आम्रपाली के हजारों घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, लोन अकाउंट को एनपीए करने पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के खरीदारों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से कहा है कि कर्ज नहीं चुकाने वाले खरीदारों के लोन अकाउंट को एनपीए नहीं घोषित किया जाए। यही नहीं शीर्ष अदालत ने ग्राहकों पर जुर्माना नहीं लगाने को कहा है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 19 Apr 2022 06:11 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह की विभिन्न रिहायशी परियोजनाओं में फ्लैट बुक कराने वाले हजारों को खरीदारों को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने बैंकों को निर्देश दिया है कि लोन नहीं चुकाने वाले खरीदारों के लोन अकाउंट को एनपीए घोषित नहीं करें और न ही उन पर कोई पेनाल्टी लगाएं।शीर्ष अदालत ने कहा कि फ्लैट पर कब्जा मिलने तक खरीदारों को ईएमआइ का भुगतान भी नहीं करना होगा। बैंक कर्ज की मूल रकम और उस पर ब्याज के हकदार होंगे।
करीब 10,000 लोगों ने खरीदे फ्लैट मौजूदा मामले में फ्लैट खरीदारों, आम्रपाली समूह की कंपनियों और बैंकों के बीच एक योजना (सबवेंशन) पर समझौता हुआ था। इसके मुताबिक फ्लैट पर कब्जा मिलने तक खरीदारों को कोई ईएमआइ नहीं देनी थी। इस योजना के तहत करीब 10,000 लोगों ने फ्लैट खरीदे हैं। लेकिन आम्रपाली समूह की तरफ से की गई चूक के चलते वे फ्लैट मिले बिना ही ईएमआइ का भुगतान करने की देनदारी से परेशान थे।
एनपीए ना घोषित करेंजस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सभी तथ्यों और घटनाक्रमों पर विचार करने के बाद बैंकों को निर्देश दिया कि इस योजना के तहत फ्लैट बुक कराने वाले लोगों के लोन अकाउंट को न तो वे एनपीए घोषित करें और न ही उनके सिबिल को ही प्रभावित करें।
खरीदारों पर बैंक पेनाल्टी भी नहीं लगाएंईएमआइ का भुगतान नहीं करने वाले फ्लैट खरीदारों पर बैंक पेनाल्टी भी नहीं लगाएंगे। पीठ ने कहा कि फ्लैट का कब्जा मिलने के बाद खरीदारों की देनदारी शुरू होगी। उसके बाद अगर कोई खरीदार कर्ज का भुगतान नहीं करता है तो बैंक उचित कार्रवाई कर सकते हैं।
रेरा नियमों के क्रियान्वयन को लेकर दिए निर्देश वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से रियल एस्टेट नियमन एवं विकास कानून यानी रेरा के नियमों के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र सरकार के सवालों का जवाब देने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र ने पिछले महीने सभी राज्यों को पत्र लिखकर रेरा कानून के अनुपालन के संदर्भ में जानकारियां मांगी थीं लेकिन अब तक केवल पांच राज्यों ने ही आंकड़े उपलब्ध कराए हैं।