Anna Mani Google Doodle: जानें कौन है अन्ना मणि, जिन्हें गूगल ने दिया सम्मान, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में इनका अहम योगदान
Google Doodle सर्च इंजन गूगल ने भारत की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि की 104वीं जयंती के अवसर पर एक खास डूडल बनाकर उन्हें सम्मान दिया है। अन्ना मणि का मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में योगदान काफी ज्यादा है।
नयी दिल्ली, एजेंसी। सर्च इंजन गूगल (Google) ने भारत की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि की 104वीं जयंती के अवसर पर एक खास डूडल (Doodle) बनाया है। गूगल ने इस डूडल के जरिए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।
Google ने अपने होम पेज पर अन्ना मणि के Colourful और Whimsical Illustration के माध्यम से अन्ना मणि को सम्मान दिया है। 'भारत की मौसम महिला' (Weather Woman of India) के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मणि का मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में योगदान काफी ज्यादा है।
अन्ना मणि को गूगल का सम्मान
अन्ना मणि की 104वीं जयंती पर गूगल ने कहा, ''104वां जन्मदिन मुबारक हो अन्ना मणि। आपके द्वारा किए गए कामों ने इस दुनिया को प्रेरित किया।'' इस खास डूडल को देखने के बाद कई भारतीयों ने इस सम्मान के लिए गूगल की तारीफ की।
एक इंटरनेट यूजर ने ट्विटर पर लिखा, 'गूगल ने यह डूडल दुनिया के लिए बनाया है। हमें अपने भारतीय भौतिक विज्ञानी अन्ना मणि पर गर्व है।' एक दूसरे व्यक्ति ने ट्वीट किया, 'गूगल डूडल में अन्ना मणि। बहुत गर्व की बात है।'
कौन है अन्ना मणि
अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त 1918 को केरल (तब त्रावणकोर के नाम से जाना जाता था) में हुआ था। उन्होंने एक भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी के रूप में अपनी पहचान बनाई। आज उन्हीं के बदौलत भारतीय एजेंसियों के लिए देश की मौसम की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना संभव हो पाया है।
मणि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के शुरुआती पैरोकार थे। 1950 के दशक में, उन्होंने सौर विकिरण निगरानी स्टेशनों (Solar Radiation Monitoring Stations) का एक नेटवर्क स्थापित किया और स्थायी ऊर्जा माप पर कई पत्र प्रकाशित किए।
अन्ना मणि का योगदान
अन्ना मणि ने प्रेसीडेंसी कालेज मद्रास से भौतिकी और रसायन विज्ञान में स्नातक तक की पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने एक वर्ष के लिए डब्ल्यूसीसी में पढ़ाया और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की।
अन्ना मणि ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1942 और 1945 के बीच पांच पत्र प्रकाशित किए और उन्होंने लंदन में इंपीरियल कालेज में स्नातक कार्यक्रम का अध्ययन किया।
वह 1948 में भारत लौट आईं और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के लिए काम करना शुरू कर दिया, जहां उन्होंने देश को अपने मौसम उपकरणों के डिजाइन और निर्माण में मदद की।