इंटर्नशिप कार्यक्रम से खुलेगी रोजगार की राह, कृषि में सालाना 78.51 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत; अभी देश में कितने श्रमिक हैं?
विश्व में भारत सबसे ज्यादा युवा आबादी देश है। शायद इसी का नतीजा है कि इस बार का बजट पूरी तरह से रोजगार और कौशल विकास पर केंद्रित है। युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए कई तरह की पहलों की घोषणा की गई। सरकारी क्षेत्र में सीमित अवसरों को देखते हुए सरकार ने इस प्रयास में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में श्रमिकों के हितों की रक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। किसी भी देश के विकास के लिए श्रम उत्पादकता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में श्रमिकों की संख्या लगभग 56.5 करोड़ हैं, जिसमें से 45 प्रतिशत से अधिक कृषि में, 11.4 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग, 28.9 प्रतिशत सेवाओं और 13.0 प्रतिशत निर्माण में कार्यरत हैं।
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमान के अनुसार, भारत में काम करने लायक उम्र के लोगों की आबादी (15-59 वर्ष) 2044 तक बढ़ती रहेगी।
इसी अनुमान के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना लगभग 78.51 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। केंद्रीय बजट में रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण उपायों और श्रम संबंधी सुधारों की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है।
ई-श्रम पोर्टल क्या है?
विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए एक जरूरी कदम है, असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना। ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डाटाबेस है, जिसमें 29 करोड़ से अधिक श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं। असंगठित क्षेत्र के लगभग 38 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल लांच किया गया था।
नेशनल करियर सर्विस पोर्टल और अन्य मंत्रालयों/विभागों के अन्य पोर्टलों के साथ ई-श्रम पोर्टल का एकीकरण एक बेहतर और आसान श्रम से जुड़ा इकोसिस्टम बनाएगा, जिससे श्रमिकों, नियोक्ताओं और नीति निर्माताओं को समान रूप से लाभ होगा। एकीकृत सेवाएं श्रमिकों को उनके अधिकारों और लाभों की समय पर प्राप्ति सुनिश्चित करेंगी, जिससे उनके चहुमुखी विकास में सुधार होगा।
बजट में पेश की गई सबसे प्रमुख योजनाओं में से एक, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना हैं। इन योजनाओं को विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में नए श्रमिकों को काम पर रखने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस कदम से सरकार का लक्ष्य औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है, जो बेरोजगारी को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
महिलाओं और बालिकाओं के लिए सराहनीय पहल
सरकार द्वारा की गई एक और सराहनीय पहल कामकाजी महिला छात्रावास की स्थापना और इंडस्ट्री के सहयोग से क्रेच की स्थापना करके वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है।
इससे महिला और पुरुष कर्मचारियों के बीच अंतर में कमी आएगी, क्योंकि यह कदम महिला श्रमिकों के सामने आने वाली काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने संबंधी चुनौतियों का समाधान करेगा। इससे उद्योगों के लिए उपलब्ध प्रतिभा पूल का भी विस्तार होगा।
विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में है और इस युवा आबादी की औसत उम्र 28 वर्ष है। भारत इस युवा आबादी को नौकरी के लिए जरूरी कौशल से लैस करके जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कर सकता है और उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सकता है।
एक करोड़ युवाओं को किया जाएगा ट्रेन
सरकारी योगदान और सीएसआर फंड के साथ शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना एक नया विचार है। ये ट्रेनी उद्योग की जरूरतों के हिसाब से ज्ञान प्राप्त करने और पेशेवर नेटवर्क बनाने में सक्षम होंगे, जिससे नौकरी के साथ-साथ स्व-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है, और उनमें से कई लोगों के पास वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जरूरी कौशल का अभाव है।
एक अनुमान के अनुसार लगभग 51.25 प्रतिशत युवा ही रोजगार के योग्य माने जाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो लगभग हर दो में से एक युवा कालेज के तुरंत बाद रोजगार के योग्य नहीं होता है। ऐसे में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार हासिल करने के लिए जरूरी कौशल से लैस करना समय की जरूरत है।
क्या करना चाहती है सरकार?
सरकार की यह पहल शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच संबंध मजबूत करने में मदद करेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि शैक्षणिक कार्यक्रम उद्योग की जरूरतों के साथ बेहतर ढंग से काम कर सकें। केंद्रीय बजट में श्रम-संबंधी घोषणाएं देश में श्रम बाजार को मजबूत करने के लिए एक बहुमुखी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
रोजगार सृजन, महिलाओं की भागीदारी, कौशल विकास और कुशल श्रम बाजार प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार का लक्ष्य विकसित भारत के लिए एक समावेशी और मजबूत आर्थिक विकास पथ को बढ़ावा देना है।
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(सोर्स: फिक्की के महानिदेशक ज्योति विज से बातचीत)