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सोशल मीडिया पर बुराड़ी के 11 लोगों के पुनर्जन्म की खबर! जानें- इसमें कितनी है सच्चाई

गुजरात के सूरत शहर में एक पारसी महिला ने एक साथ 11 बच्चों को जन्म दिया है। इन 11 बच्चों को लेकर सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि यह बुराड़ी के 11 लोगों को पुनर्जन्म है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 08 Aug 2018 12:30 AM (IST)
सोशल मीडिया पर बुराड़ी के 11 लोगों के पुनर्जन्म की खबर! जानें- इसमें कितनी है सच्चाई
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में इंटरनेट की बढ़ती कनेक्टिविटी जहां लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, वहीं ज्यादातर लोग झूठी ख़बरों के चक्कर में भी आ जाते हैं। यूं भी सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना और उसे वायरल करा देना अब कुछ सेकेंड का काम रह गया है। दिल्ली का बुराड़ी कांड भी फेक न्यूज का शिकार हुआ है। जहां एक ओर महीने भर बाद भी दिल्ली पुलिस बुराड़ी इलाके में एक परिवार के 11 लोगों के बड़े ही रहस्यमय तरीके से आत्महत्या करने के मामले को नहीं सुलझा सकी है, वहीं परिवार के सभी 11 लोगों का पुनर्जन्म होने की सनसनीखेज बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि गुजरात के सूरत शहर में एक पारसी महिला ने एक साथ 11 बच्चों को जन्म दिया है। इन 11 बच्चों को लेकर सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि यह बुराड़ी के 11 लोगों को पुनर्जन्म है। इस बाबत सोशल मीडिया पर एक-दो तस्वीरें वायरल हुई हैं। एक तस्वीर में गर्भवती महिला को दिखाया जा रहा है, जबकि अन्य तस्वीरों में 11 नवजात अस्पताल के डॉक्टरों के साथ हैं। 

क्या कहती हैं तस्वीरें

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें किसी अस्पताल की लग रही हैं। एक तस्वीर में अस्पताल की नर्सरी में 11 बच्चे रखे हुए हैं। हैरानी की बात है कि वायरल तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि बुराड़ी में जिन 11 लोगों ने अात्महत्या की थी, यह उन्हीं 11 लोगों का पुनर्जन्म है। 

सूरत का अस्पताल होने का दावा

सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में यह भी कहा जा रहा है कि सूरत (गुजरात) के नानपुरा अस्पताल में इन 11 लोगों का जन्म हुआ है। इतन ही नहीं, यह भी कहा जा रहा है कि एक पारसी महिला ने 11 बेटों को जन्म दिया है। बता दें कि वीडियो हिंदुत्व नमो नमः नाम से बने फेसबुक प्रोफाइल से 20 जुलाई को पोस्ट किया गया था, जिसमें दावे के साथ इसे पुनर्जन्म को न मानने वालों के गाल पर तमाचा करार दिया था।

झूठा निकला दावा

हालांकि, बाद में सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों की पड़ताल की गई तो साफ हो गया कि पुनर्जन्म जैसा कुछ नहीं है। जिस गर्भवती महिला को पारसी महिला कहकर वायरल किया जा रहा था, उसके पेट में छह बच्चे थे और वह अमेरिका की है। 

बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।

पुनर्जन्म सच या भ्रम !!
हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य का केवल शरीर मरता है उसकी आत्मा नहीं। आत्मा एक शरीर का त्याग कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं। हालांकि नया जन्म लेने के बाद पिछले जन्म की याद बहुत ही कम लोगों को रह पाती है, इसलिए ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सामने आती हैं। पुनर्जन्म की घटनाएं भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में सुनने को मिलती हैं,तो आइए जानें उन घटनाओं के बारे में।

 

पहली घटना

यह घटना सन् 1950 अप्रैल की है। कोसीकलां गांव के निवासी भोलानाथ जैन के पुत्र निर्मल की मृत्यु चेचक के कारण हो गई थी। इस घटना के अगले साल यानी सन 1951 में छत्ता गांव के निवासी बीएल वाष्णेय के घर पुत्र का जन्म हुआ। उस बालक का नाम प्रकाश रखा गया। प्रकाश जब साढ़े चार साल का हुआ तो एक दिन वह अचानक बोलने लगा- मैं कोसीकलां में रहता हूं। मेरा नाम निर्मल है। मैं अपने पुराने घर जाना चाहता हूं। ऐसा वह कई दिनों तक कहता रहा। प्रकाश को समझाने के लिए एक दिन उसके चाचा उसे कोसीकलां ले गए। यह सन् 1956 की बात है। कोसीकलां जाकर प्रकाश को पुरानी बातें याद आनें लगीं। संयोगवश उस दिन प्रकाश की मुलाकात अपने पूर्व जन्म के पिता भोलानाथ जैन से नहीं हो पाई। प्रकाश के इस जन्म के परिजन चाहते थे कि वह पुरानी बातें भूल जाए। बहुत समझाने पर प्रकाश पुरानी बातें भूलने लगा लेकिन उसकी पूर्व जन्म की स्मृति पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाई।

