खुशखबरीः मोदी सरकार ने बनाई नई नीति, हर साल मिलेंगी 40 लाख नौकरियां
यह काम राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड की स्थापना और राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण के गठन से होगा। इससे केंद्र, राज्यों तथा स्थानीय निकायों के बीच सहयोग का तंत्र विकसित होगा।
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 27 Sep 2018 04:34 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। केन्द्र की मोदी सरकार ने देश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए एक नई नीति को मंजूरी दी है। इससे हर साल देश में 40 लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भी बढ़ेगा। ये क्रांति डिजिटल संचार आयोग के जरिए आएगी।
नौकरियों के नए अवसर पैदा करने के लिए मोदी सरकार ने देश में नई दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति में हर साल 40 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दूरसंचार क्षेत्र का योगदान छह फीसद से बढ़ाकर आठ फीसद करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस नीति के परिणामस्वरूप दूरसंचार आयोग का नाम बदलकर डिजिटल संचार आयोग हो जाएगा।
क्या है राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई दूरसंचार नीति को मंजूरी प्रदान की गई। इसे राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 नाम दिया गया है। नई नीति की विशेषताओं पर दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि इसके तहत 2020 तक देश के हर एक नागरिक को 50 एमबीपीएस की तथा हर एक ग्राम पंचायत को एक जीबीपीएस की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिलेगी।
वहीं, 2022 तक प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 जीबीपीएस की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा इस क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए बड़े पैमाने पर इन्फ्रस्ट्रक्चर बढ़ाने और मजबूत करने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रतिवर्ष तकरीबन 40 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
कम होगी दूसर संचार सेवाओं की लागतदूर संचार मंत्री ने कहा, ‘नई नीति संपूर्ण दूरसंचार क्षेत्र को नई गति प्रदान करने के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि वित्तीय रूप से दबावग्रस्त उद्योग को महज राजस्व जुटाने का साधन समझने के बजाय अर्थव्यवस्था को सामाजिक-आर्थिक संबल प्रदान करने वाले माध्यम के तौर पर देखा जाए।’ नई नीति के तहत सरकार स्पेक्ट्रम की कीमतों को उचित स्तर पर रखने के साथ लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी), सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष शुल्क आदि की समीक्षा करेगी। यही वे शुल्क हैं, जिनकी ऊंची दरों के कारण अक्सर दूरसंचार सेवाओं की लागत बढ़ती है। नई नीति से इनकी दरों में कमी आएगी।
अभी आठ लाख करोड़ के कर्ज में है दूरसंचार सेवाफिलहाल दूरसंचार सेवा उद्योग पर आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज लदा है। नीति में दूरसंचार कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण संबंधी नियमों को सरल बनाने का भी संकेत दिया गया है, ताकि वित्तीय संकट की स्थिति में कारोबार को बंद करना आसान हो सके। इसके अलावा स्पेक्ट्रम दूसरी कंपनी के साथ बांटने, लीज पर देने तथा बेचने के नियम भी उदार बनाए जाएंगे।
डाटा सुरक्षा और निजता पर होगा फोकसनई नीति में डिजिटल संचार से निजता, स्वायत्तता तथा व्यक्तिगत चयन के अधिकारों के हनन की संभावनाओं को निरस्त करने के भी उपाय किए गए हैं। इसके लिए नीति में सुरक्षित संचार इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ डाटा सुरक्षा का समग्र व सशक्त तंत्र विकसित करने का वादा किया गया है। यह काम राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड की स्थापना और राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण के गठन से होगा। इससे केंद्र, राज्यों तथा स्थानीय निकायों के बीच सहयोग का ऐसा तंत्र विकसित होगा जिससे वे साझा ‘राइट ऑफ वे’ के अलावा सेवाओं की लागत और समय सीमाओं के मानक सुनिश्चित कर सकेंगे।
5जी के साथ नई तकनीकेंनई नीति का उद्देश्य 5जी टेलीकॉम सेवाओं, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, और मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) तकनीकों में अग्रणी स्थान प्राप्त करना है। यह नीति राज्यों, केंद्रीय एजेंसियों, दूरसंचार और स्टार्टअप्स कंपनियों को इस बात का पता लगाने में मददगार साबित होगी कि भविष्य में सरकार इस क्षेत्र में किस प्रकार के फैसले करने वाली है।