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'एक देश, एक परीक्षा' हो रही फेल! क्‍या कंप्यूटर आधारित परीक्षा प्रणाली होगी कारगर?

नीट परीक्षा में धांधली को लेकर देश में घमासान मचा हुआ है। छात्र विरोध कर रहे है। सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सीबीआई माफियों की गिरफ्तारी में लगी है। हाल यह है कि परीक्षा लेने वाली लगभग हर संस्था पर विद्यार्थियों का ही नहीं सामान्य जन का विश्वास भी डगमगा गया है। जानिए क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट ...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 24 Jun 2024 08:16 PM (IST)
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NEET paper leak: प्रतियोगी परीक्षा का प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।
नई दिल्‍ली। महत्वपूर्ण परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब किसी भी व्यावसायिक संस्थान की प्रवेश परीक्षा या भर्ती परीक्षा में ऐसा ना होना अपवाद माना जाने लगा है। परीक्षा लेने वाली लगभग हर संस्था पर विद्यार्थियों का ही नहीं सामान्य जन का विश्वास भी डगमगा गया है। आज से पचास- साठ साल पहले ऐसा होना असंभव माना जाता था।

स्कूल बोर्ड परीक्षाओं की साख इतनी सशक्त थी कि उन परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर बड़े-बड़े इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में प्रवेश मिल जाता था। समय के साथ संस्थानों की साख घट गई। इनके जो विकल्प तलाशे गए, वे भी समाज में नैतिकता के घोर ह्रास में कहीं खो गए।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की स्थापना 2017 में की गई  थी। इसके लिए एक देश, एक परीक्षा’ को आधार बनाया गया था। विद्यार्थियों को विभिन्न संस्थानों के लिए अलग-अलग परीक्षा देने से बचाना इसका उद्देश्य था।

परीक्षाओं मे धांधली रोक पाने में असफल एनटीए

एनटीए इस समय कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है। वर्तमान स्थिति तो यही है कि कई परीक्षाओं मे धांधली रोक पाने में यह संस्था असफल रही है। जैसे-जैसे परीक्षा प्रणाली पर हर स्तर पर बोझ बढ़ता गया। जाटिलताएं भी बढ़ीं, जिनका समाधान असंभव नहीं था, लेकिन जब नैतिकता में आई शिथिलता हावी हो जाती है, तब सशक्त व्यवस्थाएं भी अपने को असहाय पाती हैं।

वर्तमान स्थिति का विवेचन इसी परिप्रेक्ष्य में होना चाहिए। हमारे देश की परीक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता लगातार जताई जाती रही है, लेकिन प्रभावशाली परिवर्तन और सुधार अभी भी हो नहीं पाए हैं।

केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए अब सीयूईटी परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान करना पड़ा क्योंकि विभिन्न राज्यों के स्कूल बोर्ड के मूल्यांकन स्तर आपस में कोई समन्वय स्थापित नहीं कर सके। बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी के कारण सरकारी नौकारियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक हुआ। 48 लाख से अधिक परीक्षार्थी ठगे से रह गए।

निराशा में डूबे 24 लाख विद्यार्थी

नीट में शामिल होने वाले 24 लाख विद्यार्थी कुछ अपराधियों की वजह से अत्यंत पीड़ादायक स्थिति में पहुंच गए। इस पर अंतिम निर्णय होने के पहले ही नेट-जेआरएफ में बैठनेवाले लगभग 11 लाख उच्च शिक्षित युवा परीक्षा देकर घर भी ना पहुंचे होंगे कि परीक्षा रद घोषित हो गई। देश के युवा वर्ग के समक्ष यह अत्यंत निराशाजनक स्थिति है और व्यवस्था से जुड़े हर व्यक्ति का उत्तरदायित्व है कि इसका समाधान निकाले।  

इन परीक्षाओं में एक-एक अंक का महत्व होता है। अतः परीक्षा प्रणाली भी समय के साथ बदलनी चाहिए थी। देश के वे सभी बच्चे जो विदेश में शिक्षा पाना चाहते हैं, एसएटी/जीआरई/टीओईएफईएल  परीक्षाओं से परिचित हैं। यह परीक्षाएं  वैश्विक स्तर पर आयोजित की जाती हैं और भारत में भी होती हैं। इनमें पेपर लीक नहीं होता है। आज संचार तकनीकी नें अनेक विकल्प प्रस्तुत कर दिए हैं। विश्व में अनेक संस्थाएं इनका सफलतापूर्वक उपयोग भी कर रहीं हैं।

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परीक्षा प्रणाली बदलने की जरूरत 

भारत इनका अध्ययन कर अपनी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त प्रणाली विकसित कर सकता है। एआई परीक्षा परिसर की ही नहीं, पूरी प्रणाली को व्यवस्थित और सुरक्षित करने में सहायक हो सकता  है। कंप्यूटर-आधारित-परीक्षा प्रणाली के सभी आयामों का अध्ययन कर ऐसी व्यवस्था बनाना संभव है, जिसमें परीक्षार्थी स्वयं कंप्यूटर के समक्ष बैठकर अपना प्रश्नपत्र डाउनलोड कर ले, और अपनी ओएमआर (ऑप्टिकल रिकॉग्निशन शीट ) जमा कर दें।

ऐसी व्यवस्था संभव है, जिसमें एक ही दिन, एक ही समय पर सारे प्रतिभागियों का बैठना आवश्यक ना हो। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन लर्निंग ने लगभग बीस वर्ष पहले ऑन डिमांड एग्जामिनेशन का प्रारूप बनाकर व्यावहारिक रूप से उसका उपयोग किया था। उसका अध्ययन किया जा सकता है। युवावर्ग से सुझाव भी मांगे जा सकते हैं। प्रवेश परीक्षाओं के साथ ही नियुक्ति परीक्षाओं में बड़े सुधार की आवश्यकता है।  

(लेखक: जगमोहन सिंह राजपूत, एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक)

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