दूसरी घटना

यह घटना आगरा की है। यहां किसी समय पोस्ट मास्टर पी.एन. भार्गव रहा करते थे। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम मंजु था। मंजु ने ढाई साल की उम्र में ही यह कहना शुरू कर दिया कि उसके दो घर हैं। मंजु ने उस घर के बारे में अपने परिवार वालों को भी बताया। पहले तो किसी ने मंजु की उन बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब कभी मंजु धुलियागंज, आगरा के एक विशेष मकान के सामने से निकलती तो कहा करती थी- यही मेरा घर है। एक दिन मंजु को उस घर में ले जाया गया। उस मकान के मालिक प्रताप सिंह चतुर्वेदी थे। वहां मंजु ने कई ऐसी बातें बताईं जो उस घर में रहने वाले लोग ही जानते थे।

तीसरी घटना

सन् 1960 में प्रवीणचंद्र शाह के यहां पुत्री का जन्म हुआ। इसका नाम राजूल रखा गया। राजूल जब 3 साल की हुई तो वह उसी जिले के जूनागढ़ में अपने पिछले जन्म की बातें बताने लगी। उसने बताया कि पिछले जन्म में मेरा नाम राजूल नहीं गीता था। पहले तो माता-पिता ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब राजूल के दादा वजुभाई शाह को इन बातों का पता चला तो उन्होंने इसकी जांच-पड़ताल की, जो बिल्कुल सही था।

चौथी घटना

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एमएल मिश्र रहते थे। उनकी एक लड़की थी, जिसका नाम स्वर्णलता था। बचपन से ही स्वर्णलता यह बताती थी कि उसका असली घर कटनी में है और उसके दो बेटे हैं। पहले तो घर वालों ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब वह बार-बार यही बात बोलने लगी तो घर वाले स्वर्णलता को कटनी ले गए। कटनी जाकर स्वर्णलता ने पूर्वजन्म के अपने दोनों बेटों को पहचान लिया। उसने दूसरे लोगों, जगहों, चीजों को भी पहचान लिया।

पांचवीं घटना

सन् 1956 की बात है। दिल्ली में रहने वाले गुप्ता जी के घर पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम गोपाल रखा गया। गोपाल जब थोड़ा बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पूर्व जन्म में उसका नाम शक्तिपाल था और वह मथुरा में रहता था, मेरे तीन भाई थे उनमें से एक ने मुझे गोली मार दी थी। मथुरा में सुख संचारक कंपनी के नाम से मेरी एक दवाओं की दुकान भी थी। गोपाल के माता-पिता ने पहले तो उसकी बातों को कोरी बकवास समझा, लेकिन बार-बार एक ही बात दोहराने पर गुप्ताजी ने अपने कुछ मित्रों से पूछताछ की। जानकारी निकालने पर पता कि मथुरा में सुख संचारक कंपनी के मालिक शक्तिपाल शर्मा की हत्या उनके भाई ने गोली मारकर कर दी थी। जब शक्तिपाल के परिवार को यह पता चला कि दिल्ली में एक लड़का पिछले जन्म में शक्तिपाल होने का दावा कर रहा है तो शक्तिपाल की पत्नी और भाभी दिल्ली आईं।

छठवीं घटना

न्यूयार्क में रहने वाली क्यूबा निवासी 26 वर्षीया राचाले ग्राण्ड को यह अलौकिक अनुभूति हुआ करती थी कि वह अपने पूर्व जन्म में एक डांसर थीं और यूरोप में रहती थी। उसे अपने पहले जन्म के नाम की स्मृति थी। खोज करने पर पता चला कि यूरोप में आज से 60 वर्ष पूर्व स्पेन में उसके विवरण की एक डांसर रहती थी। राचाले की कहानी में सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि जिसमें उसने कहा था कि उसके वर्तमान जन्म में भी वह जन्मजात नर्तकी की है।

सातवीं घटना

पुनर्जन्म की एक और घटना अमेरिका की है। यहां एक अमेरिकी महिला रोजनबर्ग बार-बार एक शब्द जैन बोला करती थी, जिसका अर्थ न तो वह स्वयं जानती थी और न उसके आस-पास के लोग। साथ ही वह आग से बहुत डरती थी। जन्म से ही उसकी अंगुलियों को देखकर यह लगता था कि जैसे वे कभी जली हों। एक बार जैन धर्म संबंधी एक गोष्ठी में, जहां वह उपस्थित थी, अचानक रोजनबर्ग को अपने पूर्व जन्म की बातें याद आने लगी। जिसके अनुसार वह भारत के एक जैन मंदिर में रहा करती थी और आग लग जाने की आकस्मिक घटना में उसकी मृत्यु हो गई थी।

आठवीं घटना

जापान जैसे बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों में पुनर्जन्म में विश्वास किया जाता है। 10 अक्टूबर 1815 को जापान के नकावो मूरा नाम के गांव के गेंजो किसान के यहां पुत्र हुआ। उसका नाम कटसूगोरो था। जब वह सात साल का हुआ तो उसने बताया कि पूर्वजन्म में उसका नाम टोजो था और उसके पिता का नाम क्यूबी, बहन का नाम फूसा था तथा मां का नाम शिड्जू था। 6 साल की उम्र में उसकी मृत्यु चेचक से हो गई थी। उसने कई बार कहा कि वह अपने पूर्वजन्म के पिता की कब्र देखने होडोकूबो जाना चाहता है। उसकी दादी (ट्सूया) उसे होडोकूबो ले गई। वहां जाते समय उसने एक घर की ओर इशारा किया और बताया कि यही पूर्वजन्म में उसका घर था। पूछताछ करने पर यह बात सही निकली।

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