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Wayanad Landslides News: क्या है लैंडस्‍लाइड जिसने केरल के वायनाड में मचाई तबाही? इसके होने की वजह यहां पढ़िए

What is a landslide disaster and Wayanad Landslides Today Update केरल के वायनाड में भारी बारिश के चलते चार अलग-अलग जगहों पर लैंडस्‍लाइड हुआ है जिसमें चार गांव बह गए। घर पुल सड़कें और गाड़ियां भी बह गईं। अब तक 84 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से ज्यादा लोग मलबे में दबे हैं। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। लैंडस्‍लाइड क्‍यों होता है यहां पढ़िए...

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 30 Jul 2024 04:39 PM (IST)
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केरल के वायनाड में लैंडस्‍लाइड से अब तक 45 की मौत। जागरण ग्राफिक्‍स टीम
डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। Wayanad landslide latest updatesकेरल के वायनाड में लगातार भारी बारिश हो रही है। इसके चलते मंगलवार तड़के चार अलग-अलग जगहों पर लैंडस्लाइड हुई, जिसमें चार गांव - मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा बह गए। घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां भी बह गईं। अब तक 84 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से ज्‍यादा लोग लापता हैं। 250 से ज्‍यादा लोगों को बचाया जा चुका है।

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम रेस्‍क्‍यू कर रही हैं। वहीं कन्नूर से सेना के 225 जवानों को वायनाड के लिए रवाना किया गया है, जिनमें मेडिकल टीम भी शामिल है। एयरफोर्स के दो हेलिकॉप्टर भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। पांच साल पहले यानी 2019 में भी इन्हीं गांवों- मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा में लैंडस्लाइड की घटना हुई थी,  जिसमें 52 घर तबाह हुए थे। 17 लोगों की मौत हुई और पांच आज तक लापता हैं।

IMD का अलर्ट, रेस्क्यू में आ सकती है दिक्कत 

मौसम विभाग (IMD) ने आज भी वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम और कसारागोड़ में बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। मतलब यहां आज भी तेज बारिश होने का अनुमान है। अगर तेज बारिश होती रही तो रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ सकती है।

What is a landslide know Types Causes: लैंडस्‍लाइड (भूस्खलन ) क्‍या है और किन कारणों से होता है? इससे क्‍या-क्‍या नुकसान होते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है? देश में हर साल लैंडस्‍लाइड की कितनी घटनाएं होती हैं? ऐसे ही कई सवालों के जवाब यहां जानिए...

लैंडस्लाइड क्‍या है?

लैंडस्लाइड एक प्राकृतिक आपदा या फिर ये कहिए - भूवैज्ञानिक घटना है, जो धरातली हलचल के कारण होती है। पहाड़ी क्षेत्रों से ढलानों, चट्टानों की मिट्टी, चट्टान और  कीचड़ -मलबा का अचानक तेज बहाव आता है या नीचे गिरते व खिसकते हैं तो इसे लैंडस्लाइड कहा जाता है। ये घटनाएं आमतौर पर भारी बारिश, बाढ़, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या फिर मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। देश में हर साल लैंडस्लाइड की 20-30 बड़ी घटनाएं दर्ज की जाती हैं।

गूगल ट्रेंड में लैंडस्‍लाइड

केरल के वायनाड में हुए लैंडस्‍लाइड के बाद पूरे देश और दुनिया के कई हिस्सों में इसके बारे में गूगल पर खोज बढ़ गई है। मंगलवार की सुबह से ही इसका सर्च ग्राफ लगतार ऊपर की ओर जा रहा है।

लैंडस्लाइड के क्या कारण हैं?

लैंडस्लाइड कई कारणों से होता है। इनमें प्राकृतिक घटनाएं और मानवीय हस्तक्षेप दोनों शामिल हैं। सबसे बड़ी वजह वनों की अंधाधुंध कटाई को माना जाता है। विकास के नाम पर जंगल काटे जा रहे हैं। पेड़-पौधों की कटाई और कम होते जंगल से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है।

चट्टानों की पकड़ ढीली हो जाती है, जिस कारण भी लैंडस्लाइड होता है। बता दें कि पेड़ों की जड़ें मिट्टी और चट्टानों को बांधने में मदद करती हैं। इसके अलावा भूकंप और मूसलाधार बारिश के चलते भी लैंडस्लाइड होता है।

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देश-राज्यों में पढ़ा और खोजा जा रहा है लैंडस्‍लाइड

वायनाड में हुए भूस्खलन का असर गूगल ट्रेंड रिजल्ट पर भी दिखाई दे रहा है। केरल में इसके बारे में 100 फीसदी सर्च बढ़ी है।

