्छा से नाम प्रदर्शित करता है तो उसकी मनाही नहीं है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम उजागर करने के पुलिस और सरकार के आदेश की कोर्ट में जोरदार तरफदारी की।

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि दुकानदार का नाम प्रदर्शित करना गलत नहीं है, यह कानूनन जरूरी है। केंद्रीय कानून खाद्य एवं सुरक्षा मानक अधिनियम में लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कराने वालों को नाम उजागर करना आवश्यक है।

रोहतगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने याचिका का जवाब दाखिल कर दिया है। कोर्ट में मामले की सोमवार को सुनवाई कर ली जाए क्योंकि कांवड़ यात्रा सिर्फ दो सप्ताह की है, उसके बाद मामला महत्वहीन हो जाएगा।

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यूपी को छोड़ किसी राज्‍य ने नहीं दाखिल किया जवाब

नेमप्‍लेट लगाने का विरोध करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सिर्फ उत्तर प्रदेश ने जवाब दाखिल किया है,  वह भी रात में 10:30 बजे दाखिल किया है। बाकी राज्यों ने अभी जवाब नहीं दिया है।

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की ओर से गुरुवार की रात 10:30 जवाब दाखिल और उसके कोर्ट रिकॉर्ड पर न आने की बात कहते हुए सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली से भी जवाब दाखिल करने के बारे में पूछा, जिस पर उत्तराखंड और मध्यप्रदेश ने दो सप्ताह का समय मांगा। दिल्ली ने कहा कि उसका इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने सभी को जवाब के लिए समय देते हुए कहा कि अगली सुनवाई 5 अगस्त को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।

'आप जवाब दाखिल करिए, बाकी कोर्ट देख लेगा'

इस बीच उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि केंद्रीय कानून है, जिसमें नाम प्रदर्शित करना होता है। उनसे सहमति जताते हुए रोहतगी ने भी कहा कि केंद्रीय कानून है, जिसमें ढाबे वाले को नाम बताना होता है। इन दलीलों पर जस्टिस ऋषिकेश ने कहा कि अगर ऐसा है तो सभी जगह ऐसा होना चाहिए। पीठ ने कहा कि आप जवाब दाखिल करिए कोर्ट विचार करेगा।

उत्तराखंड ने कहा कि राज्य सरकार इस आदेश को सिर्फ कांवड़ यात्रा के दौरान नहीं बल्कि हर त्योहार पर लागू करती है, लेकिन कोर्ट के अंतरिम आदेश से दिक्कत हो रही है। म्युनिसिपल कानून में भी हर एक बिजनेस में रजिस्ट्रेशन का बोर्ड लगाना पड़ता है, लेकिन कोर्ट दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ और अंतरिम आदेश में किसी तरह के बदलाव के लिए राजी नहीं हुआ।

दुकानदारों और ग्राहक दोनों के हैं राइट

कुछ वकील श्रद्धालुओं की ओर से भी पेश हुए और उन्होंने अपनी अर्जी का जिक्र करते हुए कहा कि जैसे दुकानदारों के मौलिक अधिकारों के हनन की बात कही गई है। ऐसे ही हमारे भी कस्टमर राइट हैं, जिनका उल्लंघन होता है।

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िये नंगे पैर जल लेने जाते हैं और इस दौरान सात्विक भोजन ही करते हैं। उनकी समस्या है कि ढाबा का नाम माता दुर्गा या माता सरस्वती ढाबा होता है और वे समझते है कि यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन होगा जबकि अंदर जाने पर पता चलता है मांसाहार भी है।

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यूपी ने कोर्ट को दिया ये तर्क

उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल लिखित जवाब में भी कहा है कि किसी के साथ धार्मिक भेदभाव नहीं है। सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और संविधान में दिए गए धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। हर एक धार्मिक त्योहार पर उचित इंतजाम किए जाते हैं।

इस सिलसिले में ईद और मुहर्रम पर किए जाने वाले इंतजामों का हवाला भी दिया है। आगे कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले भोजनालय और दुकानों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का उद्देश्य पारदर्शिता लाना और संभावित भ्रम को दूर कर शांति पूर्ण कांवड़ यात्रा सुनिश्चित करना था। 

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