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2012 Nirbhaya Case: जल्लाद पवन पहुंचा तिहाड़, आज होगा फांसी का ट्रायल; जानें- पूरी प्रक्रिया

निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए मेरठ जेल से पवन जल्लाद गुरुवार को तिहाड़ जेल पहुंच चुके हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Fri, 31 Jan 2020 02:01 AM (IST)
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2012 Nirbhaya Case: जल्लाद पवन पहुंचा तिहाड़, आज होगा फांसी का ट्रायल; जानें- पूरी प्रक्रिया

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कानूनी दांव-पेच के बीच तिहाड़ जेल प्रशासन निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटा है। सूत्र बताते हैं कि गुरुवार शाम करीब पांच बजे जल्लाद भी तिहाड़ जेल पहुंच गया। जेल मुख्यालय में अधिकारियों से मुलाकात के बाद वह जेल संख्या तीन गया और अधिकारियों के साथ फांसी घर को देखा। शाम का वक्त होने के कारण फांसी का ट्रायल नहीं हो सका, जो शुक्रवार को होगा।

जेल सूत्रों का कहना है कि पूरे दिन चलने वाले इस ट्रायल में जेल अधिकारियों के अलावा लोक निर्माण विभाग, तिहाड़ सेंट्रल अस्पताल के चिकित्सक मौजूद रहेंगे। बक्सर से मंगाई गई रस्सी से फंदा तैयार किया जाएगा। इससे पहले दोषियों की स्वास्थ्य रिपोर्ट के आधार पर फंदे का आकार व लटकाने की लंबाई तय होगी। ट्रायल के दौरान रस्सी की मजबूती जानने के लिए एक बार दोषियों के वजन से डेढ़ गुना अधिक वजन के पुतले तो एक बार दोषियों के वजन के पुतलों को जल्लाद लटकाएगा।

कोई गड़बड़ी सामने आने पर उसे तत्काल दुरुस्त किया जाएगा। जेल सूत्रों का कहना है कि जल्लाद के लिए काउंसलर की भी व्यवस्था की गई है। संभावना है कि ट्रायल में शामिल लोगों को फांसी के बाद कुछ दिनों का अवकाश दिया जा सकता है ताकि वे फांसी के दृश्यों से उबर सकें।

जल्लाद की सुरक्षा बेहद अहम

बताते हैं कि जेल संख्या तीन में ले जाए जाने के दौरान जल्लाद की पहचान गुप्त रखी गई। वहां तैनात कर्मचारियों को भी नहीं बताया गया। उस दौरान आसपास के बैरकों को बंद कर दिया गया। जेल का दरवाजा अधिकारियों के आदेश के बिना खोलने की भी अनुमति नहीं थी। उसे कहां रखा गया है, इस बारे में चु¨नदा अधिकारियों को ही जानकारी है।

..तो आज की मुलाकात हो सकती है आखिरी

निर्भया के दोषियों के परिजनों की शुक्रवार को होने वाली मुलाकात आखिरी हो सकती है। जेल सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को सभी दोषियों से मिलने उनके परिजन आ रहे हैं। डेथ वारंट के अनुसार, एक फरवरी के दिन सुबह छह बजे फांसी पर लटकाया जाना है। अधिकारियों का कहना है कि यह मुलाकात अभी सामान्य मुलाकात की ही तरह करीब आधे घंटे की होगी, जो जेल अधीक्षक कार्यालय परिसर में ही कराई जाएगी। जेल सूत्रों के अनुसार आखिरी मुलाकात के दौरान यदि दोषी अपनी संपत्ति किसी के नाम करने की इच्छा जाहिर करेंगे तो जेल प्रशासन तत्काल इसका इंतजाम करेगा, हालांकि अब तक किसी दोषी ने जेल प्रशासन को इस बाबत कुछ नहीं कहा है।

प्रक्रिया में लगते हैं करीब तीन घंटे, जानें- कैसे दी जाती है फांसी

दोषी को जिस दिन फांसी दी जाती है, उसे सुबह पांच बजे जगा दिया जाता है। नहाने के बाद दोषी को फांसी घर के सामने खुले अहाते में लाया जाता है। वहां जेल अधीक्षक, उप अधीक्षक, मेडिकल ऑफिसर, सबडिविजनल मजिस्ट्रेट व सुरक्षा कर्मचारी मौजूद रहते हैं। जेल सूत्रों का कहना है कि यहां मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछते हैं। इस दौरान आमतौर पर संपत्ति किसी के नाम करने या किसी के नाम पत्र लिखने की बात सामने आती है। करीब 15 मिनट का वक्त दोषी के पास रहता है। इसके बाद जल्लाद वहीं कैदी को काले कपड़े पहनाता है। उसके हाथ को पीछे कर उसे रस्सी या हथकड़ी से बांध दिया जाता है। यहां से करीब 100 कदम की दूरी पर बने फांसी घर पर कैदी को ले जाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

फांसी घर पहुंचने के बाद दोषी को छत पर ले जाया जाता है। वहां दोषी के मुंह पर काले रंग का कपड़ा बांधा जाता है और उसके गले में फंदा डाल दिया जाता है। इसके बाद दोषी के पैरों को रस्सी से बांध दिया जाता है। जब जल्लाद अपने इंतजाम से पूरी तरह संतुष्ट हो जाता है, तब जेल अधीक्षक हाथ हिलाकर इशारा करते हैं और वह लीवर खींच देता है। एक झटके में दोषी फांसी पर झूल जाता है।

इसके दो घंटे बाद मौके पर मौजूद मेडिकल आफिसर फांसी घर के अंदर जाकर यह सुनिश्चित करते हैं कि फांसी पर झूल रहे शख्स की मौत हुई है या नहीं। दोषी की मौत के बाद मेडिकल आफिसर इस बात का सर्टिफिकेट जारी करता है कि मौत अब हो चुकी है। तब फांसी की प्रक्रिया पूर्ण मानी जाती है। जेल सूत्रों का कहना है कि कैदी को मजिस्ट्रेट के सामने लाने और डेथ सर्टिफिकेट जारी होने तक की पूरी प्रक्रिया में करीब तीन घंटे का वक्त लग जाता है।