Climate Change का असर अब पानी पर, नहीं दिया ध्यान तो इस साल तक बूंद-बूंद के लिए तरसने को होंगे मजबूर
नेचर क्लाइमेट चेंज नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में इन इलाकों में मीठे पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इनमें भारत के साथ पाकिस्तान अफगानस्तिान व और भी कई जगहें हैं।
By Arijita SenEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 04:04 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर भारत (Northern India) को लेकर हाल ही में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा है कि यहां साल 2060 तक मीठे पानी (Freshwater) का भारी कमी हो सकती है। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने देखा कि एशिया का जल मीनार (Water Tower Of Asia) माना जाने वाला तिब्बत का पठार ( Tibetan Plateau) निचले इलाकों में रहने वाले करीब दो सौ करोड़ लोगों को मीठे पानी का आपूर्ति कराता है।
नेचर क्लाइमेट चेंज (Nature Climate Change) नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में इन इलाकों में मीठे पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने माना कि इससे मध्य एशिया, अफगानिस्तान, उत्तरी भारत और पाकिस्तान में पानी का आपूर्ति काफी हद तक प्रभावित होगी। अमेरिका के पेन स्टेट में वायुमंडलीय विज्ञान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर माइकल मान ने कहा, "यह भविष्यवाणी सही नहीं है।"
उन्होंने कहा, हमारे पास काफी वक्त है। अगर हम अभी से ईंधन का सही उपयोग करने में विफल रहते हैं तो तबाही होना तय है। सावधानी नहीं बरतने पर एक ऐसा वक्त आएगा जब तिब्बत के पठार के निचले हिस्सों में सौ फीसदी तक पानी की कमी आएगी।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ''यह जगह इतनी महत्वपूर्ण है यह जानने के बावजूद हमने कभी यहां भूजल भंडारण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में गंभीरता से नहीं सोचा। यहां पानी की उपलब्धता पर काम करने की सख्त जरूरत है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील है।''
शोधकर्ता ने कहा, ''चूंकि इसे लेकर कभी सोचा नहीं गया है, भविष्य को लेकर अनुमान नहीं लगाए गए हैं इसलिए मार्गदर्शन भी सीमित हैं। तिब्बत के पठार को जलवायु परिवर्तन का हॉट स्पॉट (HotSpot) माना जाता है। इसलिए वक्त रहते इस दिशा में गौर फरमानेे की जरूरत है।''