राजनीतिक स्थिरता और नीतियों- कार्यक्रमों में निरंतरता के बिना कोई देश तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता है। पीएम मोदी का नया मंत्रिमंडल उनकी रणनीतिक सोच को दिखाता है। मोदी सरकार 3.0 के मंत्रिमंडल गठन ने ऐसी तस्वीर दिखाई जो सरकार की दशा और दिशा को स्पष्ट और प्रभावी रूप से उकेरती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े और अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी में कोई फेरबदल नहीं किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार जून को 18वीं लोकसभा के परिणाम आने शुरू हुए तो एक बार लगा कि भारत ने निरंतरता और स्थिरता की सरकार के स्थान पर परिवर्तन और अस्थिरता वाली मिली-जुली सरकार चुनी है, लेकिन दोपहर बाद सारे परिणामों से स्पष्ट हो गया कि भारतीय मतदाताओं ने दस वर्षों के बाद भी निरंतरता और स्थिरता को ही चुना है।
यह निरंतरता और स्थिरता नया भारत, विकसित भारत बनाने के रास्ते पर तेजी से बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को थोड़ी चेतावनी के साथ दिया गया जनादेश था। नतीजों के बाद भाजपा मुख्यालय पहुंचे नरेंद्र मोदी के भाषण में जनता की चेतावनी का अहसास दिख रहा था। इस जनादेश में आर्थिक, सामरिक नीतियों को लेकर नरेंद्र मोदी को किसी तरह का परिवर्तन न करने का आदेश जनता की तरफ से दिया गया है और पीएम मोदी को जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई।
चार मंत्रालयों में नहीं किया बदलाव
मंत्रिपरिषद में सबसे महत्वपूर्ण चार मंत्रालयों में किसी तरह का कोई परिवर्तन न करके पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमाओं की सुरक्षा, विदेशी राजनयिक और आर्थिक नीतियों के मामले में 2014 में रखी गई नींव 2019 में मजबूत की जा चुकी है और अब 2024 में उस पर विशाल, सुंदर इमारत बनाने के लिए मंत्रिपरिषद बन चुकी है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करते हुए 2028-29 तक पचास हजार करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात को पूरा करने का निर्देश पदभार संभालते ही दे दिया। रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर होने का यह प्रमाण भी है कि वित्तीय वर्ष 2024 में भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये का हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के ही दिन जम्मू के रियासी में श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकवादियों की फायरिंग आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर सबसे बड़ी चुनौती दिखा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वहां आतंकवाद की घटनाओं में आई कमी को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद फिर से चुनौती दे रहा है। इस कार्यकाल में इस्लामिक आतंकवाद के साथ नक्सली आतंकवाद को समाप्त करने में अमित शाह कोई कसर नहीं छोड़ने वाले।
डोभाल की तीसरी बार नियुक्ति के क्या है मायने?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर अजीत डोभाल की नियुक्ति भी आतंकवाद के विरुद्ध मोदी सरकार की नीतियों की निरंतरता को मजबूती से स्थापित कर रही है। विकसित भारत के लिए सबसे आवश्यक है कि देश के विवाद ग्रस्त क्षेत्रों से विवाद की वजहें समाप्त हों। गृह मंत्री अमित शाह ने इस मोर्चे पर सफलता की नींव पक्की की है और उसी पक्की नींव पर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भव्य इमारत बनाने की तैयारी है।
अमित शाह ने पदभार संभालते ही जम्मू कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पर बड़े ऑपरेशन के लिए संबंधित एजेंसियों के साथ बैठक की है। बाह्य और आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने के साथ आवश्यक है कि विदेशी राजनयिक का मोर्चा भी मजबूत रहे। यहां भी पीएम मोदी ने शानदार कार्य कर रहे डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर पर ही विश्वास जताया है।तीसरी शपथ के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने पहला दौरा जी7 समूह की बैठक के लिए इटली का किया और वहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पश्चिम के एकाधिकार को गलत बताते हुए 'एआआइ फार आल' का मंत्र दिया। साथ ही बेहतर विश्व के लिए पर्यावरण की चिंता को गंभीरता से लेने की सलाह दी।
किसानों के लिए 'शिव'राज
भारत की बड़ी आबादी अभी भी कृषि से सीधे जुड़ी हुई है। कृषि क्षेत्र की बेहतरी के बिना देश की तरक्की असंभव है। यही वजह थी कि प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय दोगुना करने जैसा असंभव सा लगने वाला लक्ष्य हाथ में ले लिया।
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उसके लिए बुनियादी सुधारों के साथ कानूनों में भी सुधार करके आगे बढ़ने का प्रयास भी किया। हालांकि, राजनीतिक हितों की भेंट चढ़ जाने से उतनी सफलता नहीं मिल सकी।अब कृषि मंत्री के तौर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चयन किसानों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता को दिखा रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में लगातार एक दशक से अधिक समय तक कृषि क्षेत्र में दस प्रतिशत की विकास दर बनाकर रखी और किसानों के लिए आधुनिक सुविधाओं का विस्तार मध्य प्रदेश में दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण है।
शिवराज सिंह चौहान का मिलनसार और सबको साथ लेकर चलने वाला स्वभाव भी अड़ियल किसान नेताओं का रुख कुछ नरम कर सकेगा, इसकी भी उम्मीद की जा सकती है। कृषि कानूनों को लागू करने से नरेन्द्र मोदी भले पीछे हट गए, लेकिन उन कानूनों को धीरे-धीरे किसानों के हित में लागू करने के लिए शिवराज सिंह चौहान से बेहतर भला कौन हो सकता था।
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ये हैं मोदी के भरोसेमंद मंत्री
जगत प्रकाश नड्डा और मनोहर लाल खट्टर, इस बार सरकार में मंत्री के तौर पर भले नए हों, लेकिन पीएम मोदी की विश्वस्त टीम के लिहाज से बेहद भरोसेमंद हैं। यही वजह रही कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए आवश्यक मंत्रालयों, स्वास्थ्य और शहरी विकास के साथ ऊर्जा मंत्रालय को अपने विश्वस्त जगत प्रकाश नड्डा और मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया है।
अपने सलाहकारों और सचिवों को भी साथ रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन की मूलभूत सुविधा को बेहतर करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने का संकेत दे दिया है।
(लेखक: हर्षवर्धन त्रिपाठी, राजनीतिक विश्लेषक)यह भी पढ़ें -Delhi Water Crises: बूंद-बूंद को तरस रहे दिल्ली के VIP इलाके! कब आएगा पानी; NDMC की एडवाइजरी जारी