आज हम आपके लिए लाए हैं, देश के उन चार किसानों की कहानी, जिनको उन्नत खेती से देश के विकास में योगदान देने के लिए 'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मानित किया है।
अशोक मनवानी: पर्ल फार्मिंग
महाराष्ट्र के गुलाब नगर से आने वाले अशोक मनवानी पिछले 27 सालो से पर्ल फार्मिंग से जुड़े हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में कई इनोवेशन और रिसर्च किया है। मनवानी ने महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार सहित देश के कई राज्यों की स्थानीय सीपियों की किस्मों से मोती के उत्पादन में सफलता हासिल की है।
अशोक मनवानी कम लागत में सस्टेनेबल पर्ल फार्मिंग के लिए जाने जाते हैं। वह इसकी ट्रेनिंग भी देते हैं। उन्होंने इस्तेमाल में आसान और कम लागत वाले टूल्स को डिजाइन करके पर्ल फार्मिंग को सर्वसुलभ बनाने की कोशिश की है।
'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में मनवानी को सम्मानित करते केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान। जागरण
वर्तमान में मनवानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ऑर्गेनिक और नेचुरल तरीके से सफलतापूर्वक पर्ल फार्मिंग करके मिसाल कायम कर रहे हैं। मनवानी को कृषि में उनके श्रेष्ठ योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं। 'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में अशोक मनवानी को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मानित किया है।
सादुलाराम चौधरी: डेट फार्मिंग
राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के निवासी सादुलाराम चौधरी प्रगतिशील किसानों में गिने जाते हैं। वह रेगिस्तान में जैविक विधि से खजूर और अंजीर की खेती करके कई सालों से हजारों किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।
सादुलाराम ने थार के मरुस्थल को न केवल नखलिस्तान बनाया, बल्कि उच्च गुणवत्ता के खजूर का उत्पादन कर एक अभिनव पहल की, जिससे बाड़मेर के किसानों की दिशा और दशा ही बदल डाली।सादुलाराम चौधरी बताते हैं कि वह गुजरात में कच्छ घूमने गए थे, वहां उन्होंने खजूर की खेती देखी। तभी उनके मन में ख्याल आया कि जब कच्छ में खजूर की खेती हो सकती है तो हमारे रेगिस्तान में क्यों नहीं। खजूर की खेती के बारे में जानकारी जुटाई और बाड़मेर में भी अंजीर और खजूर की खेती शुरू कर दी।
वह बताते हैं कि खजूर का पौधा महंगा आता है, इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार से मदद भी मिली। वर्तमान में सादुलाराम चौधरी देश भर में अपने खेतों के खजूर और अंजीर की सप्लाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वह विदेश में भी खजूर और अंजीर निर्यात कर रहे हैं।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह से अवार्ड लेते डेट फार्मिंग करने वाले सादुलाराम चौधरी। जागरण
सादुलाराम चौधरी को देखकर कई अन्य किसानों ने भी उन्नत खेती और नई-नई फसलों की बुवाई शुरू कर दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में कृषि के जरिए देश के विकास में योगदान देने के लिए सादुलाराम चौधरी को सम्मानित किया है।
नरेंद्र सिंह मेहरा: इनोवेटिव फार्मिंग
उत्तराखंड के हल्द्वानी से आने वाले नरेंद्र सिंह मेहरा राज्य में खुद भी इनोवेटिव फार्मिंग कर रहे हैं और राज्य के किसानों को भी इसके लिए मोटिवेट कर रहे हैं। उन्होंने गन्ने का जैविक बीज तैयार कर उसे पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़ में जैविक गुड़ उत्पादन हेतु पहुंचाया गया।
पिथौरागढ़ में इसकी सफलता को देखते हुए उत्तराखंड के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों रुद्रप्रयाग और पौड़ी में भी गन्ने के उत्पादन पर विचार किया जा रहा है।नरेंद्र सिंह मेहरा ने गेहूं की एक नई प्रजाति को विकसित किया है, जिसका नाम उन्होंने नरेंद्र 09 रखा है। बीज पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण,भारत सरकार द्वारा 05 जुलाई 2021 किसान नरेंद्र के नाम पेटेंट हो चुकी है। गेहूं की नई प्रजाति को विकसित करने वाले नरेंद्र सिंह मेहरा उत्तराखंड के पहले किसान हैं।
साल 2022 में बनाया अनोखा रिकॉर्ड
नरेंद्र सिंह मेहरा ने साल 2022 में एक रिकॉर्ड बनाया। हल्दी के एक पौधे से 25 किलो हल्दी उत्पादन करने के लिए नरेंद्र सिंह मेहरा का नाम वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अवार्ड लेते किसान नरेंद्र सिंंह मेहरा।जागरण
मेहरा को खेती-किसानी में नवाचार के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मंगलवार को दिल्ली में आयोजित 'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में नरेंद्र को सम्मानित किया है।
वैभव चावड़ा: ड्रैगन फार्मिंग
छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी वैभव चावड़ा और उनका परिवार ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहा है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले वैभव अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के किसान हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग, रायपुर, बेमेतरा जिले के इलाकों में ड्रैगन फ्रूट की सफलता से खेती कर वैभव चावड़ा और न उनका परिवार खुद मुनाफा कमा रहा है, बल्कि आसपास के तमाम किसानों को भी उन्नति की राह दिखा रहे हैं।
यह भी पढ़ें -मोदी सरकार ने किसानों के लिए तय की ये छह प्राथमिकताएं, जागरण एग्री पंचायत में कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने किया एलानआज वैभव का परिवार 600 एकड़ में फल और सब्जी की अलग-अलग किस्में उगा रहा है। इसमें से 100 एकड़ से अधिक एरिया में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं और दूसरे किसानों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
वियतनाम और मलेशिया से सीखे तौर-तरीके
वैभव के परिवार ने 2012-2013 में खेती में कुछ अलग करने की सोच लेकर ड्रैगन फ्रूट की खेती की विधि समझने के लिए थाईलैंड, वियतनाम और मलेशिया की यात्रा की। वहां से आने के बाद 2014 में छह एकड़ में पहली छत्तीसगढ़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती की और सफल रहे। अब 100 एकड़ से ज्यादा के एरिया में खेती कर रहे हैं।वैभव चावड़ा से जुड़कर 600 किसान करीबन 1100 एकड़ से ज्यादा एरिया में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। वैभव इन किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की तकनीक भी सिखा रहे हैं।
यह भी पढ़ें -जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवॉर्ड: खेती पर जलवायु परिवर्तन की मार से कैसे बचें? एक्सपर्ट ने दिया ये जवाबछत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के किसान वैभव से ड्रैगन फ्रूट की खेती सीखकर अच्छी पैदावार कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान वैभव चावड़ा को सम्मानित करते केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान। जागरण यह भी पढ़ें -जागरण एग्री पंचायत समिट: 'कृषि के क्षेत्र में आई क्रांति', रामविचार नेताम बोले- उत्पादन बढ़ाने में मिल रही तकनीकी मददइनसे जुड़े किसान ड्रैगन फ्रूट सीधे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, इंदौर, भोपाल और भुवनेश्वर समेत अन्य शहरों के बाजार में बेच रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मंगलवार को दिल्ली में आयोजित 'जागरण एग्री पंचायत समिट व अवार्ड' में वैभव चावड़ा को कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया है।
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