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Republic Day : अपने गणतंत्र को कितना जानते हैं आप? किसने लिखी थी संविधान की पहली प्रति; संशोधन करने पर कौन-कौन से अधिकार मिले

Republic Day देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी में जुटा है। 26 जनवरी 1950 यानी वो दिन जब भारत ने संविधान को अंगीकृत किया और खुद को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया। क्या आप जानते हैं कि संविधान में पहला संशोधन इसके लागू होने के एक साल के भीतर ही हो किया गया था। हमारे संविधान को जीवंत दस्तावेज कहा जाता है। आइए पढ़ते हैं संविधान की खूबियां...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 25 Jan 2024 04:01 PM (IST)
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Republic Day 2024: 26 जनवरी, 1950 यानी वो दिन जब भारत ने संविधान को अंगीकृत किया
 डिजिटल डेस्क, नई दिल्‍ली। 26 जनवरी, 1950 यानी वो दिन जब भारत ने संविधान को अंगीकृत किया और खुद को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया। तब से लेकर देश और संविधान लगातार समृद्ध और संपन्न हो रहे हैं।

गणतंत्र का शाब्दिक अर्थ है, जनता का तंत्र या शासन। भारत एक गणतंत्र है और इसकी शक्ति संविधान और यहां की जनता है। आजादी के बाद से जनता ने लगातार गणतंत्र को और संविधान ने देश की आम जनता को शक्तिशाली बनाया है।

क्या आप जानते हैं कि संविधान में पहला संशोधन इसके लागू होने के एक साल के भीतर ही हो किया गया था। हमारे संविधान को जीवंत दस्तावेज कहा जाता है।

आइए पढ़ते हैं संविधान में हुए उन संशोधनों के बारे में जिनसे जनता की ताकत बढ़ी है... 

1951: पिछड़ों को मिला उन्नति का हक

संविधान में पहला संशोधन वर्ष 1951 में हुआ था। इसके जरिए सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए विशेष उपबंध बनाने के उद्देश्य से राज्यों को शक्तियां दी गईं।

1964: भूमि के बदले बाजार मूल्य पक्‍का

संविधान में 1964 में हुए संशोधन के जरिये संपत्ति के अधिग्रहण की संवैधानिक वैधता को सुरक्षित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून को जोड़ा हुआ। इसके मुताबिक, अगर भूमि का मुआवजा बाजार मूल्य के अनुसार न दिया जाए तो व्यक्तिगत हितों के लिए भू-अधिग्रहण प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

1976: अखंडता-पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े

संविधान में 42वें संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता जैसे तीन नए शब्दों को जोड़ा गया। सामान्य न्याय जैसे नीति-निदेशक तत्व भी जोड़े गए।

1985: दल-बदल रोकने का कानून

संविधान में 52वां संशोधन कर दल-बदल रोकने का कानून लाया गया। संसदों तथा विधान मंडलों के सदस्‍यों को दल बदल के आधार पर अयोग्य ठहराने की व्यवस्था की गई।

1989: मतदान की उम्र 18 साल की गई

मतदान के अधिकार का दायरा बढ़ाया गया। लोकसभा तथा राज्य विधानसभा के चुनाव में मतदान की आयु 18 वर्ष कर दी गई। इससे पहले मतदान की आयु सीमा 21 वर्ष थी।

1992: पंचायतों में सभी को प्रतिनिधित्व

पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा तथा संरक्षण प्रदान किया गया। इसमें आरक्षण की व्यवस्था को लागू करने का फैसला किया, जिससे हर वर्ग को प्रतिनिधित्व का हक मिला।

2002: शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया

शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया। प्रावधान किया गया कि सरकारें 14 वर्ष की आयु पूरी करने तक सभी बच्‍चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेंगी।

2019: आर्थिक कमजोर वर्ग को आरक्षण

आजाद भारत में पहली बार सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। इसके तहत सामान्य वर्ग से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई।

2023: विधायिका में महिलाओं को आरक्षण

संविधान के 106 वें संशोधन में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कुल सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित की गईं, जिसमें सामान्य वर्ग की महिलाओं के साथ ही एससी/एसटी सीटें भी शामिल हैं।

भारतीय संविधान की खासियत

  • भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है।
  • संविधान की मूल कॉपी अंग्रेजी भाषा में हाथ से लिखी गई।
  • संविधान को तैयार होने में दो साल, 11 महीने और 18 दिन लगे।
  • 25 भाग, 448 लेख, 12 अनुसूचियां और पांच परिशिष्ट हैं इसमें।
  • 2000 संशोधन किए गए थे 26 नवंबर 1949 को इसे फाइनल करने से पहले।
  • 106 संशोधन किए जा चुके हैं लागू करने के बाद से अब तक।
  • संविधान में नागरिकों के लिए 6 मौलिक अधिकार और 11 कर्तव्‍य हैं।

संविधान किसने लिखा?

हमारा संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है। डॉक्टर बीआर अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा के अध्यक्ष थे, इसलिए उन्‍हें संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन प्रेम बिहारी ने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी।

इस काम में प्रेम बिहार को छह महीने लगे। 432 से ज्यादा निब लिखते हुए घिस गई थीं। वहीं शांति निकेतन के चित्रकारों ने संविधान के कवर से लेकर हर पन्ने को अपनी सुंदर कला से सजाया। संविधान की हिंदी पांडुलिपि वसंत कृष्ण वैध ने लिखी।

भारतीय संविधान की अंग्रेजी में लिखी पांडुलिपि और उसका हिंदी अनुवाद संसद की लाइब्रेरी में दो विशेष बक्सों में रखे हैं। कांच से बने इन पारदर्शी मगर सीलबंद बक्सों में नाइट्रोजन भरी है, जो पांडुलिपि के कागज को खराब नहीं होने देती। ये दोनों बक्से अमेरिका की एक कंपनी ने कैलिफोर्निया में बनाए थे।

भारतीय संविधान की अंग्रेजी कॉपी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

भारतीय संविधान की हिंदी कॉपी पढ़ने के लिए यहां क्लिककरें।

(सोर्स:  प्रसार भारती, विधायी विभाग की वेबसाइट और भारतीय संविधान)