Bengal Durga Puja: 'महिषासुरमर्दिनी करेंगी महिषासुरों का करेंगी नाश...', आंदोलन के बीच नई आस जगाती दुर्गापूजा
Bengal Durga Puja कोलकाता में दुर्गा पूजा का पर्व हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस बार के उत्सव में एक खास संवेदनशीलता जुड़ी हुई है। आरजी कर अस्पताल कांड के खिलाफ न्याय की मांग और समाज में बदलाव के आह्वान की आवाज बुलंद है। विभिन्न पूजा पंडालों में पर्यावरण सामाजिक भेदभाव और महिला सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित थीम दिखाई दे रही हैं।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी की घटना ने सबको झकझोरा है, लेकिन इसने समाज को अभूतपूर्व तरीके से एकजुट भी किया है। मृतका के परिवार के लिए न्याय मांगने असंख्य लोग सड़क पर उतरे। जुलूस निकाले गए, धरने हुए, सभाएं हुईं। देश-दुनिया ने आंदोलन का नया स्वरूप देखा, जो अब भी जारी है।
इन सबके बीच आदिशक्ति का आगमन हुआ है। दुर्गा पूजा अर्थात जनजीवन में अथक उत्साह का संचार, अमिट ऊर्जा का प्रसार। देवीपक्ष की शुरुआत के साथ सबके मन में नए सिरे से आस जगी है कि महिषासुरमर्दिनी आएंगी और अब समाज के महिषासुरों का नाश करेंगी। आंदोलन के बीच पूरा बंगाल दुर्गामय हो उठा है।
पंडालों में झलक रहा बंगाल का चिंतन
विशिष्ट समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था-'बंगाल जो आज सोचता है, भारत कल सोचेगा।' बंगाल की दुर्गा पूजा में भी यह साल-दर-साल परिलक्षित होता आया है। यहां के पूजा पंडालों, प्रतिमाओं व आलोक सज्जा में देश-दुनिया की प्रमुख घटनाओं, दर्शनीय स्थलों से लेकर सामाजिक चिंतन, जागरुकता व संदेश सब कुछ झलकता है। इस बार भी बंगाल की अद्भुत हस्तशिल्प कला के माध्यम से ये सब कुछ नजर आ रहा है। कोलकाता की मशहूर दुर्गोत्सव कमेटी यंग ब्वायज क्लब का इस बार की पूजा थीम बढ़ते शहरीकरण से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान पर केंद्रित है। क्लब के पदाधिकारी राकेश सिंह ने कहा-'हम पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का अहसास कराने का प्रयास कर रहे हैं।'
वहीं हाजरा पार्क दुर्गा उत्सव समिति अपने पंडाल के माध्यम से समाज में 'शुद्धिकरण' का संदेश दे रही है। समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा-'दुर्गापूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है। यह एक आंदोलन भी है। हम अपने थीम के जरिए सामाजिक भेदभाव खत्म कर सशक्त समाज के निर्माण की बात रखना चाहते हैं।'
आरजी कर कांड की संवेदनशीलता व इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण अधिकांश पूजा आयोजक इसे अपनी थीम बनाने से बचे हैं।हालांकि, कोलकाता के काकुड़गाछी इलाके की श्री श्री सरस्वती और काली माता मंदिर परिषद की पूजा में एक मार्मिक प्रतिमा को दर्शाया गया है। इसमें दुर्गा एक महिला के शव के सामने अपनी हथेलियों से अपना चेहरा ढंकते हुए दिख रही हैं। इस थीम को 'लज्जा' नाम दिया गया है।
पूजा समिति के प्रवक्ता ने बताया-'यह महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसा और हमलों के प्रति हमारा विरोध है। हमारा मानना है कि इस दुर्गा पूजा का हमारी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए एक मंच के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।'