एक करोड़ जुर्माना-10 साल की जेल फिर भी 15 राज्यों में 70 से अधिक पेपर हुए लीक; क्या माफियाओं को नहीं है कानून का डर?
अनियमितता की जानकारी मिलने के बाद यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा भी रद्द कर दी गई। नीट-यूजी पेपर लीक के बीच यूजीसी-नेट परीक्षा में अनियमितता की बात सामने आने के बाद एनटीए की ईमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। अब नीट परीक्षा मामले को लेकर CBI एक्शन मोड में आ गई है।
किन राज्यों में हुआ पेपर लीक?
बड़े राज्य जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात बड़े पैमाने पर पेपर लीक से प्रभावित हैं। चुनावों में भी पेपर लीक का मुद्दा उठता है, लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा गायब हो जाता है।राजस्थान में लीक हुए 14 पेपर
गुजरात में भी सुरक्षित नहीं छात्रों का भविष्य
गुजरात में भी पिछले सात वर्षों में 14 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इनमें जीपीएससी चीफ ऑफिसर परीक्षा, तलाती परीक्षा, टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट और मुख्य सेविका, नायब चिटनिस जैसी अन्य परीक्षाएं शामिल हैं।यूपी में नौ पेपर हुए लीक
एंटी नकल कानून में क्या है सजा का प्रावधान?
नीट-यूजी और यूजीसी- नेट परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच के बीच देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू हो गया है। पेपर लीक और परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ ये कानून इसी साल फरवरी में पारित हुआ था। इस कानून में परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।-
कानून के तहत परीक्षा में नकल करने वाले छात्रों से लेकर पेपर लीक में शामिल अधिकारियों या धांधली में शामिल समूहों के खिलाफ तीन से लेकर 10 वर्ष तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
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इस नए कानून के तहत, परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन वर्ष की कैद की सजा हो सकती है। इस सजा को बढ़ाकर पांच वर्ष तक किया जा सकता है, साथ ही 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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नकल कराने का दोषी पाए जाने वाले सेवा प्रदाताओं पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, परीक्षा संचालन का खर्च भी उनको भरना पड़ेगा। ऐसे सेवा प्रदाता अगले चार वर्ष तक किसी भी परीक्षा का संचालन नहीं कर पाएंगे।
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यदि जांच में पता चलता है कि परीक्षा में धांधली या गड़बड़ी, किसी डायरेक्टर, सीनियर मैनेजमेंट या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्ति की मिलीभगत से की गई है तो ऐसे व्यक्तियों को तीन से 10 वर्ष की कैद हो सकती है और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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ये कानून उन लोगों को सुरक्षा भी देता है, जो ये साबित कर पाएंगे कि धांधली उनकी जानकारी के बिना हुई है और उन्होंने गड़बड़ी रोकने के लिए पर्याप्त जरूरी सावधानियां बरती थीं।