CBSE के 10वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में होंगे बड़े बदलाव, जानिये क्या-क्या होंगे Change
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) वर्ष 2023 तक 10वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में बड़े बदलाव करने जा रहा है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 27 Nov 2019 12:20 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) वर्ष 2023 तक 10वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में बड़े बदलाव करने जा रहा है। बदलाव छात्रों के बीच रचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए किए जाएंगे। यह जानकारी सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा आयोजित स्कूल शिक्षा शिखर सम्मेलन में दी।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 10वीं में 20 फीसद वस्तुनिष्ठ प्रश्न और 10 फीसद प्रश्न रचनात्मक सोच पर आधारित होंगे। वहीं, 10वीं और 12वीं के लिए 2023 के प्रश्न पत्र रचनात्मक, अभिनव और महत्वपूर्ण सोच पर आधारित होंगे। इनसे बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता का परीक्षण होगा।उन्होंने कहा कि व्यावसायिक विषयों में रोजगार का अभाव, खराब मूल्य और बाजार में स्थिरता का अभाव जैसे कारकों के कारण बहुत से खरीदार नहीं हैं। बुनियादी ढांचे, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों सहित स्कूल प्रणाली में प्रमुख हितधारकों के बीच उचित संबंधों को बढ़ावा देने की भी जरूरत है। त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि स्कूलों को उन शिक्षकों को अधिक समय देना चाहिए जिन्हें निश्चित रूप से प्रशिक्षित होने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति के बारे में उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य व्यावसायिक और मुख्य विषयों के बीच की खाई को पाटना है। इसमें व्यावसायिक विषयों को पांच विषयों का हिस्सा बनने की आवश्यकता है। यह अच्छा कदम होगा।
इस दौरान प्रशिक्षण और कौशल शिक्षा के निदेशक बिस्वजीत साहा ने कहा कि स्कूलों को छात्रों की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने और रोजगार पर ध्यान न देने, अनुकूल और परियोजना आधारित शिक्षा को लागू करने और कक्षा में बच्चों के केंद्रित पद्धति का पालन करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि अगर हम वास्तव में सिस्टम को अपग्रेड करना चाहते हैं तो स्कूल आधारित प्रणालियों में योग्यता-आधारित शिक्षा को लागू करने की जरूरत है। इसमें बच्चों के साथ मजबूत जुड़ाव की आवश्यकता होती है। युवा छात्र अपने करियर को तभी आकार दे सकते हंै जब वे सामग्री आधारित पाठ्यक्रम के साथ दबाव न हो। स्कूलों को छात्रों में गतिविधि आधारित कौशल निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।