Move to Jagran APP

US-ब्रिटेन पिछड़े, 2022 में सिर्फ दो देश होंगे भारत से आगे, जानें- इस उपलब्धि के बारे में

मेट्रो का क्रेज अब भी बरकरार है। यह भी कम उपलब्धि नहीं है कि 16 साल पहले कुछ हजार यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली मेट्रो में अब रोजाना तकरीबन 30 लाख लोग सफर करते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 29 Dec 2018 06:00 AM (IST)
Hero Image
US-ब्रिटेन पिछड़े, 2022 में सिर्फ दो देश होंगे भारत से आगे, जानें- इस उपलब्धि के बारे में
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कुछ दिन पहले 25 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली के लोगों की लाइफलाइन यानी हम सबकी 'दिल्ली मेट्रो' 16 बरस की हो गई। 25 दिसंबर, 2002 को सिर्फ 8 किलोमीटर से अपना पहला सफर शुरू करने वाली दिल्ली मेट्रो आज देश की नंबर वन तो वर्ष 2022 तक दुनिया की तीसरी सबसे लंबे नेटवर्क वाली मेट्रो रेल हो जाएगी। फिलहाल यह विश्व की चौथी सबसे लंबे नेटवर्क वाली रेल है।

बता दें कि 25 दिसंबर 2002 को क्रिसमस के दिन पहली बार दिल्ली मेट्रो ने शाहदरा से तीस हजारी तक रेड लाइन मेट्रो शुरू की थी। यह एक एतिहासिक लम्हा था, जिसमें हजारों लोगों ने शिरकत की थी। तब दिल्ली मेट्रो का इस कदर क्रेज था कि लोग बिना मकसद दिल्ली मेट्रो में सफर करते थे, क्योंकि उन्हें इसके सफर का तजुर्बा लेना होता था। मेट्रो का क्रेज अब भी बरकरार है। यह भी कम उपलब्धि नहीं है कि 16 साल पहले कुछ हजार यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली मेट्रो में अब रोजाना तकरीबन 30 लाख लोग सफर करते हैं।

दिल्ली से निकल यूपी पहुंची मेट्रो

नोएडा और दिल्ली के बीच मेट्रो की पहली कनेक्टिविटी 12 नवंबर, 2009 से शुरू हुई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने किया था और यह भी ऐलान किया था कि जल्द ही इसका विस्तार जेवर तक किया जाएगा। खैर इसका विस्तार जेवर तक न सही, ग्रेटर नोएडा तक जरूर हो चुका है और जनवरी 2019 में नोएडा-ग्रेटर नोएडा (AQUA LINE) के उद्घाटन के साथ संचालन कभी भी हो सकता है। सबकुछ ठीक रहा तो यूपी में मेट्रो जेवर तक पहुंच सकती है, क्योंकि यहां पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनना प्रस्तावित है। बता दें कि दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन मूल रूप से इंद्रप्रस्थ से द्वारका तक शुरू हुई थी। 12 नवंबर 2009 को, इस लाइन को यमुना बैंक से नोएडा सिटी सेंटर तक विस्तारित किया गया, जिसकी कुल लंबाई 13.1 किलोमीटर है।

मेट्रो के विस्तार की बात करें तो दिल्ली के आनंद विहार से जुलाई 2011 में 2.57 किमी का एक छोटा सा विस्तार किया गया था, जो दो स्टेशनों गाजियाबाद में आनंद विहार और वैशाली अर्थात गाजियाबाद में वैशाली मेट्रो स्टेशन से ब्लू लाइन शाखा के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन को जोड़कर किया गया था। 27 जनवरी 2010 को आनंद विहार आईएसबीटी-वैशाली मार्ग को जनता के लिए खोल दिया गया था। गाजियाबाद में मेट्रो एक और रूट पर तैयार है और जनवरी 2019 में चलनी शुरू हो जाएगी। दिलशाद गार्डन टु नया बस अड्डा मेट्रो अब जनवरी 2019 में चलेगी, क्योंकि डीएमआरसी ने इस प्रोजेक्ट को दिसंबर अंत तक कंप्लीट किए जाने का दावा अपनी वेबसाइट पर किया है। वहीं, जीडीए के अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट के पूरा होने पर दस से बीस दिन के बाद ही प्रॉजेक्ट को शुरू करवाया जा सकेगा। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी सबसे अधिक जरूरी है।

दिल्ली से सटे हरियाणा में मेट्रो का प्रवेश

एनसीआर में हरियाणा के शहरों में सबसे ज्यादा मेट्रो रेल का विस्तार हुआ है। हरियाणा में गुरुग्राम, फरीदाबाद और बहादुरगढ़ के बाद मेट्रो से बल्लभगढ़ भी जुड़ गया है, जो प्रदेश का चौथा शहर है। इसी के साथ सोनीपत में मेट्रो जाने की तैयारी मे हैं। वर्तमान में हरियाणा में मेट्रो लाइन की कुल लंबाई 29 किलोमीटर है, जिसका भविष्य में इजाफा हो होगा।