  • भारी बारिश: लगातार तेज बारिश होने से मिट्टी गीली हो जाती है। ढलानों पर मिट्टी कमजोर हो जाती है। मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता कम हो जाती है, तो पानी का दबाव बढ़ जाता है और ढलान कमजोर होकर खिसक जाती है, जो नीचे आकर तबाही मचाते है।  
  • भूकंप: जब तेज भूकंप आता है तो भूमि की स्थिरता प्रभावित होती है, जिससे ढलान खिसकने लगती हैं। इसके अलावा, जहां ज्वालामुखी विस्फोट होता है, वहां विस्फोट से निकलने वाली राख और लावा ढलानों की संरचना कम करते हैं तब भी लैंडस्लाइड होता है।
  • मानवीय गतिविधियां: विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई कर निर्माण कार्य और खनन करना करने के चलते भी भूमि की स्थिरता प्रभावित होती है, जिससे लैंडस्लाइड होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा,ढलान के ऊपर मौजूद भारी सामग्री भी गुरुत्वाकर्षण के कारण खिसक सकती है।
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भूस्खलन रोकने के उपाय क्या हैं?

  • वनरोपण और वृक्षारोपण: ढलानों पर पेड़ और झाड़ियां लगाने से बारिश या पानी के तेज बहाव में मिट्टी जल्दी से कटती नहीं है।
  • ढलान की सुरक्षा: पहाड़ी क्षेत्रों में ढलानों पर सही ढंग से जल निकासी की व्यवस्था की जाए ताकि पानी जमा न हो और मिट्टी कमजोर न हो।
  • ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती करने से मिट्टी का क्षरण कम होता है।
  • निर्माण पर नियंत्रण: पहाड़ी क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए।
  • खनन गतिविधियों को भी नियंत्रित किया जाए ताकि ढलानों की स्थिरता प्रभावित न हो।
  • टेक्‍नोलॉजी से निगरानी:भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में सेंसर और अलर्ट सिस्टम स्थापित किए जाएं।
  • लैंडस्लाइड जोखिम क्षेत्रों की पहचान और निगरानी के लिए जीआईएस और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।
  • भूस्खलन जोखिम क्षेत्रों के लिए आपातकालीन निकासी योजनाएं बनाएं। बचाव और राहत कार्य के लिए तैयार रहें। 

लैंडस्लाइड का खतरा

क्या करें

  • मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार ही पहाड़ी क्षेत्र पर घूमने जाने की योजना बनाएं।
  • लैंडस्लाइड वाले रास्ते या घाटियों के आसपास न रुकें।
  • नालों को साफ रखें। कूड़ा, पत्तियां, प्लास्टिक बैग और मलबा इकट्ठा न होने दें ताकि पानी की निकासी प्रॉपर हो सके।
  • ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करें।
  • चट्टान गिरने, इमारत धंसने व भूस्खलन का संकेत देने वाली दरारों की पहचान कर तुरंत सुरक्षित क्षेत्रों में चले जाएं। (जोशीमठ इसका उदाहरण है।)
  • लैंडस्लाइड के संकेतों पर ध्यान दें और इसकी जानकारी निकटतम तहसील या जिला मुख्यालय को दें।
  • आपातकाल के समय उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों और बचाव दल को संकेत देने या संवाद करने के तरीके सीखें।
  • घायल और फंसे हुए व्यक्तियों की मदद करें। 

क्या न करें

  • निर्माण क्षेत्रों और संवेदनशील इलाकों में रहने से बचें।
  • डस्‍लाइड के समय घबराएं नहीं। रो-रोकर एनर्जी बर्बाद न करें।
  • अव्‍यवस्थिति सामग्री पर न चलें। बिजली के तार या खंभे को न छुएं।
  • खड़ी ढलानों के पास और जल निकासी मार्ग के पास घर न बनाएं।
  • नदियों, झरनों, कुओं से सीधे दूषित पानी न पिएं। सीधे एकत्रित किया गया बारिश का पानी पी सकते हैं।

भूस्खलन की घटनाएं किन राज्‍यों में ज्‍यादा होती हैं ?

देश में भूस्खलन की ज्यादातर घटनाएं हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और केरल जैसे पहाड़ी राज्यों में होती हैं।

लैंडस्लाइड की प्रमुख घटनाएं

  • केदारनाथ त्रासदी: 2013 में उत्तराखंड बाढ़ और भूस्खलन के चलते करीब 6,000 लोगों की मौत हुई थी। साथ ही भारी आर्थिक नुकसान हुआ था।
  • इडुक्की लैंडस्लाइड: 2020 में केरल के इडुक्की जिले में भारी बारिश के चलते हुए भूस्खलन से करीब 70 लोगों की मौत हुई थी। व्यापक तौर पर संपत्ति का भी नुकसान हुआ था।
  • किन्नौर भूस्खलन: 2021 में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में अचानक हुए भूस्खलन से 28 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। कई दिनों तक यातायात बाधित रहा था।

भूस्खलन से निपटने के लिए सरकार की पहल

  • राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति, 2019
  • भूस्खलन जोखिम शमन योजना
  • लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया
  • बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण योजना
  • भूस्खलन और हिमस्खलन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश