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चलो राष्ट्रपति भवन घूूम आएंं, जानिए राष्ट्रपति भवन से जुड़ी कुछ खास बातें

भारत के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले भारतीय राष्ट्रपति का आवास है राष्ट्रपति भवन। भारतीय राष्ट्रपति का यह आलिशान भवन बेहद खूबसूरत और एतिहासिक है। वीवीआइपी इलाके नई दिल्ली स्थिति राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा काफी सख्त रहती है।

By Jagran News NetworkEdited By: Updated: Mon, 01 Jul 2019 01:52 PM (IST)
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भारत के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले भारत के राष्ट्रपति का आवास है राष्ट्रपति भवन।

जेएनएन [राघवेन्द्र प्रताप सिंह]। भारत के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले भारत के राष्ट्रपति का आवास है राष्ट्रपति भवन। राष्ट्रपति भवन को फ़ोटो में देखना व वहां जाकर घूमना दोनों दो बातें है। भारतीय राष्ट्रपति का यह आलिशान भवन बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक है।

राष्ट्रपति भवन का निर्माण कार्य साल 1913 में शुुरू हुआ था और इसे बनने में 17 साल लगे। इसको बनाने के लिए लगभग 23,000 मजदूरों को काम पर लगाया गया था। 23,000 मजदूरों में से 6,000 हजार मजदूर सिर्फ पत्थर तरासने का काम करते थे। राष्ट्रपति भवन का डिज़ाइन या आर्किटेक्ट को लूटियंस ने तैयार किया था।

इसलिए हम दिल्ली को लूटियंस दिल्ली के नाम से भी जानते हैं। लूटियंस के बारे में कहा जाता है कि उसका चश्मा गोल था। इसलिए वह गोलाकार डिजाइन ज्यादा बनाता था।

राष्ट्रपति भवन में गोलाकार आकृतियों का प्रयोग आपको देखने को मिलेगा। राष्ट्रपति भवन को बनाने के लिए राजस्थान से धौला पत्थर, लाल पत्थर व सफेद मार्बल मंगाए गए थे। सबसे पहले वायसराय लॉर्ड इरविन यहां रहे थे और अंत में लॉर्ड माउंटबेटन रहे। यह पूरा इलाका रायसीना हिल्स पर बना हुआ है।

राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार जैसे भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, खेल रत्न पुरस्कार आदि का कार्यक्रम भी इसी हॉल में आयोजित किये जाते हैं।

इस हॉल में 1500 साल पुरानी भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगी हुई है जो कि गुप्तकालीन है। दरबार हॉल के ठीक सामने एक गेट है जिसे कुछ खास अवसरोंं पर ही खोला जाता है। एक 26 जनवरी को या फिर 15 अगस्त को। दरबार हॉल में एक बार में 400 से ज्यादा लोगों को बैठने के लिए कुर्सियां लगी हुई हैं।

अशोका हॉल

राष्ट्रपति भवन के इस हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। यहां पर आए हुए प्रतिनिधियों के साथ फोटोग्राफी भी किया जाता है। इस हॉल में आपको खूबसूरत वॉल पेंटिग्स देखने को मिलेगा। जो कि कैनवास पर बनाया गया है और उसे छत में लगाया गया है।

इसके छत में जो पेंटिंग लगी हुई है, वह ईरान के राजा की तस्वीर है शिकार खेलते हुए। जिसे की लॉर्ड इरविन जो उस समय इंडिया के वायसराय हुआ करते थे के कहने पर लगया गया था।

बैंक्वेट हॉल

इसमें 100 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था है। इस बैंक्वेट हॉल में राष्ट्रपति दूसरे देश से आये हुए प्रतिनिधि के साथ डिनर करते हैं। इस हॉल के दोनों तरफ की दीवारों पर यहां आपको पहले रह चुके राष्ट्रपतियों का कैनवास पर बनाया हुआ पोट्रेट तस्वीर देखने को मिलेगा।

इन तस्वीरों के ऊपर तीन तरह की लाइट लगी हुई है, जो इस बात की संकेत करती हैं कि कब प्लेटे सजानी हैं और कब समेटने हैं। एक खास बात जो कि बहुत कम लोगों को पता है की पहले बैंक्वेट हॉल के दीवारों पर विभिन्न तरह के हथियारों के तसवीर बने हुए थे।

लेकिन भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कहने पर हॉल में दीवारों के ऊपर सोनाजड़ित कलाकृतियांं बनाई गई जो बेहद खूबसूरत हैं। बैंक्वेट हॉल के बाहर खिड़की से आप मुगल गार्डन भी देख सकते हैं, जोकि आम लोगों के लिए फरवरी महीने में खोला जाता है।

मार्बल म्यूजियम हॉल

यह हॉल राष्ट्रपति को दिए गए उपहारों से सजा हुआ है। इसमें आप कश्मीरि बुनकरोंं के द्वारा बनाये गए जरदोजी के खूबसूरत कालीनों को देख सकते हैं। जरदोजी यानी कि सोने के धागों से बुना हुआ कालीन होता है। इस हॉल को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने वर्ष 2016 में घूमने व देखने के लिए खुलवाए थे।

भगवान बुद्ध का सहस्त्रबाहु मूर्ति

राष्ट्रपति भवन के अंदर सीढ़ी पर चढ़ते ही आपको यह सफेद रंग का भगवान बुद्ध का सहस्त्र-बाहु मूर्ति देखने को मिलेगा। यह मूर्ति बेहद आकर्षक है जो कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई है। मूर्ति तीन हिस्सों में बंटी हुई है।    मूर्ति का सबसे नीचे वाला हिस्सा ड्रैगन का है, उसके उपर कमल के पुष्प पर विराजमान बुद्ध भगवान और फिर तीसरे भाग में बुद्ध के 12 सिर हैं जो ऊपर के तरफ जाते हुए छोटे होते जा रहे हैं जो कि मोक्ष प्राप्त होने का संकेत दे रहे हैं। सिर के पीछे एक विशालकाय चक्र है जिसमें 1000 हांथे बनी हुई हैं।

अतिथि गृह/गेस्ट विंग

इसमें दूसरे देश से आये हुए राष्ट्रपति को ठहराया जाता है।

नॉर्थ ड्रॉइंग रूम

अशोका हॉल से ठीक पहले आपको दोनों तरफ दो कमरे देखने को मिलेंगे। दाईं ओर का कमरा राष्ट्रपति अपने विदेशी मेहमानों से औपचारिक बातचित, मुलाकात और फोटोग्राफी के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसे नार्थ ड्रॉइंग रूम कहा जाता है।

लॉन्ग ड्रॉइंग रूम

इसके ठीक दूसरी तरफ के कमरे का इस्तेमाल राष्ट्रपति राज्यों के राज्यपाल और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मिलने के लिए करते हैं। इसे लॉन्ग ड्रॉइंग रूम कहते हैं।