2022 तक इसके 400 किलोमीटर से अधिक विस्तार होगा मेट्रो का

मेट्रो का विस्तार जिस गति से चल रहा है। ऐसे में जाहिर है दिल्ली मेट्रो शंघाई और बीजिंग के बाद दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क में से एक होगी। उम्मीद की जा रही है कि यह लंदन अंडरग्राउंड को भी ओवरशेड करेगी। तीन चरणों में इसके निर्माण के दौरान, मेट्रो ने शहर और उसके उपनगरों के 317 किमी में अपना नेटवर्क फैलाया है। अगले वर्ष तक फेज- 3 का विस्तार होने तक, यह 349 किलोमीटर तक विस्तारित हो जाएगी और फेज- 4 के साथ, जिसे अभी हरी झंडी दी गई है 2022 तक इसके 400 किलोमीटर तक विस्तार होने की उम्मीद है। इसके साथ भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश होगा, जहां मेट्रो रेल नेटवर्क सबसे ज्यादा होगा। सिर्फ दो देश ही उससे आगे होंगे।

जानिये मेट्रो का सफर

दिल्ली मेट्रो 3 मई, 1995 को चर्चा में आई थी और तब से लगातार इस पर काम हो रहा है। दो दशक यानी 23 वर्षों के दौरान दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने 300 किलोमीटर से अधिक लंबा नेटवर्क स्थापित कर लिया है। इन रूटों पर रोजाना लगभग 30 लाख लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है। दिल्ली मेट्रो ने 24 दिसंबर 2002 को 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा–तीसहजारी कॉरीडोर पर रफ्तार भरी थी। फेज वन के पहले कॉरीडोर में महज छह स्टेशन थे। फिर चार साल बाद 11 नवंबर, 2006 में पहले फेज के अंतिम कॉरीडोर (बाराखंभा से इंद्रप्रस्थ) के बीच मेट्रो ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ। इस दौरान 65.1 किलोमीटर के दायरे में 59 मेट्रो स्टेशन के जरिए लोगों को विश्वस्तरीय आवागमन का साधन उपलब्ध कराया गया। डीएमआरसी के फेज दो की शुरुआत 3 जून 2008 को हुई, जो 27 अगस्त 2011 में पूरा हुआ। इस फेज में 125.07 किलोमीटर में मेट्रो का विस्तार कर 82 स्टेशनों का निर्माण किया गया।

ये हैं दिल्ली मेट्रो की आठ रंग की लाइनें

लाल, पीला, नीला, बैंगनी, नारंगी, हरा, मैजेंटा और गुलाबी। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह की मानें तो दिल्ली मेट्रो के फेज-1, फेज-2 और फेज-3 को तैयार में आई चुनौतियों से डीएमआरसी ने जो अनुभव हासिल किया है, उसका प्रयोग मेट्रो के फेज-4 को बनाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के औपचारिकताएं पूरी करने के साथ ही डीएमआरसी इसका निर्माण शुरू कर सकती है।

 कहां-कहां पर आता है मेट्रो पर खर्च

दिल्ली मेट्रो परिचालन व यात्री किराये से मुनाफे में रफ्तार भरने वाली दुनिया की पांच मेट्रो सिस्टम में शामिल है। विस्तार परियोजनाओं के कारण लिए गए कर्ज को चुकाने के बाद वह घाटे में आती है। फिलहाल दिल्ली मेट्रो 300 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही है। इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली-एनसीआर के यात्रियों पर भारी भरकम किराया वृद्धि का बोझ डाला गया है, वह भी एक साल के दौरान दो बार। डीएमआरसी अधिकारियों की मानें तो ऊर्जा में 105 फीसद, कर्मचारी खर्च में 139 फीसद और मरम्मत से जुड़े कामों में 213 फीसद से अधिक का इजाफा हुआ है। मेट्रो प्रबंधन के मुताबिक, कुशलतापूर्वक चलने के बावजूद मेट्रो को 378 करोड़ रुपये का घाटा हर साल हो रहा है।

मुनाफे के बाद भी घाटे में DMRC

वर्ष 2016-17 में डीएमआरसी को यात्री किराया, बाहरी परियोजनाओं, रियल एस्टेट, कंसलटेंसी आदि जरियों से 5387.90 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था और खर्च 3954.89 करोड़ रहा। इस तरह 1433.10 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। हालांकि ऋण व अन्य वित्तीय देनदारी के बाद उस साल मेट्रो को 348.15 करोड़ का नुकसान हुआ। बाद में विभिन्न करों (टैक्स) में बचत के बाद मेट्रो को वर्ष 2016-17 में 248.76 करोड़ का नुकसान हुआ। इससे पहले वर्ष 2015-16 में मेट्रो की कमाई 4344.25 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2016-17 में मेट्रो को परिचालन से 2179 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जो 2016 के मुकाबले 6.95 फीसद अधिक थी। उस समय दूरी के अनुसार 15 स्लैब में किराया निर्धारित था।

