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समय पर फ्लैट नहीं देने पर अंसल क्राउन बिल्डर को ब्याज सहित पैसे लौटाने का आदेश, राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission NCDRC) ने समय पर फ्लैट नहीं देने पर अंसल क्राउन इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को तगड़ी फटकार लगाई है। साथ ही फ्लैट की जमा राशि खरीदार को नौ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 19 Sep 2022 12:12 AM (IST)
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एनसीडीआरसी ने अंसल क्राउन इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एक बड़ा आदेश पारित किया है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। समय पर फ्लैट नहीं देने पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने अंसल क्राउन इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को फ्लैट की जमा कराई गई पूरी कीमत खरीदार को नौ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है। आयोग ने वायदे के मुताबिक फ्लैट बनाकर समय पर नहीं सौंपने को सेवा में कमी मानते हुए कहा कि खरीदारों को फ्लैट के लिए अनिश्चित काल तक इंतजार करने और आर्थिक रूप से नुकसान झेलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

फ्लैट के लिए लिया था कर्ज

आयोग ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर खरीदारों ने बैंक या वित्तीय संस्थान से फ्लैट के लिए कर्ज लिया था तो बिल्डर के लौटाए पैसे से पहले बैंक का कर्ज अदा होगा और कर्ज का भुगतान करने के बाद बचा पैसा ही खरीदार अपने पास रख सकता है। इसके लिए खरीदार बिल्डर को चार सप्ताह के भीतर बैंक या वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने के जरूरी दस्तावेज जमा कराएगा।

दो फ्लैट खरीदारों का मामला 

यह आदेश आयोग के सदस्य जस्टिस रामसूरत राम मौर्या और इंदर जीत सिंह ने हरियाणा के फरीदाबाद के सेक्टर-80 में अंसल क्राउन हाइट्स में फ्लैट बुक कराने वाले दो खरीदारों कमलेश मित्तल और मुकेश कुमार तायल की शिकायतों का निपटारा करते हुए दिया। आयोग ने बिल्डर को दोनों खरीदारों को 25-25 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया है। कमलेश मित्तल ने फ्लैट के लिए बिल्डर को 63,77,120 रुपये और मुकेश कुमार तायल ने 64,46,315 रुपये का भुगतान किया था।

ब्याज सहित पैसा वापस दिलाने की मांग

इस मामले में खरीदारों के वकील सौरभ जैन ने ब्याज सहित पैसा वापस दिलाने की मांग करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ताओं ने 12 नवंबर 2010 को अंसल क्राउन इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड की फरीदाबाद के सेक्टर 80 की ग्रुप हाउसिंग स्कीम अंसल क्राउन हाइट्स में फ्लैट बुक कराए थे।

जल्‍द दिया जाएगा फ्लैट 

दो सितंबर 2013 को बिल्डर बायर एग्रीमेंट साइन किया जिसके मुताबिक 36 महीने में यानी दो सितंबर 2016 तक फ्लैट मिलना था लेकिन अभी तक नहीं मिला। बिल्डर ने शिकायत का विरोध करते हुए कहा गया कि काम पूरे जोरों से चल रहा है जल्दी ही फ्लैट दे दिया जाएगा। देरी इसलिए हुई क्योंकि हरियाणा के डायरेक्ट्रेट आफ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने लाइसेंस रिन्यू करने में देर लगाई। बिल्डर ने यह भी कहा कि एग्रीमेंट के मुताबिक अगर फ्लैट में देरी होती है तो देरी के लिए 5 रुपये प्रति स्क्वायर फिट की दर से पेनाल्टी बनती है।

अनिश्चितकाल तक नहीं कराया जा सकता इंतजार

आयोग ने बिल्डर की सारी दलीलें ठुकराते हुए कहा कि छह साल बीत चुके हैं लेकिन शिकायतकर्ताओं को फ्लैट नहीं मिले। आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट शिवराम सरना जोहनालगड्डा बनाम मारुती कारपोरेशन के मामले में 21 सितंबर 2021 को दिए फैसले में कह चुका है कि खरीदार को फ्लैट का कब्जा देने के लिए अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता।

सेवा में कमी अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस

कोर्ट ने यह भी कहा था कि बिल्डर द्वारा खरीदार का पैसा रखकर फोर्स मज्योरे (वश के बाहर होने ) की दलील देना न सिर्फ सेवा में कमी है बल्कि अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस भी है। आयोग ने यह भी कहा कि बिल्डर की ये दलील की पक्षकारों पर एग्रीमेंट की शर्तें बाध्यकारी हैं, मानने लायक नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पाइनियर अर्बन लैंड एंड इन्फास्ट्रक्चर के दो अप्रैल 2019 को दिए फैसले में कहा था कि उस कांट्रैक्ट की शर्तें बाध्यकारी नहीं होंगी, जिसमें दिखाई देता हो कि खरीदार के पास बिल्डर द्वारा तैयार कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

नौ प्रतिशत ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उसमें कहा था कि एग्रीमेंट में एकतरफा क्लाज रखना उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 2 (आर) के तहत अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है। राष्ट्रीय आयोग ने पैसा वापस करने की शिकायतकर्ताओं की मांग स्वीकार करते हुए बिल्डर को नौ प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया है। 

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