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आधे युवा पढ़े-लिखे हैं पर जॉब के लिए जरूरी कौशल नहीं है, ऐसे युवाओं को काम सिखाएंगी इडस्‍ट्री

किसी भी देश में युवाओं की बड़ी आबादी उसकी ताकत होती है। लेकिन अगर इन युवाओं के पास कौशल न हो और वे उत्पादक गतिविधियों से न जुड़े हों तो उस देश की कमजोरी भी बन जाते हैं। भारत की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। पिछले कुछ वर्षो में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरी है लेकिन समस्‍या ये है कि आधे युवा पढ़े-लिखे हैं पर...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 30 Jul 2024 07:34 PM (IST)
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बेरोजगारी एक बड़ी समस्या, लेकिन युवाओं की शिक्षा भी समस्‍या है। फोटो- एजेंसी

 डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। देश में साल में एक बार बजट बनता है। बजट विकसित भारत की ओर एक और कदम है। प्रयास यह है कि हम अपनी अर्थव्यवस्था को और बेहतर कैसे बनाएं। बजट में इस बात पर फोकस किया गया है कि मैन्युफैक्चरिंग और एमएसएमई जैसे सेक्टर सहित दूसरे सेक्टर्स के साथ लोगों को भी आगे बढ़ाया जाए।

इसका मतलब है सभी सेक्टर की ग्रोथ के साथ समावेशी विकास हो। ऐसा करते हुए बजट में वित्तीय अनुशासन का भी ध्यान रखा गया है। राजकोषीय घाटे को 4.9 प्रतिशत पर सीमित रखा गया है। अगर हमको भारत को विकसित देश बनाना है और सभी लोगों को साथ लेकर चलना है।

देश में सबसे बड़ा मुद्दा है रोजगार

यहां पर सबसे बड़ा मुद्दा है रोजगार का। जब तक हम अपनी वर्क फोर्स में अधिकतम लोगों को रोजगार नहीं देंगे, तब तक मांग कहां से आएगी? अगर किसी मैन्युफैक्चरर को प्लांट लगाना है तो वह देखेगा कि मांग है या नहीं।

अगर मांग ही नहीं है तो वह अपनी क्षमता क्यों बढ़ाएगा। लोगों को रोजगार मिलेगा तो उनकी आय बढ़ेगी और इस आय को वो अपनी जरूरतों पर खर्च करेंगे। इससे मांग बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाएगी।

 पढ़े-लिखे युवाओं के पास भी नहीं है जरूरी कौशल

अब सवाल यह है कि ऐसा करने की जरूरत क्यों है। भारत में विश्व की बड़ी वर्कफोर्स है। भारत की आबादी में 40 प्रतिशत लोगों की उम्र 25 वर्ष से कम है। इन युवाओं की आकांक्षाएं हैं। ये लोग चाहते हैं कि कमाएं, अपना घर बनाएं, गाड़ी खरीदें। सब लोग चाहते हैं कि वे पढ़-लिख कर नौकरी करें।

अब समस्या यह है कि जिन युवाओं ने पढ़ाई की है उनसे से आधे युवाओं के पास नौकरी हासिल करने के लिए जरूरी कौशल नहीं है।

हमारी वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी कम है, जबकि देश की आधी आबादी महिलाओं की हैं। ऐसे में अगर हम वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाते हैं तो इससे जीडीपी की ग्रोथ रेट बढ़ेगी। हमें वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी है और पढ़े-लिखे लोगों को रोजगार के लायक बनाना है।

 सरकार ने इंडस्ट्री से कहा - आप युवाओं को काम सिखाओ

इसके लिए सरकार ने इंडस्ट्री से कहा है कि आप युवाओं को काम सिखाओ। इन युवाओं को जो पैसे देने होते हैं, उसमें सरकार भी अंशदान करेगी। इसके अलावा सरकार ने इंडस्ट्री से कहा है कि आप इसके लिए सीएसआर फंड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इससे इंडस्ट्री का काम थोड़ा आसान हो गया है।

इसका फायदा यह होगा कि जो युवा इंटर्नशिप के दौरान अच्छी तरह से काम सीख जाएंगे। उनको कंपनियां नौकरी भी दे सकती हैं क्योंकि कंपनियों को भी कर्मचारियों की जरूरत होती है।

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पढ़ाई-लिखाई हो आसान

इसके अलावा,  उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन में भी राहत दी गई है। अगर कोई भारत में उच्च शिक्षा हासिल करता है तो उसे 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन दिया जाएगा। और ब्याज में भी 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

 सरकार का प्रयास है कि लोग अपने स्तर पर भी अपना कौशल बढ़ाने का प्रयास करें। सरकार उनकी मदद करेगी। बजट में एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए भीर कदम उठाए गए हैं। एमएसएमई सेक्टर बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देता है और निर्यात में भी सेक्टर का अहम योगदान है।

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(सोर्स: वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. बृंदा जागीरदार से बातचीत)