...तो इस तरह हमेशा घाटे में ही रहेगी दिल्ली मेट्रो

डीएमआरसी की मानें तो चौथे और पांचवें चरण की परियोजनाओं पर काम चलने से लोन लेने के बाद मेट्रो पर कर्ज और बढ़ जाएगा। इसलिए किराया वृद्धि से नुकसान जरूर कम होगा, लेकिन मेट्रो फायदे में नहीं आएगी। इस दावे के बावजूद यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि हांगकांग, सिंगापुर व जापान की मेट्रो की तरह दिल्ली मेट्रो की गिनती भी परिचालन में मुनाफा कमाने वाली मेट्रो में होती है।

रिलायंस को देने हैं तकरीबन 3000 करोड़ रुपये

पहले से ही घाटे में चल रहे दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने झटका दिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) को एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का निर्माण करने वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (रिन्फ्रा) सब्सिडियरी को 3502 करोड़ का भुगतान करने के आदेश दिया था, हालांकि यह मामला लंबित है, लेकिन पैसे तो उसे चुकाने ही होंगे।

जापानी बैंक का मेट्रो पर 20 हजार करोड़ से अधिक का बकाया

डीएमआरसी ने जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन बैंक (JICA) से बड़ा लोन लिया हुआ है और 20 हजार करोड़ से अधिक का लोन अब भी बकाया है, ऐसे में इसकी भरपाई भी आसान नहीं है।

कई देशों के मुकाबिल है दिल्ली मेट्रो

दिल्ली मेट्रो से पहले क्रमश: शंघाई, बीजिंग, लंदन, न्यूयार्क, मास्को, सियोल, मादरिद, मैक्सिको और पेरिस हैं। फिलहाल दिल्ली मेट्रो न्यूयार्क, मास्को, सियोल, मादरिद, मैक्सिको और पेरिस मेट्रो को पीछे छोड़ते हुए विश्व का चौथा सबसे लंबा मेट्रो नेटवर्क हो चुका है।

 2022 तक विश्व का तीसरा सबसे लंबा मेट्रो रेल नेटवर्क

2022 तक दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 490 किलोमीटर का होगा। साथ ही यह विश्व का तीसरा सबसे लंबा नेटवर्क बन जाएगा। वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क शंघाई का है जो करीब 588 किलोमीटर तक फैला है। दूसरे पायदान में 554 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ बीजिंग मेट्रो का है। वहीं, दिल्ली मेट्रो 213 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ 11वें पायदान पर है।

कहां-कहां पर आता है मेट्रो पर खर्च

दिल्ली मेट्रो परिचालन व यात्री किराये से मुनाफे में रफ्तार भरने वाली दुनिया की पांच मेट्रो सिस्टम में शामिल है। विस्तार परियोजनाओं के कारण लिए गए कर्ज को चुकाने के बाद वह घाटे में आती है। फिलहाल दिल्ली मेट्रो 300 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही है। इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली-एनसीआर के यात्रियों पर भारी भरकम किराया वृद्धि का बोझ डाला गया है, वह भी एक साल के दौरान दो बार। डीएमआरसी अधिकारियों की मानें तो ऊर्जा में 105 फीसद, कर्मचारी खर्च में 139 फीसद और मरम्मत से जुड़े कामों में 213 फीसद से अधिक का इजाफा हुआ है। मेट्रो प्रबंधन के मुताबिक, कुशलतापूर्वक चलने के बावजूद मेट्रो को 378 करोड़ रुपये का घाटा हर साल हो रहा है।

मेट्रो स्टेशनों पर भी सुविधाओं की भरमार

दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर छोटे कियोस्क (भोजन की दुकान) भी मौजूद हैं, जो यात्रियों को भोजन और पेय पदार्थ जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। कुछ स्टेशनों जैसे राजीव चौक तथा कश्मीरी गेट आदि में मैकडॉनल्ड्स, नरूला, कैफे कॉफी डे जैसी लोकप्रिय दुकानें हैं। आईआरसीटीसी ने भी कियोस्क (भोजन की दुकान) की स्थापित की हैं, जो यात्रियों को उचित दर पर नाश्ता और व्यंजन की पेशकश करती हैं। कियोस्क (भोजन की दुकान) हल्के नाश्ते और मिनी भोजन की भी पेशकश करते हैं।

यह भी पढ़ेंः दिल्ली से सस्ता होगा नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो का सफर, यहां देखिए किराए की सूची

दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए यहां क्लिक करें